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रामनवमी पर मूल जन्मस्थान पर नहीं विराजेंगे रामलला, जानिए क्यों?

लगभग 70 साल बाद रामलला अपने मंदिर से बाहर निकलेंगे। बता दें कि 22-23 दिसंबर 1949 की रात में सर्दी और कोहरे के बीच रामलला उस ऐतिहासिक इमारत में दाखिल हुए थे जो 6 दिसंबर 1992 को टूटा था तो रामलला को किसी तरह सुरक्षित निकाल लिया गया। उसी शाम गर्भगृह के मलबे पर रामलला को तिरपाल के नीचे स्थापित कर दिया गया था।

suman
Published on: 2 March 2020 10:36 AM IST
रामनवमी पर मूल जन्मस्थान पर नहीं विराजेंगे रामलला, जानिए क्यों?
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अयोध्या : लगभग 70 साल बाद रामलला अपने मंदिर से बाहर निकलेंगे। बता दें कि 22-23 दिसंबर 1949 की रात में सर्दी और कोहरे के बीच रामलला उस ऐतिहासिक इमारत में दाखिल हुए थे जो 6 दिसंबर 1992 को टूटा था तो रामलला को किसी तरह सुरक्षित निकाल लिया गया। उसी शाम गर्भगृह के मलबे पर रामलला को तिरपाल के नीचे स्थापित कर दिया गया था। तब से सुप्रीम कोर्ट के आदेश से तिरपाल तो कई बदले लेकिन रामलला की जगह नहीं बदली। रामलला वहीं विराजमान रहे।

अब 70 साल और लगभग तीन महीने बाद रामलला पास में ही बने छोटे से फाइबर मंदिर में 'शिफ्ट' होंगे। रामलला का स्थायी भव्य मंदिर बनने में तो अभी बरसों लगेंगे। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के महासचिव चंपत राय के मुताबिक वासंतिक नवरात्रों में रामलला को नए 'मेकशिफ्ट मंदिर' में पहुंचा दिया जाएगा। 25 मार्च से रामलला वहीं दर्शन देंगे। 70 सालों में ये पहली रामनवमी होगी जब रामलला मूल जन्मस्थान से थोड़े अलग हटकर रहेंगे।

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25 फीट की दूरी से रामलला के दर्शन

खबरों के अनुसार, रामलला का नया मंदिर सुरक्षा घेरे से थोड़ा नजदीक होगा। जिससे भक्तों के चक्कर कम होंगे और दर्शन जल्दी हो जाया करेगा। इस तरह अब दर्शनार्थियों को भी आसानी होगी। अब श्रद्धालुओं और भक्तों को एक किलोमीटर की जगह सिर्फ आधा किलोमीटर ही पैदल चलना पड़ेगा। श्रद्धालु करीब 25 फीट की दूरी से रामलला के दर्शन कर सकेंगे।

राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा कि अगामी 25 मार्च यानी चैत्र नवरात्र के पहले दिन से अयोध्या स्थित 'नए स्थान' पर रामलला के दर्शन किए जा सकेंगे। रामलला को अस्थाई मंदिर में शिफ्ट करने से पहले सेवा पूजा के सभी इंतजाम करने के लिए प्रशासन को 15 दिनों का वक्त दिया गया है। दिल्ली में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र में आयोजित अयोध्या पर्व के समापन समारोह में चंपत राय ने कहा कि मौजूदा समय में रामलला के दर्शन 52 फीट की दूरी से एक या दो सेंकड के लिए लोग कर पाते हैं, लेकिन अब नई व्यवस्था में यह दूरी घट कर 25-26 फीट रह जाएगी।

भक्तों को मिलने वाली सुविधाओं के बारे में चंपत राय ने कहा कि भक्त एक से दो मिनट तक रामलला के दर्शन का लाभ ले सकें इसका भी ध्यान रखा जा रहा है। बड़ी तादाद में एकसाथ लोग रामलला की मंगला, राजभोग, संध्या और शयन आरतियों में भी शामिल हो सकें इसका भी समुचित इंतजाम होगा।

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ट्रस्ट की निर्माण समिति की बैठक

29 फरवरी को अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की निर्माण समिति की बैठक हुई। इसकी अध्यक्षता समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्रा ने की। बैठक के बाद उन्होंने गर्भगृह व मंदिर परिसर का दौरा भी किया। उनके साथ भारत सरकार की कंपनी नेशनल बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन कॉर्पोरेशन यानी एनबीसीसी के पूर्व चेयरमैन व सीएमडी अरुण कुमार मित्तल और निजी क्षेत्र की निर्माण कंपनी लारसन एंड टूब्रो के प्रमुख इंजीनियर दिवाकर त्रिपाठी भी मौजूद थे।

राम मंदिर के निर्माण के लिए 30 साल पहले ही शिलान्यास किया जा चुका है। सिर्फ यहां अब भूमिपूजन किया जाएगा। क्योंकि निर्माण के लिए तय भूमि की कीमत बढ़ गया है। इसलिए यह कार्य वृहद रूप से कैसे संपन्न होगा इसका खाका तैयार किया जा रहा है।

हर गुणवता की जांच

भूमिपूजन के मौके पर या फिर आए दिन होने वाले अन्य उत्सवों पर देश-विदेश से चलकर रामलला के दर्शन करने अयोध्या आने वाले श्रद्धालुओं की पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था करना हमारी प्राथमिकता रहेगी। यहां रामनवमी, हनुमान जयंती, अक्षय तृतीया, एकादशी और पूर्णिमा जैसे कई अवसर आते हैं जब 15-20 लाख लोग अयोध्या आते हैं। वे भगवान के दर्शन और पूजन आसानी से कर सकें, यह हमारा पहला दायित्व है। मंदिर के स्वरूप और निर्माण की तकनीक के बारे में चंपत राय ने कहा कि चूंकि का निर्माण किया जाना है जिसकी उम्र कम से कम 500 साल हो, इसलिए मिट्टी की गुणवत्ता की हर नजरिए से परख और जांच होनी जरूरी है। ये काम तकनीकी विशेषज्ञों की टीम कर रही है।



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