TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

ऐसे मिला चंद्रयान: सच में लाजवाब है ISRO की ये तकनीक

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चीफ़ के सिवन चंद्रयान-2 को लेकर एक बड़ा बयान सामने आया है। इसरो के चेयरमेन के. सिवन ने कहा है कि लैंडर विक्रम की लोकेशन का पता लगा लिया गया है। दरअसल, ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की एक थर्मल इमेज खींची है।

Roshni Khan
Published on: 6 April 2023 10:27 PM IST
ऐसे मिला चंद्रयान: सच में लाजवाब है ISRO की ये तकनीक
X
chandrayaan-2

नई दिल्ली: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चीफ़ के सिवन चंद्रयान-2 को लेकर एक बड़ा बयान सामने आया है। इसरो के चेयरमेन के. सिवन ने कहा है कि लैंडर विक्रम की लोकेशन का पता लगा लिया गया है। दरअसल, ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर की एक थर्मल इमेज खींची है।

ये भी देखें:आशा के कुछ ऐसे नगमें, जो ताजा कर देगें बीते लम्हों की दिलचस्प यादें

इसरो के चीफ़ के सिवन का माना है कि फिलहाल इससे संपर्क नहीं हो पाया है, लेकिन वैज्ञानिक इसके लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं। हम आपको बता दें कि 6-7 सितंबर की रात 1:55 बजे लैंडर विक्रम को चांद की सतह पर उतरना था। लैंडिंग से कुछ मिनट पहले ही जब वह चांद की सतह से दो किमी. की दूरी पर था तभी कुछ तकनीकी दिक्कतों के चलते विक्रम का संपर्क मिशन कंट्रोल से टूट गया। इसके बाद लैंडर विक्रम को लेकर अनिश्चितता का दौर लगातार बना हुआ था। भारतीयों के ऊपर विक्रम की लैंडिंग का जुनून इस कदर हावी था कि लाखों लोग मोबाइल और कंप्‍यूटर के जरिए इस पलके साक्षी बन रहे थे।

ऑर्बिटर से पता चली विक्रम की लोकेशन

लेकिन अब ऑर्बिटर के जरिए इसकी लोकेशन का पता चल गया है तो यह जानना और बताना जरूरी हो गया है कि आखिर वो कौन सी तकनीक है जिसके जरिए इसका पता लगाया गया है। मिली जानकारी के मुताबिक ऑर्बिटर ने लैंडर विक्रम की थर्मल इमेज क्लिक की है। इस खबर से साथ एक बात और पुख्‍ता हो गई है कि विक्रम चांद की सतह पर लैंड करने के बाद ही किसी हादसे का शिकार हुआ है।

ये भी देखें:Ram Jethmalani : अमित शाह से इस माफ़िया डॉन तक का लड़ा केस | Newstrack

इंफ्रारेड कैमरे से ली मदद

हम बता दें कि विक्रम और ऑर्बिटर दोनों में ही इंफ्रारेड कैमरे लगे हुए हैं। ऑर्बिटर एक साल तक चांद के चक्‍कर लगाता रहेगा। इस दौरान वह इंफ्रारेड कैमरे की मदद से चांद की थर्मल इमेज भी लेगा और इसको धरती पर इसरो के मिशन कंट्रोल रूम को भेजेगा। इस तरह के कैमरे अमुक चीज से उत्‍पन्‍न गर्मी का पता लगाते हुए उसकी थर्मल इमेज तैयार करते हैं। हम आपको यहां पर ये भी बता दें कि हर चीज का अपना एक तापमान होता है। इसका ही उपयोग इस थर्मल इमेज के लिए होता है। कैमरे से निकली किरणें इस जानकारी को इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल मेंबदल देती हैं।

ये भी देखें:चांद पर कचरा! अंतरिक्ष यात्री करते हैं ऐसा काम

प्रोसेस कर सामने आती है इंफ्रारेड इमेज

कैमरे से मिली जानकारी को एक वीडियो मॉनिटर पर थर्मल इमेज बनाने और तापमान गणना करने के लिए प्रोसेस किया जाता है। इनसे ही एक तस्‍वीर उभरकर सामने आती है जो इंफ्रारेड इमेज कहलाती है। सन 1800 में पहली बार सर विलियम हेर्सल ने इन्फ्रारेड स्पेक्ट्रम की खोज की थी। हेर्सल एक खगोलविद थे और उन्होंने कई दूरबीनों का निर्माण किया था। उन्‍होंने ही स्‍पेक्‍ट्रम से निकलने वाली अलग-अलग रंगों की रोशनियों के तापमान को मापा था।



\
Roshni Khan

Roshni Khan

Next Story