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मुलायम के सियासी तरीकों से सपा को मजबूत करेंगे अखिलेश

अखिलेश अब सपा के वरिष्ठ दिग्गजों से न केवल मेल-मुलाकात कर रहे है बल्कि वह उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों व जातियों के संबंध में राय-मशवरा भी कर रहे है।

Aditya Mishra
Published on: 30 Aug 2019 9:55 PM IST
मुलायम के सियासी तरीकों से सपा को मजबूत करेंगे अखिलेश
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मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: लोकसभा चुनाव 2019 में करारी शिकस्त और बसपा सुप्रीमों मायावती के झटके से अपनी पार्टी कार्यकर्ताओं के गिरे मनोबल को ऊंचा करने के लिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अब अपने पिता मुलायम सिंह यादव के सियासी तौर-तरीकों को अमल में लाने जा रहे है।

अखिलेश अब सपा के वरिष्ठ दिग्गजों से न केवल मेल-मुलाकात कर रहे है बल्कि वह उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों व जातियों के संबंध में राय-मशवरा भी कर रहे है।

पार्टी में अंदरखाने यह चर्चा भी चल रही है कि मुलायम को यूपी की राजनीति में मुकाम दिलाने वाले कई ऐसे सपा दिग्गजों की वापसी की राह बना रहे है, जो पार्टी की कमान अखिलेश के हाथों में आने के बाद से हाशिये पर चले गये थे और स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे थे।

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ऐसे ही सपा के वरिष्ठ दिग्गज नेता और मुलायम के पुराने साथी रहे बेनी प्रसाद वर्मा से मिलने अखिलेश उनके घर पहुंच गये। अखिलेश और बेनी की बीच करीब एक घंटा तक बातचीत हुई, बताया जा रहा है कि इस दौरान अखिलेश ने बेनी से बाराबंकी की जैदपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव की चर्चा भी की।

मुलायम सिंह यादव की तर्ज पर अखिलेश करेंगे ये काम

दरअसल, सपा की कमान अखिलेश के हाथ में आने के बाद से पार्टी में केवल एक जाति विशेष का ही वर्चस्व था लेकिन अब अखिलेश अपने पिता मुलायम सिंह यादव की तर्ज पर सभी जाति और समुदायों को उचित सम्मान और स्थान देने के हामी हो गये है।

सपा के सभी संगठनों को भंग करने के पीछे भी यही मंशा बतायी जा रही है। अब सपा की पार्टी संगठन और अन्य फ्रंटल संगठनों में भी न केवल वरिष्ठ सपाईयों और सभी जातियों को प्रतिनिधित्व दिया जायेगा।

सपा के एक पूर्व पदाधिकारी के मुताबिक अखिलेश यादव युवाओं में लोकप्रिय चेहरा है लेकिन वरिष्ठों के मामले में वह पीछे रह जाते है। इस बार वरिष्ठों को उचित प्रतिनिधित्व और सम्मान दे कर सपा को आगे बढ़ाने की योजना है।

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मायावती के दलित वोट बैंक पर नजर

इसके साथ ही अखिलेश को अब भाजपा के साथ-साथ बसपा से भी हिसाब बराबर करना है, जिसके लिए वह दलितों के मुददों पर भी मुखर हो रहे है। दिल्ली में संत रविदास मंदिर की घटना में अखिलेश ने जिस तरह आक्रामक रूख अख्तियार किया उससे साफ है कि अब वह मायावती के दलित वोट बैंक पर भी नजर रखे हुए है।

अभी हाल ही में अखिलेश यादव ने बसपा के पूर्व राज्यमंत्री घूरा राम व फूलन सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष गोपाल निषाद समेत कई पिछड़े और दलित नेताओं को सपा में शामिल किया है।

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Aditya Mishra

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