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राष्ट्रीय संपत्ति बेचकर सत्ता सुख भोगने वाली सरकार का है बजट: अखिलेश यादव
केंद्र सरकार के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में सांसद व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने इस बजट के माध्यम से कई राज्यों में होने वाले आगामी चुनावों की तैयारी की है। भाजपा ने देश के कारपोरेट घरानों को भाग्य नियंता बना दिया है।
लखनऊ: केंद्र सरकार के बजट प्रस्ताव को समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने निराशाजनक बताया है और कहा कि केन्द्रीय वित्तमंत्री के बजट में गरीबों, महिलाओं, किसानों, नौजवानों और मध्यम वर्ग के लोगों को राहत के नाम पर कुछ मिला नहीं, कर्ज और राष्ट्रीय सम्पत्ति बेचकर सत्ता सुख भोगने का जुगाड़ अवश्य करने की साजिश को परवान चढ़ाया गया है। उन्होंने सवाल उठाया है कि क्या इस बजट से 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बन सकेगी?
बजट के माध्यम से चुनावों की तैयारी में है बीजेपी सरकार
केंद्र सरकार के बजट पर अपनी प्रतिक्रिया में सांसद व समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने इस बजट के माध्यम से कई राज्यों में होने वाले आगामी चुनावों की तैयारी की है। भाजपा ने देश के कारपोरेट घरानों को भाग्य नियंता बना दिया है। रेल, रोड, पुल, बीमा, बंदरगाह, एयरपोर्ट और बैंक तक को बेचने की तैयारी है। 100 सैनिक स्कूल खुलेंगे उनमें भी एनजीओ का सहयोग लेने की बात है। यह सैनिक स्कूलों में आरएसएस को प्रवेश दिलाने की तैयारी है।
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किसानों से तो भाजपा का पुराना बैरभाव
उन्होंने कहा कि किसानों से तो भाजपा का बैरभाव पुराना है। किसान दिल्ली बार्डर पर महीनों से आंदोलनरत है। लगभग 200 किसान शहीद हो गए हैं। किसान एमएसपी की अनिवार्यता और कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं। भाजपा सरकार को उनकी मांगे मान लेनी चाहिए। देश की जनता की भावनाएं किसानों के साथ हैं। जनता जानती है कि अर्थव्यवस्था की रीढ़ खेती है। भाजपा सरकार जितनी मदद उद्योगपति मित्रों की कर रही है, उतनी किसानों की कभी नहीं रही। बजट में कृषि के काम आने वाले डीजल पर 4 रूपये और पेट्रोल पर 2.50 रूपये प्रति लीटर कृषि सेस लगा दिया गया है। यूरिया, डीएपी खाद मंहगी कर दी गई है। 2022 आने में दस माह ही बचे है लेकिन अभी तक किसानों की आय दुगनी करने की कोई ठोस योजना सामने नहीं आई पर कृषि सुधार का ढोंग खूब है।
नौजवानों के लिए रोजगार पर सरकार चुप
नौजवानों के लिए रोजगार के अवसरों पर सरकार चुप है। होटल, परिवहन, सेवा क्षेत्र, हास्पिटैलिटी सेक्टर कोरोना की मार से अभी उबर नहीं पाए हैं सरकार ने उनको कोई राहत नहीं दी जबकि वे रोजगार का बड़ा सहारा बनते हैं। टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं हुआ और वरिष्ठ नागरिकों को भी सिर्फ बहकाने का काम किया गया है।
भाजपा की पूंजीघरानों के प्रति पक्षपाती नीति का इससे बड़ा सबूत और क्या होगा कि प्रधानमंत्री जी ने नोटबंदी के समय टैक्स चोरी के मामलों के कई पुश्तों तक के रिकार्ड निकालने का वादा किया था परन्तु अब 3 साल पर आकर उनकी सुई अटक गई है। इससे पहले के कर चोर अवश्य खुशहाल रहेंगे। कारपोरेट घरानों को बराबर टैक्स में छूट दी जाती रही है जबकि आम आदमी 35 प्रतिशत टैक्स अदा कर रहा है।
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उन्होंने कहा कि सरकारी कंपनियों के निजीकरण के साथ ही नौकरियों में आरक्षण भी खत्म हो जाएगा। भाजपा की केन्द्र सरकार ने राष्ट्रीय सम्पत्तियों को बड़े पूंजीघरानों के हाथों में बंधक रखने के साथ उनकी खुशहाली के सभी सम्भव रास्ते खोलने का संकल्प लिया है। वह खेती-गांव गरीब का सफाया करने पर तुली है।
अखिलेश तिवारी