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योगी पर विपक्ष के इस नेता का बड़ा आरोप, कहा 144 के बिना सरकार नही चल पा रही है
समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार शाम को ट्विट करके कहा है कि यूपी की राजधानी लखनऊ में भाजपा सरकार की पुलिस द्वारा सीएए का विरोध...
लखनऊ। समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने रविवार शाम को ट्विट करके कहा है कि यूपी की राजधानी लखनऊ में भाजपा सरकार की पुलिस द्वारा सीएए का विरोध करने वालों का खाना-पानी और कंबल छीन कर ले जाना, शांतिपूर्ण विरोध के संवैधानिक अधिकार का घोर हनन है।
ये निरंतर अलोकप्रिय होती जा रही भाजपा की बढ़ती हताशा का प्रतीक है। सपा अध्यक्ष ने बयान जारी कर कहा है कि भाजपा सरकार ने राज्य में ऐसी पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की है कि राजधानी में ही पुराने लखनऊ के घण्टाघर पर सीएए और एनपीआर के विरोध में सैकड़ों महिलाओं द्वारा धरना-प्रदर्शन के समय कंपकंपाती ठण्डी रात्रि में उनके कम्बल छीन लिए गए।
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शौचालय पर ताला लगा दिया गया। प्रदर्शन स्थल की लाइटें काट दी गई। महिलाओं के साथ बच्चे भी थे उन पर भी इस सरकार को तरस नहीं आया। यह सरकार की असंवेदनशीलता की पराकाष्ठा है। अब सब भाजपा से जल्दी मुक्ति के इंतजार में है।
यूपी में राज्यपाल को स्थिति सुधरी नजर आ रही
अखिलेश ने कहा कि यूपी की राज्यपाल को प्रदेश में कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरी नजर आती है लेकिन हकीकत में ‘उनकी सरकार‘ बिना 144 धारा के सहारे एक कदम नहीं चल पा रही है।
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यह सब तब हो रहा है जब सर्वोच्च न्यायालय इस पर टिप्पणियां कर चुका है कि अनावश्यक तौर पर धारा 144 लागू करना नागरिक स्वतंत्रता पर प्रहार करना है। विरोधी सुरों को बेमियादी समय तक दबाने के लिए इसका इस्तेमाल नहीं हो सकता है।
सरकार लगातार धारा 144 लागू कर नागरिक स्वतंत्रता का हनन कर रही है
इसकी व्यवस्था हिंसा और सार्वजनिक सुरक्षा पर खतरे की आशंका में ही किसी क्षेत्र विशेष में होनी चाहिए। लेकिन उत्तर प्रदेश की सरकार लगातार धारा 144 लागू कर नागरिक स्वतंत्रता का हनन करने पर तुली है। उन्होंने इसे सर्वोच्च न्यायालय और संविधान दोनों की उपेक्षा बताया है।
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सपा मुखिया ने राज्यपाल से सवाल किया है कि जब प्रदेश में कानून व्यवस्था सुधरी हुई है तो राजधानी में धारा 144 किस प्रयोजन से लगाई जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल को भाजपा सरकार से इस पर जवाब तलब करना चाहिए, अकारण धारा 144 लगाए रखना तोकतंत्र में स्वस्थ परम्परा नहीं कही जा सकती है।
अखिलेश ने कहा कि लगता है सरकार के समक्ष कोई संवैधानिक संकट है। असहमति लोकतंत्र में स्वाभाविक तत्व है। जनता की आवाज को दबाने के लिए सत्ता का दुरूपयोग अलोकतांत्रिक और अवांछनीय कृत्य है।