पीरियड ट्रैकर एप: लड़कियों की पर्सनल इनफार्मेशन 2 सेकंड ला देगा सामने

पीरियड्स होना आम बात है। लड़कियों की लाइफ में एक ऐसी ऐज आती है जब उसके पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। हार्मोनल चेंज की वजह से ऐसा हर लड़की के साथ होता है। 12 साल से लेकर 45 साल तक पीरियड्स होने के समय होता है। अगर आप अपनी डेट्स भूल जाते हैं तो उसमे टेंशन की बात नहीं है।

Roshni Khan
Published on: 23 April 2023 8:57 PM GMT
पीरियड ट्रैकर एप: लड़कियों की पर्सनल इनफार्मेशन 2 सेकंड ला देगा सामने
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मुंबई: पीरियड्स होना आम बात है। लड़कियों की लाइफ में एक ऐसी ऐज आती है जब उसके पीरियड्स शुरू हो जाते हैं। हार्मोनल चेंज की वजह से ऐसा हर लड़की के साथ होता है। 12 साल से लेकर 45 साल तक पीरियड्स होने के समय होता है। अगर आप अपनी डेट्स भूल जाते हैं तो उसमे टेंशन की बात नहीं है। वैसे ये हैं तो पर्सनल बातें लेकिन इसमें शर्माने की बात नहीं है।

पीरियड ट्रैकर एप से लगाए अपनी डेट का पता

जो लड़कियां या महिलाएं अपनी पीरियड्स डेट भूल जाती हैं। उनके लिए पीरियड ट्रैकर एप है। वो इससे पता कर सकती हैं। लेकिन इस एप से अब आपकी प्राइवेट बात प्राइवेट नहीं रहेगी। उसे सब पता है, आपके आखिरी पीरियड कब आए, कब वक्त से पहले आए, कब वक्त से देर से, कब आपने सेक्सै किया, कब आप प्रेग्नेंअट हुईं या नहीं हुईं।

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एक ऐप, जिसे एक दिन आपने अपनी सुविधा के लिए फोन में इंस्टॉईल किया था। खुद पीरियड की तारीख याद नहीं रहती तो सोचा कि ऐप सब याद रखेगा और याद दिलाएगा। लेकिन वो तो आपकी सारी प्राइवेट बातें फेसबुक को बता रहा है। बज फीड में छपी एक रिपोर्ट ये कह रही है।

यूके ने इस एप की पूरी छानबीन

यूके के एक एडवोकेसी ग्रुप प्राइवेसी इंटरनेशनल ने इस बात की छानबीन की और अपनी स्टहडी प्रकाशित की। ''नो बॉडीज बिजनेस बट माइन: हाउ मेन्सऔट्रुएशन एप्सड आर शेयरिंग योर डेटा'' नाम से प्रकाशित यह रिपोर्ट बताती है कि कैसे दो मेन्सुसट्रुएशन ट्रैकिंग ऐप माया और एमआईए ने लाखों औरतों के शरीर और उनके पीरियड साइकिल से जुड़ा बहुत निजी डेटा फेसबुक को बेच दिया ताकि एडवर्टाइजिंग कंपनियां इस डेटा की मदद से इन औरतों को टारगेट कर सकें।

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डेटा का बाजार और व्या पार उससे कहीं ज्या दा बड़ा है, जितना हम अपने मोबाइल और कंप्यूेटर के छोटी सी दुनिया में टहलते हुए सोच पा रहे हैं। डेटा इस दुनिया का सबसे महंगा प्रोडक्ट है। जिसके पास डेटा है, वो सबसे ज्यारदा अमीर है। दुनिया की बड़ी कंपनियों अरबों डॉलर इस डेटा को जुटाने और सुरक्षित रखने के लिए खर्च कर रही हैं।

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इस साल जुलाई में नेटफ्लिक्सच पर रिलीज हुई कैरिम एमर की डॉक्यूनमेंट्री ''द ग्रेट हैक'' वैसे तो ये फिल्मल अमेरिकन डेटा अनालिसस कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका के बारे में है कि कैसे अमेरिकन इलेक्श न से लेकर ब्रेक्जिट तक में इस कंपनी के जुटाए और फैलाए हुए डेटा ने संदेहास्पकद भूमिका निभाई थी और इस काम में उसकी मदद की थी फेसबुक ने। फेसबुक ने अपने करोड़ों यूजर्स का पर्सनल डेटा कैंब्रिज एनालिटिका को मुहैया कराया था। अगर आपको डेटा की अहमियत और गंभीरता का अंदाजा नहीं है तो ये फिल्मा देखें जो इतनी खतरनाक है कि आपके रोंगटे खड़े कर सकती है।

Roshni Khan

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