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पैदल अयोध्या रवाना हुए श्रद्धालु, इधर कोरोना का भी दिख रहा प्रभाव
गत वर्षों के अनुपात मे परिक्रमार्थियों की संख्या में है काफी कम रही तथा उत्साह भी नहीं दिखाई पड़ रहा था। उधर नदी से लेकर सड़क मार्ग के 14 कोस कोस तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं।
अयोध्या: अयोध्या 14 कोसी परिक्रमा करोना महामारी के बीच भी आस्था की डगर पर चल पड़े श्रद्धालुओं के पग। जिससे यह लगा कोरोना महामारी पर परिक्रमार्थियों की आस्था भारी है। आज शुरू हुई राम नगरी की चौदह कोसी परिक्रमा मैं श्रद्धालुओं ने जय श्री राम जय जय सियाराम सियाराम जैसे उद्घोषणा करते हुए राम मय दिखाई पड़ रहे थे। परिक्रमार्थियों मे अयोध्या के बाहर के लोगों के आने पर आने पर प्रतिबंध था इस कारण कारण इसमें स्थानीय लोगों ने हिस्सा लिया लिया।
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काफी कम रही तथा उत्साह भी नहीं दिखाई पड़ रहा था
गत वर्षों के अनुपात मे परिक्रमार्थियों की संख्या में है काफी कम रही तथा उत्साह भी नहीं दिखाई पड़ रहा था। उधर नदी से लेकर सड़क मार्ग के 14 कोस कोस तक सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं। पुलिस और पीएसी बल के साथ साथ पूरे परिक्रमा मार्ग पर जगह जगह की गई है सेक्टर मजिस्ट्रेटों की तैनाती। पौराणिक मान्यता के अनुसार सदियों से ही आज के दिन यानि कार्तिक माह की अक्षय नवमी तिथि को राम नगरी की होती रही है श्रद्धालुओं द्वारा परिक्रमा। आगामी 25 तारीख़ को एकादशी के दिन होगी पंचकोसी परिक्रमा इसी के बीच परिक्रमा के दौरान एक वृद्ध की अचानक तबियत बिगड़ने से मौत हो गई ।
ayodhya-matter (Photo by social media)
परिक्रमा के चलते सआदतगंज व सुल्तानपुर मार्ग ब्लॉक
परिक्रमा को लेकर पुलिस प्रशासन ने रूट डायवर्जन एडवाइजरी जारी की है। कोई भी वाहन परिक्रमा की परिधि में नहीं जा सकेंगे। परिक्रमा परिधि के चारों तरफ की सीमाएं सील कर दी गई है किसी तरह के वाहनों व व्यक्तियों के आने पर पूरी तरीके से प्रतिबंध लगा दिया गया जहां पर पुलिस की सारी व्यवस्था भी प्रशासन द्वारा किया गया है कहीं किसी प्रकार की अप्रिय घटना ना हो इसके लिए जिला प्रशासन ने स्वयं सारी व्यवस्थाओं का जायजा लिया है जिस श्रृंखला में में जिलाधिकारी अनुज कुमार झा के साथ के साथ कुमार झा के साथ पुलिस व प्रशासन के तमाम अधिकारी गण नजर रखे हुए हैं!
14 कोसी परिक्रमा कर रहे वृद्ध की तबियत अचानक बिगड़ गई। अस्पताल ले जाते समय वृद्ध की मौत हो गई। महाराजगंज के रहने वाले बुजुर्ग त्रियुगी नारायण पटेल चौदहकोसी परिक्रमा में शामिल हुए थे। उन्हें दीनबंधु नेत्र चिकित्सालय के पास चक्कर आ गया। तबियत बिगड़ते देख बुजुर्ग को एंबुलेंस से श्रीराम अस्पताल ले गए जहां उन्हें मृत घोषित कर दिया गया।
अयोध्या में तीन परिक्रमा की जाती हैं
अयोध्या में प्रमुख रूप से तीन परिक्रमा की जाती हैं। अक्षय नवमी को 14 कोसी और देवोत्थान एकादशी को 5 कोसी परिक्रमा। तीसरी परिक्रमा चौरासी कोस की होती है जो चैत्र पूर्णिमा से शुरू की जाती है। संकल्प करके परिक्रमा करने वालों का जन्म जन्मांतर का पाप नष्ट होता है। अयोध्या, काशी और मथुरा सभी धर्म नगरी की परिक्रमा इसी उद्देश्य की जाती है। पंचकोसी परिक्रमा पंच भौतिक शरीर को ध्यान में रखकर की जाती है।
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परिक्रमा का महत्व
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार 84 योनियां होती है और उसमें भ्रमण न करने पड़े इस उद्देश्य से चौरासी कोस की परिक्रमा की जाती है परमात्मा की प्राप्ति हो इसलिए 84 कोस की परिक्रमा की जाती है। 14 लोक होते हैं। जीवात्मा 14 लोक में भ्रमण न करे इसलिए लोग 14 कोस की परिक्रमा करते हैं। इसकी परिक्रमा करने से 14 लोकों में भ्रमण नहीं करना पड़ता और परमात्मा के लोक की प्राप्ति होती है इसलिए श्रद्धालु 14 कोस की परिक्रमा करते हैं। आस्था की डगर पे अयोध्या के एसपी सिटी की माताजी को पीआरडी का जवान परिक्रमा कराते हुए।
रिपोर्ट- नाथ बख्श सिंह
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