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सौ साल पुराने राम-रावण: कुछ ऐसी है इस राम लीला की कहानी
वैसे तो ब्लॉक मुख्यालय के एकाध गांव में तो रामलीला का आयोजन किया जाता है लेकिन बाराचवर ब्लॉक मुख्यालय का रामलीला अति प्राचीन होने के कारण काफी विख्यात है । रामलीला कमेटी ने बताया कि अश्विन महीने में पड़ने वाले प्रथम नवरात्रि से रामलीला शुरू होता है और विजयदशमी के दिन इसका समापन होता है।
रजनीश मिश्र
गाजीपुर: जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर स्थित विकास खंण्ड बाराचवर में दशहरे के दिन अति प्राचीन रामलीला का आयोजन किया जाता है । प्राचीन रामलीला को देखने के लिए ब्लॉक मुख्यालय के लगभग 40 से 50 गांव के लोग उस दिन का इंतजार करते हैं ।
जिस दिन दशहरे का आयोजन होता है
वैसे तो ब्लॉक मुख्यालय के एकाध गांव में तो रामलीला का आयोजन किया जाता है लेकिन बाराचवर ब्लॉक मुख्यालय का रामलीला अति प्राचीन होने के कारण काफी विख्यात है । रामलीला कमेटी ने बताया कि अश्विन महीने में पड़ने वाले प्रथम नवरात्रि से रामलीला शुरू होता है और विजयदशमी के दिन इसका समापन होता है।
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सौ सालों से किया जा रहा है आयोजन गांव के बुजुर्ग चिखुरपत पान्डे ने बताया कि ब्रिटिश हुकूमत के समय से इस गांव में रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि उस समय सिर्फ बाराचवर गांव में ही रामलीला का आयोजन किया जाता था जिसे देखने के लिए काफी संख्या में लोग आते थे ।
इद्र देव सिहं व मठाधीश रामेश्वरपुरी ने सौ साल पहले शुरू कराया था रामलीला
गांव के बुजुर्ग व शिक्षक श्री नंन्दकिशोर मिश्र व रौफ अंसारी ने बताया कि ब्रिटिश हुकूमत के समय रहे क्षेत्र के बड़े जमीदार इंद्रदेव सिंह व मठ के मठाधीश रामेश्वर पुरी के द्वारा रामलीला का आयोजन किया गया था। उस समय रामलीला के सहयोग के लिए गांव के कुछ सम्मानित व्यक्ति नवजादिक सिंह, रघुनाथ पांडे, तारकेश्वर सिंह व राजकुमार मिश्र भी सहयोग के लिए आगे आए थे। इन के सहयोग से बड़े जमीदार इंद्रदेव सिंह व मठाधीश रामेश्वर पुरी ने रामलीला का आयोजन किया।
लोग बताते है कि उस समय व्यास के लिए कंधौरा गांव निवासी राधा पांडे को नियुक्त किया गया। तब से लेकर अब तक रामलीला का आयोजन किया जाता है।
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भरत मिलाप के दिन किया जाता है नाटक का आयोजन
रामलीला समाप्त होने के बाद भरत मिलाप राजतिलक का भी आयोजन किया जाता है भरत मिलाप और राजतिलक की खुशी में दो दिन नाटक का भी आयोजन किया जाता है । जिसमें ग्रामीण बढ़-चढ़कर भाग लेते हैं।
ब्लॉक मुख्यालय बाराचवर के अतिप्राचीन रामलीला में सिर्फ ब्राम्हण ही बनते हैं राम लक्ष्मण और सीता
इस प्राचीन रामलीला में केवल ब्राह्मणों को ही राम लक्ष्मण सीता बनने के लिए बुलाया जाता है । गांव के बुजुर्ग बताते हैं कि जब रामलीला का आयोजन किया गया तो उस समय इस बात पर चर्चा हुई थी। कि रामलीला में क्यो न ब्राह्मणों को ही राम लक्ष्मण सीता बनाया जाए क्षेत्रीय लोगों के कहने के बाद । उस समय के रामलीला कमेटी ने रामलीला में केवल ब्राह्मणों को ही राम, लक्ष्मण, और सीता बनाने लगे जो अब तक इसी परम्परा को रामलीला कमेटी निभाती है ।
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इसी जगह किया जाता है राजतिलक
ब्रिटिश जमाने के बड़े जमीदार वह रामलीला के आयोजक इंद्रदेव सिंह के दरवाजे पर ही राजतिलक आयोजन किया जाता है । लोग बताते हैं कि जिस समय रामलीला का आयोजन किया गया था उस समय से अब तक हवेली नुमा बने इन्हीं के बैठाके के प्रांगण में राज तिलक का आयोजन किया जाता है।।
आज भी इन्द्रदेव सिंह के वंशज है रामलीला के आयोजक
करीब सौ साल पहले बड़े जमीदार इंद्रदेव सिंह रामलीला का आयोजन किया था और अब तक उन्हीं के वंशज ही रामलीला करवाते आ रहे हैं । रामलीला कमेटी के लोग बताते हैं कि रामलीला शुरू होने से दस दिन पहले मीटिंग किया जाता है । जिसमें गांव के लोग उपस्थित होते हैं और सर्वसम्मति से उन्हीं के परिवार के लोगों को अध्यक्ष बनाते है। कमेटी ने बताया कि स्वर्गीय जगदीश नारायण सिंह अध्यक्ष बने उनके बाद स्वर्गीय अविनाश सिंह अध्यक्ष बने और अब उन्हीं के छोटे भाई भाजपा के वरिष्ठ नेता ब्रजेंद्र कुमार सिंह रामलीला का आयोजन करवाते हैं ।