मौसम पर बड़ी चेतावनी: हो जाएं सावधान, नहीं तो भयावह होगी भारत की स्थिति

भारत सरकार के वैज्ञानिक संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियेरोलॉजी की पहली क्लाइमेट एसेसमेंट रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें कई भयावह खुलासे हुए हैं।

Shreya
Published on: 15 Jun 2020 10:43 AM GMT
मौसम पर बड़ी चेतावनी: हो जाएं सावधान, नहीं तो भयावह होगी भारत की स्थिति
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नई दिल्ली: भारत सरकार के वैज्ञानिक संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियेरोलॉजी की पहली क्लाइमेट एसेसमेंट रिपोर्ट सामने आई है। जिसमें कई भयावह खुलासे हुए हैं। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि इस सदी के अंत तक भारत का औसत तापमान 4.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है। इसके अलावा हीट वेव यानी गर्मी की लहर भी तीन से चार गुना ज्यादा हो सकती है। साथ ही चक्रवाती तूफानों की संख्या और तीव्रता में इजाफा होने की भी संभावना है।

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बसे गर्म दिन का टेम्प्रेचर इतने डिग्री सेल्सियस बढ़ा

इस क्लाइमेट एसेसमेंट रिपोर्ट का नाम है 'एसेसमेंट ऑफ क्लाइमेट चेंज ओवर द इंडियन रीजन'। जिसमें बताया गया है कि देश में सबसे गर्म दिन का टेम्प्रेचर 0.63 डिग्री सेल्सियस बढ़ा है। जबकि सबसे ठंडी रात के तापमान में 0.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोत्तरी हुई है। देश के जलवायु यानी Climate में साल 1986 से लेकर 2015 तक यानी बीते 30 सालों में ऐसी भयावह स्थिति हुई है।

80 सालों में हुआ ये बदलाव

इन आंकड़ों के मुताबिक, आने वाले 80 सालों में भारत के औसत तामपान 4.7 डिग्री से 5.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ सकता है। बता दें कि सन् 1901 से लेकर साल 2018 तक भारत के औसत तापमान में 0.7 डिग्री सेल्यिस की बढ़ोत्तरी देखने को मिली है।

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उत्तरी हिंद महासागर का जलस्तर भी बढ़ा

वहीं 1874 से साल 2004 के बीच उत्तरी हिंद महासागर का जलस्तर 1.75 मिलीमीटर बढ़ा है। जिसके मुताबिक, उत्तरी हिंद महासागर का जलस्तर 2100 तक 300 मिलीमीटर बढ़ सकता है।

मॉनसून के सीजन में आई छह फीसदी की गिरावट

इसके अलावा बीते 64 सालों में यानी 1951 से लेकर 2015 के बीच मॉनसून के सीजन में छह फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। जून से सितंबर तक रहने वाला मॉनसून सीजन 6 फीसदी कम हुआ है। जिससे सबसे ज्यादा नुकसान गंगा के मैदानी इलाकों और पश्चिमी घाट को पहुंचा है। वहीं 1981 के बाद अब तक गर्मी और सूखे में 27 फीसदी का इजाफा हुआ है।

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चक्रवाती तूफानों की संख्या और तीव्रता में होगी बढ़ोत्तरी

दो दशकों में क्लाइमेट में जो चेंजेस हुए हैं, उनकी वजह से मॉनसून के बाद आने वाले चक्रवाती तूफानों की संख्या और उनकी तीव्रता में बढ़ोत्तरी हुई है। वैज्ञानिक संस्थान इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रॉपिकल मेटियेरोलॉजी की रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तरी हिंद महासागर में चक्रवाती तूफानों की संख्या में बढ़ोतरी हो सकती है।

21वीं सदी के अंत तक बढ़ेगा भारत का औसत तापमान

रिपोर्ट के मुताबिक, 21वीं सदी के अंत तक भारत का औसत तापमान 55 से 70 फीसदी तक बढ़ सकता है। जिसके चलते कृषि, साफ पानी स्रोत, इकोसिस्टम, और ढांचागत विकास पर काफी बुरा प्रभाव पड़ेगा।

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