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Darjeeling Famous City: बंगाल के दार्जिलिंग का खूबसूरत शहर है 'मिरिक', जानिए कैसे यहाँ पहुंचे और क्या क्या है देखने लायक
Darjeeling Famous City Mirik: भारत-नेपाल सीमा पर स्थित मिरिक में चाय के बगानों, संतरों के बगीचे और चीड़ के पेड़ों का घना जंगल का एक अलग नज़ारा देखने को मिलता है ।
Darjeeling Famous City Mirik: छुट्टियों के मौसम में हर कोई कुछ ख़ास बनाने की सोचता है। ज्यादातर लोग मौसम के हिसाब से प्लानिंग करते हैं। अब कुछ ही महीनों में त्यौहार और छुट्टियों का मौसम शुरू होने वाला है, तो फिर आप कुछ अलग और हसीन वादियों के सफर पर क्यों न जाएं। चलिए इस बार आपको पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग के खूबसूरत शहर 'मिरिक' की सैर कराते हैं।
दार्जिलिंग का खूबसूरत शहर 'मिरिक
दार्जिलिंग को वैसे भी पहाड़ों की रानी कहा जाता है। यह पश्चिम बंगाल का मशहूर हिल स्टेशन है, हर साल हजारों की तादाद में यहां पर्यटक आते हैं। कोलकाता से लगभग 700 किलोमीटर की दूरी पर बसा यह दार्जिलिंग शहर हिमालय की गोद में बसा एक प्राकृतिक स्थल है। इसी शहर में समुद्रतल से पांच हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित करीब सवा किलोमीटर लंबी मिरिक झील एक अविस्मरणीय एहसास दिलाती है। भारत-नेपाल सीमा पर स्थित मिरिक में चाय के बगानों, संतरों के बगीचे और चीड़ के पेड़ों का घना जंगल का एक अलग नज़ारा देखने को मिलता है ।
मिरिक झील: (Darjeeling Famous Mirik Lake)
शहर के बीच स्थित यह प्राकृतिक झील अपनी अनछुई खूबसूरती के लिए मशहूर है। इस झील में नौका विहार और मछली पकड़ने की सुविधा सैलानियों को आकर्षित करती है। इस झील पर बना पुल इंजीनियरी क्षमता का अच्छा उदाहरण है। मिरिक नाम लेपचा शब्द, मिर-योक से बना है, जिसका मतलब होता है 'आग से जली जगह'। लेकिन इसके अर्थ से इसका कोई लेना नहीं है , यह झील प्रकृति के खुबसूरती का अद्भुत नज़ारा दिखाता है। इस झील में सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक नौका विहार का लुत्फ़ उठाया जा सकता है। इस झील के किनारे गगनचुंबी चीड़ के पेड़ों की छटा देखते बनती है।
इन घने पेड़ों के जंगल के बीच से ऊपर पहाड़ की ओर जाने के लिए कई रास्ते भी बने हुए हैं। मिरिक झील के पास ऊंचाई पर कुछ छोटे-छोटे मंदिरों का समूह देखने को मिलता है , इस जगह को 'देवी स्थान' के नाम से भी जाना जाता है। इस झील को सुमेंदु झील के नाम से भी जाना जाता है।
बोकार मठ:
मिरिक के मुख्य आकर्षण केंद्रों में तिब्बती बौद्ध धर्म का बोकार मठ भी है। यह मठ ध्यान और शिक्षा केंद्र के लिए प्रसिद्ध है। इस रंग-बिरंगे मठ में बौद्ध धर्म से जुड़े कई पौराणिक चित्रों को देखने का मौका मिलेगा।
चाय बागान:
वैसे तो पूरे दार्जिलिंग में आप चाय बागान का आनंद ले सकते हैं। मिरिक में भी कई चाय बागान हैं। यहां पर्यटक चाय बागान में अपने फोटो क्लिक कर सकते हैं।
रामीटेदारा:
मिरिक का यह एक मशहूर व्यू प्वाइंट है। यहां लोग सुबह सूर्योदय देखने आते हैं। यहां से सूर्यास्त देखने का अलग मजा है। इस जगह से पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों के प्राकृतिक नजारों का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
संतरा बागान:
सिलीगुड़ी से मिरिक के रास्ते में सैलानियों को संतरे के पेड़ देखने को मिल सकते हैं। यहां के लोगों का संतरे की खेती जीविकोपार्जन का मुख्य साधन है।
इन स्थानों के अलावा मिरिक में और कई प्वाइंट हैं जिनका पर्यटक आनंद उठा सकते हैं।जैसे- मिरिक के मॉनेस्ट्री, देवसीदारा व्यू प्वाइंट, मिरिक झील के पास हरे भरे मैदान इत्यादि। इसके अलावा मिरिक से सटे नेपाल की सीमा पर आप विदेशी सामानों की शॉपिंग भी कर सकते हैं।
कैसे पहुंचें ?
हवाई मार्ग से मिरिक पहुंचने के लिए निकटतम हवाई अड्डा बागडोगरा है। यहां से मिरिक की दूरी करीब 80 किमी है जिसे सड़क मार्ग द्वारा तय किया जा सकता है। सिलीगुड़ी या न्यू जलपाईगुड़ी देश के किसी भी रेलवे स्टेशन से जुड़े हुए हैं। यहां पहुंच कर टैक्सी या बस द्वारा मिरिक पहुंचा जा सकता है।
सिलीगुड़ी से मिरिक लगभग 48 किलोमीटर और दार्जिलिंग से 60 की दूरी पर स्थित है। यहां यानी मिरिक दार्जिलिंग, खर्सियांग, सिलीगुड़ी जैसे शहरों से आसानी से पहुंचा जा सकता है ।
मिरिक में ठहरने के लिए कई टूरिस्ट लॉज, कॉटेज, टेंट्स, डाक बंगला जैसी अच्छी व्यवस्था है। मिरिक जाने के लिए गर्मी का महीना सबसे अच्छा रहता है । उस दौरान अधिकतम तापमान 29 डिग्री तक जाता है , वहीं सर्दियों में अधिकतम तापमान 14 डिग्री तक रहता है। अगर आप जाड़े के मौसम में जाने का प्लान कर रहे हैं तो ऊनी कपड़े रखना न भूलें। बारिश के मौसम में मिरिक जाने का प्लान ना बनाए तो अच्छा है।