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सुस्त विकास दर: मंदी की ओर बढ़ रहा भारत, कैसे रोकेगी मोदी सरकार
केन्द्र सरकार को आर्थिक मोर्चे पर तगड़ा झटका लगा है। भारत की विकास दर में कमी दर्ज की गई है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 में पहली तिमाही अप्रैल से जून में विकास दर घटकर 5 % हो गई है।
नई दिल्ली : केन्द्र सरकार को आर्थिक मोर्चे पर तगड़ा झटका लगा है। भारत की विकास दर में कमी दर्ज की गई है। चालू वित्त वर्ष 2019-20 में पहली तिमाही अप्रैल से जून में विकास दर घटकर 5 % हो गई है। मोदी सरकार की किसी एक तिमाही में सबसे सुस्त विकास दर है। देश की इतनी बुरी आर्थिक स्थिति पर सरकारी आंकड़ों ने मुहर भी लगा दी है।
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एजेंसियों का ये मानना है-
आपको बता दें कि ये आंकड़े ऐसे समय में आए हैं जब विश्वभर की रेटिंग एजेंसियां देश के जीडीपी अनुमान को घटा रही हैं। हालंहि में इंडिया रेटिंग्स ऐंड रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड ने भारत की सालाना जीडीपी ग्रोथ का अनुमान भी 7.3% से घटाकर 6.7% कर दिया है।
इसके अलावा एजेंसी का मानना है कि खपत में कमी, मानसून की बारिश अपेक्षा से कम, मैन्युफैक्चरिंग में कमी आदि के कारणों से लगातार तीसरे साल अर्थव्यवस्था में सुस्ती रह सकती है।
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बात करें अगर क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज की तो इसने वर्ष 2019 के लिए भारत का जीडीपी ग्रोथ 6.2% रहने का अनुमान जताया है। इससे पहले जापान की ब्रोकरेज कंपनी नोमुरा ने बताया था कि सर्विस सेक्टर में सुस्ती, कम निवेश और खपत में गिरावट से देश की जीडीपी सुस्त हुई है। नोमुरा की रिपोर्ट के मुताबिक उपभोक्ताओं का विश्वास कम हो रहा है और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट आई है।
मोदी सरकार ने अगले पांच साल में देश को 5 ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी बनाने का लक्ष्य रखा है। लेकिन बता दें कि एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसके लिए लगातार कई साल तक सालाना 9% की ग्रोथ रेट होनी चाहिए।
मंदी जैसे हालातों से गुजर रहा देश
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जानकारी के लिए बता दें कि भारत के ऑटोमोबाइल समेत अन्य सेक्टर में सुस्ती का दौर देखने को मिल रहा है। ऑटो सेक्टर में प्रोडक्शन और सेल्स में लगातार गिरावट आ रही है। इसके साथ ही लाखों लोगों की नौकरियां जा चुकी हैं। इसी तरह एफएमसीजी और टेक्सटाइल सेक्टरों में भी मंदी जैसे हालात हैं।