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Someshwar Mahadev Mandir: वर्ष में एक बार खुलता मंदिर, दुर्लभ है इसके दर्शन, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी

Someshwar Mahadev Mandir: सोमेश्वर महादेव मंदिर का दर्शन सभी शिव भक्तो के लिए अनोखा और दुर्लभ है। यह मान्यता है की इस मंदिर में दर्शन करने सभी शिव भक्तों के कष्ट दूर रहते हैं। यह मंदिर इसलिए बेहद प्रसिद्द है क्यूंकि यह वर्ष में बस एक बार महाशिवरात्रि के दिन खुलता है।

Vertika Sonakia
Published on: 18 July 2023 11:17 AM IST
Someshwar Mahadev Mandir: वर्ष में एक बार खुलता मंदिर, दुर्लभ है इसके दर्शन, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी
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Someshwar Mahadev Mandir, Madhya Pradesh (Photo: Social Media)

Someshwar Mahadev Mandir: सावन, जिसे श्रावण भी कहा जाता है, हिन्दू पंचांग में एक महत्वपूर्ण माह होता है। यह माह आमतौर पर जुलाई और अगस्त के बीच में आता है। इस माह को धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से हिन्दुओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
सावन मास में, भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं। कई लोग उपवास रखते हैं और भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए विभिन्न धार्मिक रस्में आयोजित करते हैं। खासकर सोमवार को सावन में बहुत ही पवित्र माना जाता है और इसे "श्रावण सोमवार" कहा जाता है। भक्त शिव मंदिरों में जाते हैं, पूजा करते हैं, और शिवलिंग पर पानी या दूध चढ़ाते हैं जैसे कि पूजा का एक रूप होता है।

सावन के दौरान एक और महत्वपूर्ण परंपरा है कांवड़ यात्रा। भक्त, जिन्हें कांवड़िया कहा जाता है, गंगा, यमुना या अन्य पवित्र जलधाराओं में पवित्र यात्रा पर निकलते हैं जहां से पानी इकट्ठा करते हैं। वे कांवड़ नामक एक लाठी को अपनी कंधे पर रखते हैं और शिव भगवान के लिए भक्ति गानों का जाप करते हुए बिना जूते चलते हैं। इकट्ठा किया गया पानी उन्हें अपने स्थानीय मंदिरों में शिवलिंग के अभिषेक (धार्मिक स्नान) के लिए उपयोग होता है। आइए सावन के इस पावन माह में आपको सैर कराते है सोमेश्वर महादेव मंदिर मध्य प्रदेश की।

सोमेशवर महादेव मंदिर मध्य प्रदेश

देश भर में भगवन शिव के अनेक मंदिर है और सभी मंदिरो के रीति- रिवाज़ एवं मान्यताएं अलग- अलग है। अगर आप शिव भक्त है तो इस मंदिर के बारे में ज़रूर जानते होंगे। सोमेश्वर महादेव मंदिर मध्य प्रदेश के रायसेन जिले में स्थित है और एक ऊंची पहाड़ी पर बना हुआ है। इस मंदिर का दर्शन सभी शिव भक्तो के लिए अनोखा और दुर्लभ है। यह मान्यता है की इस मंदिर में दर्शन करने सभी शिव भक्तों के कष्ट दूर रहते हैं। यह मंदिर इसलिए बेहद प्रसिद्द है क्यूंकि यह वर्ष में बस एक बार महाशिवरात्रि के दिन खुलता है। महाशिवरात्रि के अलावा भी जब यह मदिर बंद रहता है भक्त यहाँ आकर बहार से ही पूजा-अर्चना करते है।

मंदिर का इतिहास

इस मंदिर का निर्माण 12वी शताब्दी में हुआ था। एक मुग़ल शासक से विवाद होने के बाद इसे बंद कर दिया गया था और केवल वर्ष में एक बार खोला जाता है। वर्ष 1874 तक यह मंदिर पूरी तरह बंद था लेकिन इसके बाद कुछ घंटो के लिए शिवरात्रि वाले दिन यह मंदिर खुलता है। इस मंदिर में भगवान शिव के दो शिवलिंग है।1543 तक यह स्थान मंदिर के रूप में था। इसके बाद रायसेन के राजा पूरणमल को शेरशाह ने दिया था। शेरशाह के शाशन काल में यहाँ से शिवलिंग को हटाकर एक मस्जिद की स्थापना कर दी गयी थी परन्तु गर्भगृह के ऊपर गणेश जी की मूर्ती और अन्य चिन्ह वैसे ही स्थापित थे।

आज़ादी के बाद वहाँ एक आंदोलन हुआ जिसके बाद उस समय के मुख्यमंत्री दिवंगत कांग्रेस नेता प्रकाशचंद्र सेठी ने मंदिर के ताले खुलवाए और उसके बाद वर्ष में एक बार 12 घंटो के लिए मंदिर खुलता है और उस दिन एक भव्य मेले का आयोजन होता है।

पुरातत्व विभाग के पास चाभी

इस मंदिर की चाभी पुरातत्व विभाग के पास हे उस वही लोग इसका ताला प्रत्येक वर्ष महाशिवरात्रि के दिन खोलते है। पूरे दिन मंदिर में दर्शन होते है और सभी श्रद्धालु मेले का आनंद उठाते है। उसके बाद शाम को पांच बजे अधिकारियों के सामने यह मंदिर बंद कर दिया जाता है।

पूरे साल बहार से होते दर्शन

पूरे साल श्रद्धालु मंदिर आकर बहार ही धागा बांधकर भगवन शिव के दर्शन करके मन्नत मांगते है। मन्नत पूरी होने पर कलावा और कपड़ा खोलकर जाते हैं।



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