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कैदियों को आजादीः गणतंत्र दिवस पर यूपी की जेलों में रिहाई, राज्यपाल ने दिए निर्देश

यूपी सरकार गणतंत्र दिवस पर उम्र दराज और गंभीर बीमारियों से पीड़ित करीब 500 कैदियों को रिहा करेगी। इसमें लखनऊ आदर्श जेल नारी बंदी निकेतन के अलावा वाराणसी, बरेली, आगरा, फतेहगढ़, नैनी सेंट्रल जेल के साथ ही जिला जेल से कैदी रिहा किए जाएगें।

Roshni Khan
Published on: 21 Jan 2021 10:47 AM IST
कैदियों को आजादीः गणतंत्र दिवस पर यूपी की जेलों में रिहाई, राज्यपाल ने दिए निर्देश
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कैदियों को आजादीः गणतंत्र दिवस पर यूपी की जेलों में रिहाई, राज्यपाल ने दिए निर्देश (PC: social media)

लखनऊ: हर वर्ष की तरह इस बार भी गणतंत्र दिवस के अवसर पर उम्रदराज कैदियों को रिहा किया जाएगा। प्रदेश सरकार द्वारा बनाई गई रिहाई की स्थायी नीति के तहत 16 वर्ष की वास्तविक सजा पूरी कर चुके तथा अच्छे चाल चलन वाले कैदी इसके पात्र होते हैं। इसके अलावा महिला एवं कैंसर, गुर्दा, दिल, ब्रेन ट्यूमर आदि गम्भीर बीमारियों के कैदियों को खास तरजीह दी जाती है। इसके अलावा 80 वर्ष या उससे अधिक की उम्र के पुरुष कैदी रिहाई के पात्र होंगे।

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डीजी जेल ने रिहाई के पात्र कैदियों का ब्यौरा शासन को भेजा है

यूपी सरकार गणतंत्र दिवस पर उम्र दराज और गंभीर बीमारियों से पीड़ित करीब 500 कैदियों को रिहा करेगी। इसमें लखनऊ आदर्श जेल नारी बंदी निकेतन के अलावा वाराणसी, बरेली, आगरा, फतेहगढ़, नैनी सेंट्रल जेल के साथ ही जिला जेल से कैदी रिहा किए जाएगें। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के निर्देश पर डीजी जेल ने रिहाई के पात्र कैदियों का ब्यौरा शासन को भेजा है।

आनन्दी बेन पटेल पहुंची तो उन्होंने वहां ऐसे कैदियों की हालत को देखा

उल्लेखनीय है कि गत 21 नवंबर को नारी बंदी निकेतन की महिला कैदियों साथ जन्मदिन मनाने जब राज्यपाल आनन्दी बेन पटेल पहुंची तो उन्होंने वहां ऐसे कैदियों की हालत को देखा। इसे देखकर वह भावुक हो गयी। इसके बाद हर कारागार से ऐसे कैदियों का व्यौरा मांगा गया जिसके बाद प्रदेश की जेलों से करीब 800 कैदियों के मामले संज्ञान में आये थे। इनमें से रिहाई के मानक पूरे करने वाले 500 कैदी पात्र पाए गए। इन सभी 500 कैदियों का ब्यौरा शासन को उपलब्ध करा दिया गया है।

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बतातें चलें कि संविधान के अनुछेद 161 के तहत सजायाफ्ता कैदियों को समय से पहले रिहाई का अधिकार राज्यपाल को है, लेकिन इसके लिए कुछ मानक तय हैं। इसमें नरसंहार और सामूहिक हत्या जैसी जघन्य वारदात को अंजाम देने के मामले में दोषसिद्ध बंदियों को शामिल नहीं किया गया है। इसी कड़ी में इस बार गणतंत्र दिवस पर दया याचिका के आधार पर समय पूर्व दोष सिद्ध कैदियों को रिहा किया जाता है।

रिपोर्ट- श्रीधर अग्निहोत्री

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