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गुजरात दंगा: नानावती आयोग ने PM मोदी को दी क्लीन चिट
गुजरात दंगा मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जस्टिस जीटी नानावती आयोग की रिपोर्ट में क्लीन चिट मिल गई है। बुधवार को गुजरात दंगे को लेकर गठित जस्टिस जीटी नानावती आयोग की रिपोर्ट विधासनभा में पेश की गई।
नई दिल्ली: गुजरात दंगा मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जस्टिस जीटी नानावती आयोग की रिपोर्ट में क्लीन चिट मिल गई है। बुधवार को गुजरात दंगे को लेकर गठित जस्टिस जीटी नानावती आयोग की रिपोर्ट विधासनभा में पेश की गई।
राज्य के गृहमंत्री प्रदीप सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि आयोग ने तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को क्लीन चिट दिया है। साथ ही आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि तत्कालीन मंत्री हरेन पंड्या, भरत बारोट और अशोक भट्ट की किसी भी तरह की भूमिका साफ नहीं होती है। रिपोर्ट में अरबी श्रीकुमार, राहुल शर्मा और संजीव भट्ट की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं।
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गृह मंत्री प्रदीप सिंह ने कहा, 'नरेंद्र मोदी पर आरोप लगा था कि किसी भी जानकारी के बिना वो गोधरा गए थे। इस आरोप को आयोग ने ख़ारिज कर दिया है। इसके बारे में सभी सरकारी एजेंसियों को जानकारी थी।
आरोप था कि गोधरा रेलवे स्टेशन पर ही सभी 59 कारसेवकों का शवों का पोस्टमॉर्टम किया गया था। इस पर आयोग का कहना है कि मुख्यमंत्री के आदेश से नहीं बल्कि अधिकारियों के आदेश से पोस्टमार्टम किया गया था।'
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क्या है ये पूरा मामला
भीड़ ने एक मार्च 2002 को गुजरात के आणंद जिले के ओडे कस्बे के पीरवाली भगोल इलाके में एक घर में आग लगा दी थी। इस घटना में अल्पसंख्यक समुदाय के 23 सदस्य जिंदा जल गए थे।
इसमें नौ महिलाएं और इतने ही बच्चे थे। गोधरा ट्रेन अग्निकांड के दो दिन बाद यह घटना हुई थी। अग्निकांड के कारण समूचे राज्य में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी।
इसके बाद मामला कोर्ट पहुंचा जहां गुजरात उच्च न्यायालय ने 2002 के ओडे दंगा मामले में 19 लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा लेकिन तीन लोगों को बरी कर दिया। ओडे में दंगे की इस घटना के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय के 23 लोगों को जिंदा जला दिया गया था।
निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर की गयी याचिकाओं पर न्यायमूर्ति अकील कुरैशी और न्यायमूर्ति बी एन करिया की पीठ ने आज 14 अभियुक्तों को उम्रकैद के साथ ही पांच अन्य को सात साल जेल की सजा को कायम रखा।
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