×

पुलिस की सरपरस्ती में बिहार पहुंच रही शराब

seema
Published on: 2 Aug 2019 1:11 PM IST
पुलिस की सरपरस्ती में बिहार पहुंच रही शराब
X
पुलिस की सरपरस्ती में बिहार पहुंच रही शराब

पूर्णिमा श्रीवास्तव

गोरखपुर : हरियाणा से तस्करी कर कुशीनगर और देवरिया जिले को छूने वाले बिहार बार्डर तक शराब लाने वाले ट्रक 20 से अधिक जिलों को क्रॉस करते हुए मंजिल तक पहुंचते हैं, लेकिन पकड़े जाते हैं देवरिया, कुशीनगर या फिर बलिया में। आबकारी विभाग के जिम्मेदार दबी जुबान में मानते हैं कि रोज 20 से अधिक शराब भरे ट्रक बिहार बार्डर को क्रॉस करते हैं। ऐसा नहीं कि बार्डर पर शराब की बरामदगी नहीं हो रही। हकीकत यह है कि बार्डर के जिलों में उतना ही माल पकड़ा जा रहा है जितना वहां के थानों में तैनात दागी पुलिस वालों की मर्जी होती है।

पकड़ी जाने वाली शराब से गोरखपुर से लेकर बिहार बार्डर के जिलों के थानों के गोदाम भरे हुए हैं जबकि ये बिहार पहुंचाई जा रही शराब का पांच फीसदी भी नहीं हैं। दरअसल, बिहार में शराबबंदी के बाद खाकी और खादी की जुगलबंदी ने बिहार में शराब कारोबार की समानान्तर व्यवस्था बना दी है। पुलिस और आबकारी विभाग के अधिकारी स्वीकारते हैं कि गोरखपुर और बलिया बार्डर से हर महीने 50 से 60 करोड़ से अधिककी शराब बिहार पहुंच रही है।

थाना प्रभारी करा रहे थे तस्करी

कुशीनगर में आईजी की जांच में साफ हुआ है कि कसया थाना प्रभारी सुनील राय अपनी भाभी के नाम से पंजीकृत स्कार्पियो से शराब की तस्करी करा रहे थे। सुनील राय की दबंगई का आलम ये था कि जो शराब खुद क्षेत्राधिकारी ने पकड़ी थी, उसे ही वह चंद घंटों बाद बिहार पहुंचाने में जुट गए। दरअसल, कुशीनगर में सीओ तमकुहीराज राणा महेंद्र प्रताप ने 23 जुलाई को कसया रोडवेज परिसर में खड़े एक ट्रक से शराब बरामद की थी। थानाध्यक्ष ने कागजी कोरम पूरा करने के बजाय बरामद हुई शराब अपनी भाभी की स्कॉर्पियो में लादी और बार्डर पार कराने की कवायद में जुट गए।

इसकी सूचना क्षेत्राधिकारी को हुई तो कसया थाने के अलावा एसओजी टीम ने पहुंचकर स्कॉर्पियो को अपने कब्जे में ले लिया। इस दौरान पुलिस की ये दोनों टीमें आमने-सामने हो गईं। उधर, एसओ की गाड़ी से अवैध शराब बरामद होने की खबर सोशल मीडिया में वायरल हो गई। आईजी तक मामला पहुंचा तो वह उसी रात 10 बजे कसया पहुंच गए। एसएचओ सुनील कुमार राय व स्वाट प्रभारी उमेश कुमार से अलग-अलग जानकारी लेने के बाद उन्होंने मामले की जांच का जिम्मा एएसपी गौरव वंशवाल को सौंप दिया। एसओ सुनील राय इसके बाद भी बेखौफ दिखा। पकड़े गए शराब तस्कर मनीष सिंह को थाने से ही छोड़ दिया गया। एसओ पर आरोपों की पुष्टि एएसपी की जांच रिपोर्ट में हुई है। आईजी जयनारायन सिंह का कहना है कि जांच में प्रथम दृष्टया थानेदार दोषी मिले हैं। स्कार्पियो थानेदार के भाई की पत्नी के नाम है। दो तस्करों को भी छोडऩे का आरोप सही है। रिपोर्ट लखनऊ पुलिस मुख्यालय भेज दी गई है। उधर, शराब तस्करी में संलिप्त लाइन हाजिर थानाध्यक्ष सुनील राय अजीबोगरीब दलील दे रहे हैं। उनका कहना है कि कुशीनगर के तुर्कपट्टी के पास मनीष की ससुराल है। इसीलिए उसे उसके ससुर की सुपुर्दगी में दे दिया गया था। वहीं ससुराल वालों की दलील है कि मनीष बीते 26 जून को वैवाहिक कार्यक्रम में आया था जिसके बाद वह नहीं आया।

यह भी पढ़ें : इन बड़े मुद्दों पर निर्मला सीतारमण करेंगी मीटिंग, ये CEO रहेंगे मौजूद

विधानसभा में उठा मामला

तमकुही राज के विधायक अजय कुमार लल्लू ने इस मामले को विधानसभा में जोरदार ढंग से उठाया। विधायक का कहना है कि बार्डर के थानों में तैनात कई दरोगाओं की गतिविधियां संदिग्ध हैं। पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए। करोड़ों कीमत की शराब रोज बार्डर पार भेजी जा रही है। अफसर खामोश हैं। आरोपी थानेदार की मोबाइल कॉल डिटेल की जांच से कई राजफाश हो सकते हैं।

चौकी इंचार्ज ने तस्कर को फरार कराया

कुशीनगर में एसओ की गाड़ी से शराब मिलने की खबर के बीच पड़ोसी जिले में एक चौकी इंचार्ज ने शराब तस्कर को फरार करा दिया। एसपी ने जेल चौकी प्रभारी श्यामलाल निषाद को निलंबित करके उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया। इसके बाद से चौकी इंचार्ज लापता है। एसपी डॉ. श्रीपति मिश्र का कहना है कि प्रथम दृष्टया चौकी इंचार्ज की भूमिका संदिग्ध दिख रही है।

रोज बिहार पहुंचाई जा रही 20 ट्रक शराब

बिहार में शराबबंदी के बाद शराब तस्करों ने पुलिस और राजनीतिक सरंक्षण में समानांतर आबकारी विभाग सरीखा सिस्टम खड़ा कर लिया है। अफसरों के मुताबिक कुशीनगर से देवरिया होते हुए रोज 18 से 20 ट्रक बिहार पहुंचाई जा रही है। एक ट्रक में 22 से 25 लाख रुपए कीमत की शराब लादी जाती है। इसमें प्रति ट्रक पुलिस का हिस्सा 2 लाख के आसपास होता है। हरियाणा से लेकर गोरखपुर होते हुए बिहार बार्डर तक हाईवे पर लगने वाले थानों की सेटिंग का काम शराब तस्करी में लिप्त दारोगा मनीष सरीखे तस्करों के जरिए कराते हैं। दिखावे के लिए पखवाड़े में एक - दो बार छोटी पिकप या लग्जरी गाडिय़ों से शराब की बरामदगी दिखा दी जाती है। बिहार में शराबबंदी में बाद जितने भी ट्रक या छोटी गाडिय़ों की बरामदगी हुई है, उनका नंबर प्लेट फर्जी मिला है। आबकारी विभाग के एक बड़े अफसर बताते हैं कि हरियाणा से ड्राइवर करीब दर्जन भर फर्जी नंबर प्लेट लगाकर चलते हैं। प्रत्येक जिले के बार्डर पर इनका नंबर प्लेट बदल जाता है।

यह भी पढ़ें : भगोड़ा विजय माल्या की अपील पर SC आज करेगा सुनवाई

सेना की आड़ में शराब की तस्करी

देवरिया में शराब से लदी जिस गाड़ी को पकड़ा गया था उस पर आर्मी ऑन ड्यूटी लिखा हुआ था। पुलिस ने गाड़ी रुकवाई तो ड्राइवर एवं खलासी ने बताया कि कानपुर से छपरा बिहार आर्मी का सामान ले जाया जा रहा है। इसके कागजात भी चालक ने दिखाए। पुलिस ने जब वाहन की तलाशी ली तो उसमें भारी मात्रा में शराब पाई गई। ड्राइवर एवं खलासी के नाम संदीप सिंह और सलमान उर्फ सल्लू निवासीगण पिपली, जिला जजोडी हरियाणा बताया। करीब 17 लाख कीमत की शराब लेकर पुलिस जेल रोड चौकी पहुंची। वहां चौकी इंचार्ज श्यामलाल निषाद की अभिरक्षा से सलमान उर्फ सल्लू फरार हो गया। दरअसल, माफिया ने शराब को थाने और चौकी की सीमा से निकालने के लिए खास सिपाहियों को जिम्मेदारी सौंपी है। वह अपनी सेटिंग से अन्य पुलिसवालों को इसमें शामिल करते हैं और माफिया से बात करके कुछ गाडिय़ों को पकड़वा देते हैं जिससे अफसरों को लगे कि कार्रवाई हो रही है। हरियाणा से शराब लदी गाडिय़ां लखनऊ तक तो अलग-अलग रास्ते से आती हैं फिर फोरलेन से बेधड़क होकर चलती हैं।

कितने दिन लाइनहाजिर रहेगा बिक्रम सिंह

इंस्पेक्टर सुनील राय व संजय राय की ही कतार में बस्ती में स्वॉट टीम का प्रभारी बिक्रम सिंह भी खड़ा नजर आता है। पिछले दिनों साथियों के साथ बिक्रम सिंह का असलहा लहराते हुए एक मिनट का वीडियो सोशल मीडिया पर वॉयरल हुआ था जिसमें वह खुद को 'किंग ऑफ बस्ती' कहता दिख रहा है। बस्ती के कप्तान, आईजी, जिलाधिकारी ने तो कुछ किया नहीं लेकिन सोशल मीडिया के चलते वीडियो सुर्खियों में आया तो डीजीपी ओपी सिंह को दखल देना पड़ा। एसपी पंकज सिंह ने स्वॉट टीम को लाइनहाजिर कर विस्तृत जांच सीओ सदर आलोक कुमार सिंह को सौंप दी। करीब एक साल पहले स्वॉट प्रभारी बना एसआई बिक्रम सिंह पिछले दिनों कानपुर से कार लेकर भागे एक बदमाश के एनकाउंटर के बाद सुर्खियों में आया था। उसके सभी खुलासों पर सवाल उठते रहे, लेकिन वह अफसरों का खास बना रहा। पिछले पखवाड़े स्वॉट टीम ने रेप के एक आरोपी को मुठभेड़ में पैर में गोली मार दी थी।

2006-07 में बिक्रम गोरखपुर में इंजीनियरिंग कॉलेज चौकी का प्रभारी था। तब उसपर गोलघर की एक दुकान से चोरी सैकड़ों स्मार्ट फोन के गबन का आरोप लगा था। 2001 में एक किशोरी की हत्या के मामले में बिक्रम सिंह ने मां को ही बेटी का हत्यारा बताकर फाइनल रिपोर्ट लगा दी थी। सीबीसीआईडी की जांच हुई तो बिक्रम दोषी पाया गया। यह मामला आज भी हाईकोर्ट में विचाराधीन है। इस मामले के बाद आईजी ने बिक्रम सिंह को जिम्मेदार पोस्टिंग देने पर रोक लगाई थी, लेकिन अफसरों को खुश कर वह मनचाही पोस्टिंग हासिल करता रहा है। फिलहाल बिक्रम भले ही एक बार फिर लाइन हाजिर हो गया हो, लेकिन उसे करीब से जानने वाले दावा कर रहे हैं कि जल्द ही किसी थाने का थानेदार बन जाएगा।

शराब तस्कर को राजनीतिक और पुलिसिया संरक्षण

गोरखपुर के बिछिया जंगल तुलसीराम में रहने वाले मनीष की पहचान कभी क्रिकेट खिलाड़ी खिलाड़ी की हुआ करती थी। लेकिन माफिया, राजनीति और पुलिस के संरक्षण में मनीष की कारगुजारियों से उसकी पहचान बड़े शराब तस्कर के रूप में हो गई है। मूल रूप से बिहार के रहने वाले मनीष के खेल में उसकी मदद पुराने पुलिसिया आका कर रहे हैं। मनीष पहले वाहन चोरी का धंधेबाज था। वह नोएडा और दिल्ली से चोरी की लग्जरी गाडिय़ां ला कर बिहार और पूर्वांचल के जिलों में बेच देता था। वर्ष 2014 में चोरी की गाडिय़ों के साथ पकड़े गए मनीष को गोरखपुर के सहजनवा थाने में तैनात तत्कालीन प्रभारी संजय राय ने सशर्त अभयदान दे दिया। संजय पर आरोप है कि उसने लग्जरी गाड़ी खुद रख ली और मनीष को छोड़ दिया। इस प्रकरण में थाना प्रभारी पर चोरी की गाड़ी से चलने का मुकदमा दर्ज हुआ और कार्रवाई भी हुई लेकिन मनीष से उसके रिश्ते कायम रहे। संजय राय ने ही मनीष की पहचान सुनील राय से कराई थी। ये वही संजय राय है जिसने पिपराइच थाना प्रभारी रहते हुए एक मामले में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ तस्करा लिख दिया था। तब योगी आदित्यनाथ ने थाना घेराव का ऐलान किया था जिसके बाद थानाध्यक्ष संजय राय को हटाया गया था। बहरहाल, अब मनीष की नजदीकियां लखनऊ, कुशीनगर से लेकर बिहार तक भाजपा नेताओं से हैं। कुशीनगर में एक सफेदपोश का भी मनीष को संरक्षण मिला हुआ है। यह सफेदपोश बिहार-यूपी के बीच शराब तस्करी के खेल का बड़ा खिलाड़ी है। प्रदेश में जिसकी भी सरकार हो, यह सफेदपोश सत्ताधारी दल में दखल बना लेता है।

seema

seema

सीमा शर्मा लगभग ०६ वर्षों से डिजाइनिंग वर्क कर रही हैं। प्रिटिंग प्रेस में २ वर्ष का अनुभव। 'निष्पक्ष प्रतिदिनÓ हिन्दी दैनिक में दो साल पेज मेकिंग का कार्य किया। श्रीटाइम्स में साप्ताहिक मैगजीन में डिजाइन के पद पर दो साल तक कार्य किया। इसके अलावा जॉब वर्क का अनुभव है।

Next Story