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जीवन है काटों का, तू तो फुलवारी है मेरी माँ प्यारी भोली माँ......

जीवन की जननी मां,प्रथम गुरू और जीवन की पहली पाठशाला मां। यह सत्य युगों युगों से मां की महिमा के बारे में हमें बताते है साथ ही यह भी सोचने को मजबूर करते हैं कि मां जैसा दुनियां कोई नहीं है।

Vidushi Mishra
Published on: 11 May 2019 12:21 PM IST
जीवन है काटों का, तू तो फुलवारी है मेरी माँ प्यारी भोली माँ......
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लखनऊ: जीवन की जननी मां,प्रथम गुरू और जीवन की पहली पाठशाला मां। यह सत्य युगों युगों से मां की महिमा के बारे में हमें बताते है साथ ही यह भी सोचने को मजबूर करते हैं कि मां जैसा दुनियां कोई नहीं है। मां यशोदा और कान्हा के लिए सूरदास के पद बचपन से ही सुनते आए हैं सबको अपनी मां भोली लगती है।

ये भोलापन ही मां है। यह जो दुनिया है, वन है कांटो का, तू फुलवारी है, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ॥ दुखन लागी हैं माँ तेरी अँखियाँ, मेरे लिए जागी है तू सारी सारी रतिया। लेकिन मां की ममता के वो क्षण तब तब ताजा हो जाते जब कहीं मां शब्द की चर्चा उठती है।

सूरदास ने कन्हैया और मां यशोदा के प्रेम का वर्णन किया किया है।

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जसोदा हरि पालनैं झुलावै।

हलरावै, दुलराइ मल्हावै, जोइ-सोइ कछु गावै।

मेरे लाल कौं आउ निंदरिया, काहैं न आनि सुवावै।

तू काहैं नहिं बेगहिं आवै, तोकौं कान्ह बुलावै।

कबहुँ पलक हरि मूँदि लेत हैं, कबहुँ अधर फरकावै।

सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि, करि-करि सैन बतावै।

इहिं अंतर अकुलाइ उठे हरि, जसुमति मधुरैं गावै।

जो सुख सूर अमर-मुनि दुरलभ, सो नँद-भामिनि पावै।।

इसी तरह बाबा तुलसी दास ने मां कौशल्या और राम के बालपन के प्रेम को चित्रत्रित किया है।

भये प्रकट कृपाला दीनदयाला – कौशिल्या हितकारी|

हर्षित महतारी मुनिमनहारी -अद्भुत रूप निहारी ||

लोचनअभिरामा तनु घनश्यामा –निज आयुध भुजचारी|

भूषण वनमाला नयन विशाला शोभासिंधू करारी ||



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Vidushi Mishra

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