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Prathvinath Shiv Temple: इतना ऊंचा शिवलिंग की बिना पैर उठाये नहीं कर पाएंगे जलाभिषेक, जानिए मंदिर और शिवलिंग का इतिहास
Prathvinath Shiv Temple: पृथ्वीनाथ शिव मंदिर, गोंडा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिले में स्थित है। यह मंदिर पृथ्वीनाथ भगवान को समर्पित है, जो भगवान शिव के एक रूप हैं। यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र माना जाता है। यह मंदिर पुराने शिलालेखों के अनुसार सन् 1017 में बना था
Prathvinath Shiv Temple, Gonda: 4 जुलाई यानी कल से हिंदुओ के पवित्र माह सावन का आगाज़ होने जा रहा है। सावन, हिंदी कैलेंडर के अनुसार श्रावण मास को कहा जाता है। यह हिंदू पंचांग में वर्ष के पांचवे मास और मानसून ऋतु का संकेत करता है और उत्तर भारत में विशेष महत्त्वपूर्ण माना जाता है।
यह मौसम कृषि के लिए बेहद महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वर्षा फसलों के लिए प्रमुख स्रोत होती है। सावन मास में विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है और लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं। श्रद्धालु सावन मास में सावन के सोमवार पर शिवलिंग की पूजा करते हैं और कांवड़ियों में जल लेकर उन्हें शिव मंदिरों में चढ़ाते हैं। सावन के महीने में बहुत सारे व्रत और उपवास भी रखे जाते हैं। श्रद्धा और आस्था का केंद्र 5000 वर्ष पुराना शिवलिंग उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में गोंडा जिले में स्थित है। आइये जानते है इस पौराणिक शिवलिंग और उससे जुड़े शिव मंदिर के बारे में।
पृथ्वीनाथ शिव मंदिर, गोंडा भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के गोंडा जिले में स्थित है। यह मंदिर पृथ्वीनाथ भगवान को समर्पित है, जो भगवान शिव के एक रूप हैं। यह मंदिर स्थानीय लोगों के लिए आस्था और श्रद्धा का केंद्र माना जाता है। यह मंदिर पुराने शिलालेखों के अनुसार सन् 1017 में बना था और वर्तमान में भी सुंदरता और ऐतिहासिक महत्त्व के कारण प्रसिद्ध है। मंदिर का स्थान शिवराजपुर गांव में है, जो गोंडा शहर से लगभग 7 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर का मुख्य भव्य गोपुरम भगवान शिव को समर्पित है और यह मंदिर की पहचानीय विशेषता है।
पृथ्वीनाथ शिव मंदिर का इतिहास
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पृथ्वीनाथ शिव मंदिर का निर्माण सन् 1017 में हुआ था। इस मंदिर का निर्माण पांडवों के काल में किया गया था और यह मंदिर प्राचीन काल का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। यह मंदिर और इसमें स्थापित शिवलिंग इतना पुराना है की इसका ज़िक्र आपको पौराणिक कथाओ में मिलेगा जान पाण्डवपुत्र भीम ने राक्षस बकसासुर का वध किया था। इस दौरान राक्षस भीम ने अपने पाप को दूर करने के लिए भगवान् शिव की पूजा-अर्चना की थी। इसी पूजा के दौरान भीम ने ऐतिहासिक पृथ्वीनाथ मंदिर में एक विशाल शिवलिंग की स्थापना की थी।
एशिया का सबसे पुराना और ऊँचा शिवलिंग
गोंडा जिले में स्थित प्राचीन पृथ्वीनाथ मंदिर में एशिया का सबसे बड़ा शिवलिंग पाया जाता है। यह शिवलिंग 5000 वर्ष पुराना माना जाता है। हिन्दुओं के बीच यह मंदिर बहुत प्रसिद्द है। इस मंदिर में पूजा अर्चना करने लाखों श्रद्धालु पधारते है। कहाँ जाता है की इस मंदिर में पांडवो ने शरण ली थी और उसी दौरान उन्होंने इस शिवलिंग की स्थापना हुई थी। यह शिवलिंग इतना बड़ा है की बिना पेअर उठाये इस पर कोई जलाभिषेक कर ही नहीं सकता है।