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विवादों के बीच नेपाली सांसद से मिले अखिलेश, इस मुद्दे पर हुई चर्चा

नेपाली सांसद ने सपा मुखिया को बताया कि बीपी कोइराला राजनीतिक स्तर पर लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के लिए आर्थिक विकास के पक्षधर थे।

Aradhya Tripathi
Published on: 25 Jun 2020 9:47 PM IST
विवादों के बीच नेपाली सांसद से मिले अखिलेश, इस मुद्दे पर हुई चर्चा
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लखनऊ: भारत-चीन सीमा विवाद और इसमें नेपाल के भारत विरोधी कार्यों के बीच समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा है कि नेपाली जनता की मैत्री भारत के लिए बहुत-महत्वपूर्ण है। नेपाल के सांसद अभिषेक प्रताप सिंह से मुलाकात के दौरान सपा अध्यक्ष ने कहा कि भारत-नेपाल के ऐतिहासिक-सामाजिक रिश्तों को प्रगाढ़ बनाने के लिए उनके बीच-सद्भाव और सहयोग की भावना बढ़ाना चाहिए।

नेपाली सांसद ने की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाक़ात

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से नेपाल के सांसद अभिषेक प्रताप शाह ने गुरुवार को भेंटकर उन्हें नेपाल में लोकतंत्र की स्थापना के लिए सतत संघर्षरत रहे पूर्व प्रधानमंत्री बीपी. कोइराला के जीवन पर किरन मिश्रा द्वारा लिखित पुस्तक ‘बीपी कोइराला-लाइफ ऐंड टाइम्स‘ भेंट की। नेपाली सांसद ने सपा अध्यक्ष को बताया कि बीपी कोइराला के भारतीय नेताओं से प्रगाढ़ सम्बंध थे और भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी उन्होंने भाग लिया था। बीपी कोइराला को एक क्रांतिकारी राजनेता, सामाजिक कार्यकर्ता और प्रखर लेखक के रूप में याद किया जाता है।

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उन्होंने भारत की जेलों में 4 वर्ष, नेपाल की जेलों में 11 वर्ष और 7 वर्ष निर्वासन में बिताए। राजनीतिक जीवन की उथल-पुथल के बीच उन्होंने कई उपन्यास भी लिखे। नेपाली सांसद ने बताया कि भारत में आपातकाल से बीपी कोइराला इतने विचलित थे कि उनका कहना था कि नेपाल में राजशाही में रहना बेहतर होगा बजाय भारत में लोकतांत्रिक महारानी के राज में। उन्होंने तमाम खतरों के बावजूद भी नेपाल जाने का निश्चय किया था।

लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के लिए आर्थिक विकास के पक्षधर थे कोइराला

नेपाली सांसद ने सपा मुखिया को बताया कि बीपी कोइराला राजनीतिक स्तर पर लोकतंत्र और सामाजिक न्याय के लिए आर्थिक विकास के पक्षधर थे। वे मानते थे कि गरीबी को दूर किए बगैर राजनीतिक आजादी बेमानी होगी। वे नेपाल में सामंती तत्वों और राजतंत्र के विरोध में सतत संघर्षशील रहे। वे देशी संसाधनों के बल पर विकास को गति देना चाहते थे जबकि सामंतशाही विदेशी मदद चाहती थी। वे लोकतंत्र में जनता की भागीदारी के प्रबल समर्थक थे। उन्होंने बताया कि बीपी कोइराला भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में भी सक्रिय रहे थे। जब वह कक्षा 9 के छात्र थे तभी ब्रिटिश राज के खिलाफ एक आतंकवादी गुट में शामिल हो गए।

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सविनय अवज्ञा आंदोलन में भी वे शामिल रहे।1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्हें 6 महीने बिहार की बांकीपुर जेल में रखा गया। जयप्रकाश नारायण और लोहिया उनके निकट मित्र थे। वह पहले कम्युनिस्टों के सम्पर्क में आए लेकिन उनका मन वहां नहीं रमा। वे कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी में सक्रिय हुए और इसके बाद नेपाल में जनतंत्रीकरण की तरफ मोर्चा खोला और नेपाली राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना की। उन्हें कई बार राणाशाही ने गिरफ्तार किया जेल यंत्रणाएं दी पर वह डटे रहे। नेपाल में राणाशाही समाप्त होने पर वर्ष 1959 में बीपी कोइराला नेपाल के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री बने तथा 21 जुलाई 1982 को उनका निधन हो गया।

Aradhya Tripathi

Aradhya Tripathi

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