Sonbhadra News: जमीन गिरवी रख 17 बार कराया डायलिसिस, फिर भी नहीं बचाई जा सकी प्रसूता की जिंदगी

Sonbhadra News: प्रसूता के साथ प्रसव के दौरान कुछ इस तरह की लापरवाही बरती गई कि वह किडनी इंफेक्शन का शिकार हो गई। परिवार वालों ने उसकी जान बचाने के लिए वाराणसी के पापुलर हास्पिटल ले जाकर 17 बार डायलिसिस कराया।

Kaushlendra Pandey
Published on: 22 April 2023 9:08 PM GMT
Sonbhadra News: जमीन गिरवी रख 17 बार कराया डायलिसिस, फिर भी नहीं बचाई जा सकी प्रसूता की जिंदगी
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(Pic: Newstrack)

Sonbhadra News: जुगाड़ सिस्टम के सहारे मेडिकल स्टोर की तरह खुलते अस्पतालों/नर्सिंग होमों को लेकर चर्चित रहने वाले सोनभद्र में, एक प्रतिष्ठित नर्सिंग होम (आस्था हास्पीटल) को लेकर बड़ा खुलासा सामने आया है। आरोप है कि यहां एक प्रसूता के साथ प्रसव के दौरान कुछ इस तरह की लापरवाही बरती गई कि किडनी इंफेक्शन का शिकार हो गई। परिवार वालों ने उसकी जान बचाने के लिए वाराणसी के पापुलर हास्पीटल ले जाकर 17 बार डायलिसिस कराया। पैसे की तंगी आड़े आई तो जमीन को भी गिरवी रख दिया। बावजूद प्रसूता को बचाया नहीं जा सका और पिछले माह उसकी मौत हो गई। मामला डीएम के संज्ञान में आया तो उन्होंने जांच के निर्देश दिए। स्वास्थ्य महकमा भी एकबारगी इस तरह की शिकायत को लेकर सकते में आ गया।

सीएमओ डा. आरजी यादव की तरफ से गठित तीन सदस्यीय कमेटी ने मामले की जांच की और आस्था हास्पीटल प्रबंधन की तरफ से, प्रसूता की देखभाल-इलाज में लापरवाही बरते जाने का दावा करते हुए सीएमओ को रिपोर्ट सौंप दी। सीएमओ की तरफ से, आवश्यक कार्रवाई की संस्तुति करते हुए पत्रावली डीएम को प्रेषित कर दी गई है। माना जा रहा है कि डीएम चंद्रविजय सिंह के स्तर से जल्द ही इस मामले में बड़ी कार्रवाई सामने आ सकती है।

यह है मामला, ऐसे पहुंची डीएम तक शिकायत

राबटर्सगंज कोतवाली क्षेत्र के नरखोरिया गांव निवासी गुड़िया उर्फ मातेश्वरी को परिजन गत पांच फरवरी की रात जिला मुख्यालय स्थित आस्था हास्पीटल में प्रसव के लिए लेकर आए थे। आरोप है कि यहां पहले सामान्य तरीके से प्रसव का भरोसा देकर दो किश्तों में अच्छी रकम जमा करा ली गई। अगले दिन सुरक्षित प्रसव के लिए बड़े आपरेशन को जरूरी बताते हुए 35 हजार जमा कराए गए। आरोपों के मुताबिक प्रसव के बाद बच्चा के तो सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया लेकिन प्रसूता की यूरिन बंद हो गई। आॅपरेशन के तीसरे दिन पीलिया की बात कहते हुए, अन्यत्र के लिए रेफर कर दिया गया। परिजन श्रीराम मल्टीस्पेशियिलटी हास्पीटल, कीर्ति हास्पीटल आदि जगहों पर प्रसूता को लेकर दौड़ते रहे और वहां से उन्हें शरीर में तेजी से इंफेक्शन फैलने की बात कहकर जवाब दिया जाता रहा।

वाराणसी पहुंचा मरीज तो पता चला किडनी हो चुकी है डैमेज

प्रिवार वालों की तरफ से की गई शिकायत में लगाए गए आरोपों को सच मानें तो जब परिजन प्रसूता को लेकर वाराणसी के पापुलर हास्पीटल पहुंचे तो वहां बताया गया कि गलत आॅपरेशन से किडनी डैमेज हो गई है। वहां 17 बार डायलिसिस कराई गई। इसके एवज में पापुलर हास्पीटल में ली जाने वाली रकम की पूर्ति के लिए परिवार वालों को जमीन तक गिरवी रखनी पड़ी। बावजूद गत 16 मार्च को गुडियों की सांसें वाराणसी में ही इलाज के दौरान थम गई।

डीएम के निर्देश पर सीएमओ ने कराई जांच, तब सामने आई लापरवाही

डीएम के निर्देश पर सीएमओ ने प्राइवेट चिकित्सालयों के नोडल डा. गुलाब शंकर, डिप्टी सीएमओ डा. सुमन कुमार जायसवाल, जिला अस्पताल में तैनात डा. मोनिका सिंह की मौजूदगी वाली टीम गठित कर मामले की जांच कराई। टीम की तरफ से परिजनों के साथ ही, आस्था हास्पीटल की संचालक डा. वीणा सिंह का भी बयान दर्ज किया। गत 15 अप्रैल को सीएमओ को सौंपी रिपोर्ट में जांच टीम ने कहा कि जांच में सामने आई बातें अस्पताल की कमी दर्शाती हैं। 9 फरवरी को जब हालत ज्यादा खराब हुई, तभी मरीज को आईसीयू में भर्ती किया जाना चाहिए था या फिर एंबुलेंस के जरिए हायर सेंटर रेफर करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं किया गया और अंत में मरीज की इलाज के दौरान 16 मार्च को वाराणसी में मौत हो गई। सीएमओ डा. आरजी यादव ने जांच टीम की रिपोर्ट को आवश्यक संस्तुति के साथ डीएम को प्रेषित कर दिया गया है। वहां से जो निर्देश मिलेगा, उसके अनुरूप कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

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