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बिजली विधेयक वापस होः इंजीनियरों ने मोदी से की फरियाद जनता को बचाएं

ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर अपील की है साथ ही सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजकर बिल वापसी में प्रभावी भूमिका निभाने की अपील की है।

Roshni Khan
Published on: 15 Jun 2020 4:33 PM IST
बिजली विधेयक वापस होः इंजीनियरों ने मोदी से की फरियाद जनता को बचाएं
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लखनऊ: ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन ने इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 वापस लेने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर अपील की है साथ ही सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी पत्र भेजकर बिल वापसी में प्रभावी भूमिका निभाने की अपील की है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र भेजे गए पत्र में फेडरेशन ने अपील में कहा है कि बिजली का टैरिफ, श्रेणी विशेष के उपभोक्ताओं को टैरिफ में सब्सिडी देने, राज्य नियामक आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का चयन करने, उपभोक्ता के हित में महंगी बिजली के क्रय करारों को रद्द करने और निजीकरण के बजाये सार्वजानिक क्षेत्र में बिजली वितरण बनाये रखने जैसे कई बुनियादी सवाल हैं जो राज्यों के अपने अधिकार क्षेत्र में आते है। लेकिन इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के जरिये इसमें केंद्र सरकार का सीधा हस्तक्षेप हो जाएगा। जो संविधान प्रदत्त संघीय ढांचे को कमजोर करता है, इसलिए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 वापस लिया जाना चाहिए।

पत्र में फेडरेशन ने कहा है कि तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, आन्ध्र प्रदेश, पुडुचेरी, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, छत्तीसगढ़, बिहार और झारखण्ड की राज्य सरकारें इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 पर गहरी आपत्ति व्यक्त कर चुकी हैं। छह राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सीधे प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर आपत्ति दर्ज की है जबकि अन्य राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों ने केंद्रीय विद्युत् मंत्री को पत्र भेजकर विरोध किया है। ऐसे में जल्दबाजी में बिल पारित कराने के बजाये बिल पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए और इसे संसद की बिजली मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेज देना चाहिए।

इधर, फेडरेशन ने मुख्यमंत्रियों को भेजे पत्र में कहा है कि फेडरेशन ने अपील की है कि बिजली के मामले में राज्यों के अधिकार और उपभोक्ताओं के हित को देखते हुए वे प्रभावी भूमिका का निर्वाह करे और प्रधानमंत्री से बिल वापस कराने के लिए पहल करें। संविधान में बिजली समवर्ती सूची में है जिसका तात्पर्य है कि बिजली के मामले में राज्यों का बराबर का अधिकार है।

ऐसे में देश के कई प्रान्तों की सरकारों द्वारा इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 के कई प्राविधानों पर गंभीर सवाल खड़ा कर देने के बाद जरूरी हो गया है कि बिल को वापस लिया जाये और बिल के सभी विवादस्पद प्राविधानों पर राज्य सरकारों सहित सभी स्टेक होल्डरों खासकर बिजली उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों व इंजीनियरों के फेडरेशनों से विस्तृत वार्ता की जाए।

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ऑल इण्डिया पॉवर इन्जीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने सोमवार को कहा कि बिल में कई दूरगामी परिवर्तन किये जा रहे हैं, जिसमें बिजली का निजीकरण और सब्सिडी समाप्त करना भी है जिससे बिजली किसानों और गरीबों की पहुंच से दूर हो जाएगी।

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