उ.प्र. शहरी नियोजित विकास अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उ.प्र. शहरी नियोजित विकास अधिनियम 1973 को असंवैधानिक घोषित करने तथा नगर पालिकाओं व पंचायतों का अधिकार बहाल करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है और सरकार का पक्ष रखने के लिए प्रदेश के महाधिवक्ता को नोटिस जारी की है।

Rishi
Published on: 27 March 2019 2:56 PM GMT
उ.प्र. शहरी नियोजित विकास अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती
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प्रतीकात्मक फोटो

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उ.प्र. शहरी नियोजित विकास अधिनियम 1973 को असंवैधानिक घोषित करने तथा नगर पालिकाओं व पंचायतों का अधिकार बहाल करने की मांग में दाखिल जनहित याचिका पर राज्य सरकार से छह हफ्ते में जवाब मांगा है और सरकार का पक्ष रखने के लिए प्रदेश के महाधिवक्ता को नोटिस जारी की है।

याचिका की सुनवाई दस मई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति पी.के.एस.बघेल तथा न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की खण्डपीठ ने प्रयागराज के सामाजिक कार्यकर्ता ओम दत्त सिंह की जनहित याचिका पर दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता रविकिरण जैन व दीबा सिद्दीकी ने बहस की।

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याची का कहना है कि 1973 में प्राधिकरणों के गठन के कानून में अस्थायी व्यवस्था दी गयी थी। अभी तक स्पष्ट नहीं हो सका है कि प्राधिकरण उद्देश्य प्राप्त कर सके हैं या नहीं? विकास प्राधिकरणों को शहरी निकाय एरिया से 8 किमी तक ग्रामीण एरिया में विकास क्षेत्र दिया गया। याची का कहना है कि अनुग्रह नारायण सिंह केस में कोर्ट ने लोकल सेल्फ गवर्नमेंट को प्रभावी करने का आदेश दिया है। इसके विपरीत स्थानीय निकायों को अधिकार देने के बजाए विकास प्राधिकरण जारी रखा जा रहा है। यह ब्यूरोक्रेसी की देन है।

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स्थानीय निकायों के अधिकारों में कटौती कर संविधान की जनतांत्रिक व शासन व्यवस्था में जन भागीदारी के उपबंधों का उल्लंघनकिया जा रहा है। याचिका में विकास प्राधिकरणों का समाप्त करने तथा नगर निकायों की शक्तियां बहाल करने की मांग की गयी है।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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