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चित्रकूट में बावली की सफाई में मिले 18वीं शताब्दी के बेशकीमती औजार
ऐसी ही कुछ धरोहरें उस वक्त सामने आईं जब नगर पंचायत चित्रकूट(एमपी) ने अपने पुराने मालखाने का ताला खोला। अधिशाषी अधिकारी रमाकांत शुक्ला ने बताया कि हनुमानधारा के नजदीक बनी एक पुरानी बावली में पिछले 10-15 वर्ष पहले सफाई का कार्य हुआ था
अनुज हनुमत,नयागांव/चित्रकूट: चित्रकूट का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। यहां कई समृद्ध राजवंशों का शासन रहा और साथ ही कई प्राचीन अखाड़ों की उपस्थिति भी, जो आज भी अनवरत जारी है। यहां प्राचीन समय से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण धरोहर प्रायः मिलती रहतीं हैं जिसके सरंक्षण के प्रति भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग संजीदा नही नजर आता।
अधिशाषी अधिकारी रमाकांत शुक्ला ने बताया...
ऐसी ही कुछ धरोहरें उस वक्त सामने आईं जब नगर पंचायत चित्रकूट(एमपी) ने अपने पुराने मालखाने का ताला खोला। अधिशाषी अधिकारी रमाकांत शुक्ला ने बताया कि हनुमानधारा के नजदीक बनी एक पुरानी बावली में पिछले 10-15 वर्ष पहले सफाई का कार्य हुआ था जिससे ये सामान प्राप्त हुए थे। उस वक्त उसे दर्ज कर यहीं नगर पंचायत के मालखाने में रखा दिया गया था।
सभासद ने बताया...
अभी कुछ दिनों पहले ऐसे ही बातचीत के दौरान वहां के सभासद से चर्चा शुरू हुई जिसमें उस बात का जिक्र हुआ। उसके बाद जब मालखाने का ताला खोलकर उन चीजों की खोज शुरू की गई तो यह सामान मिला जिसे देखकर सभी आश्चर्य में पड़ गए।
उन्होंने बताया कि फिलहाल इस बात की जानकारी हमने उअच्चाधिकारियों को दे दी है लेकिन इस विषय मे पुरात्तव विभाग से फिलहाल हमारी कोई बातचीत नहीं हुई है।
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सभासद बाबू प्रजापति ने बताया..
वार्ड नं 07 से सभासद बाबू प्रजापति ने बताया कि जब दशकों पहले बावली की सफाई हुई थी तब भारी मात्रा में पुराने औजार और सामान मिले थे लेकिन इसके बाद नगर पंचायत प्रशासन द्वारा कोई कार्यवाही नहीं हुई। उन्होंने बताया कि अभी भी हनुमान धारा स्थित इस बावली में काफी सामान होगा जिससे कई रहस्यों से पर्दा उठ सकता है।
इस विषय मे तस्वीरें भेजकर जब हमने इतिहासकारों से सम्पर्क साधा तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये।
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वरिष्ठ प्रोफेसर डॉ देवी प्रसाद दुबे ने बताया...
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्रोफेसर एवं प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ देवी प्रसाद दुबे ने बताया कि बावली की सफाई से प्राप्त ये औजार और सामान खाकी अखाड़े से सम्बंधित हैं जो जिनका ठिकाना हनुमानधारा के पास था।
साथ ही उन्होंने बताया कि ये सभी औजार उन्ही के हैं और ये अठारहवीं शताब्दी के आस पास समयावधि के हैं। इस अखाड़े का अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है।
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उन्होंने कहा कि ये सभी महत्वपूर्ण धरोहरे हैं जिन्हें सरकार को सहेजकर रखना चाहिए। इन औजारों से उस समय की मौजूदा स्थिति और खाकी अखाड़े के समृद्धशाली इतिहास के विषय मे जानकारी मिलेगी।