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birthday special: देश के पहले फॉर्मूला वन चालक नारायण कार्तिकेयन के बारें में जानें

भारत का प्रथम फॉर्मूला ड्राइवर बनना और इन्होंने इस सपने को जल्द ही पूरा कर दिखाया। आपको बता दें कि नारायण की पहली रेस चेन्नई के पास श्रीपेरम्बूर में हुई। जिसका नाम फॉर्मूला मारुती था इन्होंने इस रेस को 16 साल की उम्र में भाग लेकर किया था।

Shraddha Khare
Published on: 14 Jan 2021 12:29 PM IST
birthday special: देश के पहले फॉर्मूला वन चालक नारायण कार्तिकेयन के बारें में जानें
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birthday special: देश के पहले फॉर्मूला वन चालक नारायण कार्तिकेयन के बारें में जानें photos(social media)

नई दिल्ली : नारायण कार्तिकेयन भारत के एकमात्र फॉर्मूला वन चालक हैं। इन्होंने मात्र 16 वर्ष की आयु में फॉर्मूला मारुती में भाग लेकर जीत हासिल की है। इनका जन्म 14 जनवरी 1977 तमिलनाडु में हुआ था। आज वह युवाओं के लिए गति के प्रतीक हैं और खिलाड़ी के रूप में एक आदर्श माने जाते हैं। इनका पूरा नाम कुमार राम नारायण कार्तिकेयन है। 2005 में इन्होंने ऑस्ट्रेलियन ग्रान्ड प्रिक्स से अपने करियर की शुरुआत की।

भारत के प्रथम फॉर्मूला ड्राइवर

नारायण कार्तिकेयन के पिता जी आर कार्तिकेयन पूर्व भारतीय राष्ट्रीय रैली चैंपियन थे। जिसकी वजह से नारायण की कार के खेलों में रूचि बचपन से ही जाग्रत हो गई थी। इनका सपना था भारत का प्रथम फॉर्मूला ड्राइवर बनना और इन्होंने इस सपने को जल्द ही पूरा कर दिखाया। आपको बता दें कि नारायण की पहली रेस चेन्नई के पास श्रीपेरम्बूर में हुई। जिसका नाम फॉर्मूला मारुती था इन्होंने इस रेस को 16 साल की उम्र में भाग लेकर किया था। इस रेस में नारायण कार्तिकेयन ने शानदार जीत हासिल की थी।

1992 पायलट एल्फ प्रतियोगिता में सेमी फाइनलिस्ट

नारायण ने फ्रांस के एल्फ विन्फील्ड रेसिंग स्कूल से ट्रेनिंग ली और 1992 को फॉर्मूला रिनॉल्ट कार की पायलट एल्फ प्रतियोगिता में सेमी फाइनलिस्ट बने। कार रेसिंग के अलावा इन्हें स्कीट शूटिंग, फोटोग्राफी और टैनिस का भी शौक है। वह स्वयं को फिट रखने के लिए योग और मैडिटेशन करते रहते हैं। आपको बता दें कि नारायण भारत के प्रथम फॉर्मूला वन रेसर बन चुके हैं। इसके साथ उन्होंने कोयम्बटूर में स्पीड एन कार रेसिंग नाम की मोटर रेसिंग अकादमी खोली है।

Formula_Motegi race

नारायण कार्तिकेयन का करियर

1993 में नारायण कार्तिकेयन फॉर्मूला रेस में भाग लेने भारत आए। इसके साथ उन्होंने फार्मूला वॉक्सहाल जूनियर चैंपियनशिप में ब्रिटेन में भी हिस्सा लिया। यूरोपीय रेसिंग में अनुभव के बाद 1994 में ‘फार्मूला फोर्ड जेटी सीरीज' में फाउंडेशन रेसिंग टीम में नंबर दो के रूप में उन्होंने ब्रिटेन में भाग लिया। आपको बता दें कि इन्होंने उसी वर्ष एस्टोरियल रेस में जीत हासिल किया। इसके साथ इन्होंने अंतर्राष्ट्रीय रेस में हिस्सा लिया।

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