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MD-MS के सामान्य छात्रों पर एक करोड़ रुपए के बाण्ड की शर्त लागू नहीं

अपर मुख्य सचिव ने अवगत कराया कि यह सुविधा सरकारी चिकित्सकों को इसीलिए प्रदान की गयी है कि विभाग में विशेषज्ञता बढ़े और प्रदेश की जनता को इसका लाभ प्राप्त हो सके।

Shivani
Published on: 14 Dec 2020 5:09 PM GMT
MD-MS के सामान्य छात्रों पर एक करोड़ रुपए के बाण्ड की शर्त लागू नहीं
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श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊः अपर मुख्य सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने आज बताया कि मीडिया में यह भ्रामक खबर प्रसारित हुई है कि मेडिकल के सभी पी0जी0 छात्रों को स्वास्थ्य विभाग में 10 वर्ष की सेवा करनी होगी, अन्यथा उन्हें रूपए एक करोड़ की धनराशि जमा करनी होगी।

मेडिकल स्टूडेंट्स के बाॅण्ड पर भ्रामक खबरों का खंड़न

उन्होंने बताया कि यह शर्त पोस्ट ग्रेजुएशन कर रहे केवल उन छात्रों पर लागू होती है, जो पीएमएचएस संवर्ग में हैं। ऐसे डाॅक्टरों को ग्रामीण क्षेत्र में कार्य करने पर स्नातकोत्तर में प्रवेश पाने के लिए अतिरिक्त अंक दिये जाते हैं। एक वर्ष की सेवा पर अधिकतम 10 प्रतिशत, दो वर्ष की सेवा पर अधिकतम 20 प्रतिशत तथा तीन वर्ष की सेवा पर अधिकतम 30 प्रतिशत अंक दिये जाते हैं, जिसकी वजह से इन सरकारी चिकित्सकों को अपेक्षाकृत सरलतापूर्वक स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम में प्रवेश मिल जाता है।

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10 वर्षों तक विभाग में अपनी सेवाएं देना अनिवार्य होगा

अपर मुख्य सचिव ने अवगत कराया कि यह सुविधा सरकारी चिकित्सकों को इसीलिए प्रदान की गयी है कि विभाग में विशेषज्ञता बढ़े और प्रदेश की जनता को इसका लाभ प्राप्त हो सके। इसलिए यह शर्त रखी गयी है कि स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत चिकित्सक यदि सेवा के दौरान स्नातकोत्तर की पढ़ाई करने जाते हैं तो उन्हें वापस आकर 10 वर्षों तक विभाग में अपनी सेवाएं देना अनिवार्य होगा। इस शर्त का उल्लंघन करने पर उन्हें सरकार को एक करोड़ की धनराशि देनी होगी, जिसके लिए वे स्नातकोत्तर में प्रवेश लेने से पहले बान्ड भरते हैं।

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स्नातकोत्तर के वैसे छात्र, जो पूर्व से सरकारी सेवा में कार्यरत नहीं है, उन पर यह शर्त लागू नहीं होती है। एमडी/एमएस के सामान्य छात्रों के लिए एक करोड़ रूपए के बान्ड भरने की कोई व्यवस्था नहीं है। यह सिर्फ सरकारी सेवा में कार्यरत चिकित्सकों के लिए है। उल्लेखनीय है कि यह व्यवस्था वर्ष 2017 से चली आ रही है।

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