×

भारत में दूसरी सबसे लंबी दीवार, जानेंगे इतिहास तो हो जाएंगे हैरान

कुंभलगढ़ किले की दीवार करीब 36 किलोमीटर लंबी है। यह दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार है। इस दीवार की चौड़ाई करीब 15 मीटर है। कहते हैं कि इस पर एक साथ करीब 10 घोड़े दौड़ाए जा सकते हैं।

suman
Published on: 4 Jan 2021 5:46 PM IST
भारत में दूसरी सबसे लंबी दीवार, जानेंगे इतिहास तो हो जाएंगे हैरान
X
इस किले की एक खासियत यह भी है कि इस भव्य किले को वास्तव में युद्ध में कभी नहीं जीता गया था। इस पर केवल एक बार मुगल सेना द्वारा छल द्वारा कब्जा कर लिया गया था जब उन्होंने किले की पानी की आपूर्ति में जहर डाल दिया था।

जयपुर: दुनिया की सबसे लंबी दीवार चीन की दीवार है, जिसकी लंबाई करीब 6400 किलोमीटर है। जिसे दुनिया के 7 अजूबा में स्थान मिला है, लेकिन शायद कम लोग ही जानते होंगे कि चीन की दीवार के बाद दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार भारत में है।इसकी शानदार बनावट और लंबाई को देखते हुए इसे भारत की महान दीवार का दर्जा दिया गया है।

स दीवार के निर्माण से जुड़ी एक बेहद ही रहस्यमय कहानी है, जिसके बारे में जान कोई भी हैरान रह जाएगा। बता दें कि ये दीवार संस्कृति और एतिहासिक संपदा से संपन्न राज्य राजस्थान का अभिनन् अंग है।

सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र

वैसे तो आपको पता होगा कि राजस्थान का अपना एक अलग समृद्ध इतिहास है, जो इसे सैलानियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बनाता है। यहां के किले व महल अनजाने ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। वैसे तो जयपुर के आमेर फोर्ट से लेकर जैसलमेर के किले लोगों के बीच काफी प्रसिद्ध हैं, लेकिन इन्हीं के बीच कुंभलगढ़ का किला अपना एक अलग महत्व रखता है।

यह पढ़ें....आर्मी का सामान बनाने वाली फैक्ट्री से खतरनाक नक्सली गिरफ्तार, दर्ज हैं कई मुकदमें

राजसमंद जिले की शान

कुंभलगढ़ किला पश्चिमी भारत में राजस्थान राज्य के उदयपुर के पास राजसमंद जिले में अरावली पहाडि़यों के बीच स्थित है। असल में कुंभलगढ़ एक किला है, जिसे 'अजेयगढ़' भी कहा जाता था, क्योंकि इस किले पर विजय प्राप्त करना बेहद ही मुश्किल काम था। इस किले की दीवार को भेदने में मुगल शासक अकबर के भी पसीने छूट गए थे। कुंभलगढ़ किले का निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया था।

महाराणा प्रताप का जन्म

कहते हैं कि इसे बनने में 15 साल का लंबा समय लगा था। 16वीं सदी में महान शासक महाराणा प्रताप का जन्म भी इसी किले में हुआ था। कहा जाता है कि हल्दी घाटी के युद्धके बाद महाराणा प्रताप काफी समय तक इसी किले में रहे थे। इसके अलावा महाराणा सांगा का बचपन भी इसी किले में बीता था। इस किले के अंदर 360 से ज्यादा मंदिर हैं, जिनमें से 300 प्राचीन जैन मंदिर और बाकि हिंदू मंदिर हैं। हालांकि इनमें से अब बहुत सारे मंदिर खंडहर हो गए हैं।

kumbhal garah kila

किले के अंदर किला

इस किले के अंदर भी एक और किला है, जिसे 'कटारगढ़' के नाम से जाना जाता है। कुंभलगढ़ किला सात विशाल द्वारों से सुरक्षित है। किले में घुसने के लिए आरेठपोल, हल्लापोल, हनुमानपोल और विजयपाल आदि दरवाजे हैं। किले को सात विशाल द्वारों से बनाया गया है।

इस भव्य गढ़ के अंदर मुख्य भवन बादल महल शिव मंदिर , वेदी मंदिर, नीलकंठ महादेव मंदिर और मम्मादेव मंदिर हैं। इस किले की एक खासियत यह भी है कि इस भव्य किले को वास्तव में युद्ध में कभी नहीं जीता गया था। इस पर केवल एक बार मुगल सेना द्वारा छल द्वारा कब्जा कर लिया गया था जब उन्होंने किले की पानी की आपूर्ति में जहर डाल दिया था।

यह पढ़ें....Corona Vaccination: CM योगी का ऐलान, गाइडलाइन्स के अनुरूप होगा संचालित

कहते हैं ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया

ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के बारे में तो आपने सुना होगा, लेकिन कुंभलगढ़ को ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया कहा जाता है। 80 किलोमीटर उत्तर में उदयपुर के जंगल में स्थित, कुंभलगढ़ किला चित्तौड़गढ़ किले के बाद राजस्थान का दूसरा सबसे बड़ा किला है।

kumbhal

कुंभलगढ़ किला समुद्र तल से लगभग 1100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। 'अकबरनामा' और 'आइने अकबरी' जैसी प्रसिद्ध किताबें लिखने वाले अबुल फजल ने इस किले की ऊंचाई के संबंध में लिखा है कि 'यह दुर्ग इतनी बुलंदी पर बना हुआ है कि नीचे से ऊपर की तरफ देखने पर सिर से पगड़ी गिर जाती है।'

कहीं से भी क्षतिग्रस्त नहीं

कुंभलगढ़ किले की दीवार करीब 36 किलोमीटर लंबी है। यह दुनिया की दूसरी सबसे लंबी दीवार है। इस दीवार की चौड़ाई करीब 15 मीटर है। कहते हैं कि इस पर एक साथ करीब 10 घोड़े दौड़ाए जा सकते हैं। यह दीवार पहाड़ की चोटी से घाटियों तक फैली हुई है। सैकड़ों साल पहले बनने के बाद भी यह दीवार वैसा का वैसा ही खड़ा है, यह कहीं से भी क्षतिग्रस्त नहीं है।

यह पढ़ें....Gold Silver Price: फिर उछला सोने-चांदी का भाव, जानिए कितनी बढ़ी कीमतें

बेहद ही रहस्यमय कहानी

कुंभलगढ़ किले की दीवार के निर्माण से जुड़ी एक बेहद ही रहस्यमय कहानी है। कहते हैं कि सन् 1443 में महाराणा कुंभा ने जब इसका निर्माण कार्य शुरू करवाया, तो इसमें बहुत सारी अड़चनें आने लगीं। इससे चिंतित होकर राणा कुंभा ने एक संत को बुलवाया और अपनी सारी परेशानियां बताई।

उस संत ने कहा कि दीवार के बनने का काम तभी आगे बढ़ेगा, जब स्वेच्छा से कोई इंसान खुद की बलि देगा। यह सुनकर राणा कुंभा फिर से चिंतित हो गए, लेकिन तभी एक अन्य संत ने कहा कि इसके लिए वह खुद की बलि देने के लिए तैयार हैं।

china

उन्होंने कहा कि उन्हें पहाड़ी पर चलने दिया जाए और जहां भी वह रुकें, उन्हें मार दिया जाए और वहां देवी का एक मंदिर बनाया जाए। कहते हैं कि वह संत 36 किलोमीटर तक चलने के बाद रुक गए। इसके बाद वहीं पर उनकी बलि दे दी गई। इस तरह दीवार का निर्माण कार्य पूरा हो सका था।

किले को विश्व धरोहर

अरावली रेंज में फैला कुंभलगढ़ किला मेवाड़ के प्रसिद्ध राजा महाराणा प्रताप का जन्मस्थान है। यही कारण है कि राजपूतों के दिलों में इस किले के प्रति एक विशेष स्थान है। 2013 में, किले को विश्व धरोहर समिति के 37 वें सत्र में यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल घोषित किया गया था।



suman

suman

Next Story