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आधार कार्ड की गोपनीयता के खुलासा की अनुमति नहीं दी जा सकतीः हाईकोर्ट

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आधार कार्ड की सूचना को गोपनीय मानते हुए खुलासा करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह निजता अधिकार के अंतर्गत मूल अधिकार है। जिसे केवल दुरूपयोग के आरोप के आधार पर किसी को नहीं दिया जा सकता।

Dharmendra kumar
Published on: 30 Aug 2019 4:04 PM GMT
आधार कार्ड की गोपनीयता के खुलासा की अनुमति नहीं दी जा सकतीः हाईकोर्ट
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आधार कार्ड की सूचना को गोपनीय मानते हुए खुलासा करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह निजता अधिकार के अंतर्गत मूल अधिकार है। जिसे केवल दुरूपयोग के आरोप के आधार पर किसी को नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने कहा कि याची आधार कानून की धारा 47 के तहत दंडनीय अपराध की सक्षम न्यायालय में शिकायत कर सकता है।

यह आदेश न्यायमूर्ति शशिकांत गुप्ता तथा न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने ग्राम परसोदा, लोनी, गाजियाबाद के भारत भूषण थापर की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता अनुराग खन्ना व भारत सरकार के अधिवक्ता सभाजीत सिंह ने बहस की।

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याची अधिवक्ता का कहना था कि जय प्रकाश गुप्ता व किरण वेदी गुप्ता ने शालीमार गार्डन कालोनी में 1981 में प्लाट खरीदा। इनकी मृत्यु के बाद बड़े बेटे ने याची की माँ रक्षा देवी थापर व बहन कुमारी मधु थापर को 1990 में जमीन बेच दी। प्रमोद कुमार सिंह चैहान ने इसी जमीन पर जबरन कब्जे की कोशिश की। 4 नवम्बर 2012 को घटना की एफआईआर दर्ज की गयी है। याची ने कोर्ट से जमीन के कब्जे पर निषेधाज्ञा भी प्राप्त कर ली। हालांकि अपील में कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है।

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जय प्रकाश गुप्ता व किरण देवी गुप्ता के आधार कार्ड को दूसरे लोगों के नाम बदलकर जमीन रेखा अग्रवाल के नाम बेच दी गयी। इस धोखाधड़ी पर याची ने 2 मार्च 15 को पी.के. सिंह चैहान, अनिल अग्रवाल, रेखा अग्रवाल, सुरेश चन्द्र मित्तल, कुमारी दिशा श्रीवास्तव के खिलाफ एफआईआर दर्ज करायी। उसी नम्बर से जारी आधार कार्ड को रोशन आरा को किरण देवी गुप्ता तथा अशोक को जयप्रकाश गुप्ता बताकर कार्ड जारी करा लिया गया। जब की गुप्ता पति पत्नी मर चुके है। मरे हुए लोगों के आधार कार्ड दो लोगों के नाम बदल कर जमीन का बैनामा करा लिया गया। जिस पर यह याचिका दाखिल की गयी थी।

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कोर्ट से आधार कार्ड की पत्रावली तलब करने की मांग की गयी थी। कोर्ट ने कहा सक्षम न्यायालय में दंडनीय अपराध को लेकर इस्तगासा दायर किया जा सकता है। केवल शिकायत पर कोर्ट आधार सूचना देने की अनुमति नहीं दे सकती।

Dharmendra kumar

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