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Meerut News: 2024 तक अमेरिका जैसी सड़क! नितिन गडकरी के दावे को मुंह चिढ़ा रहीं वेस्ट यूपी की सड़कें

Meerut News: आचार संहिता की अवधि मई तक है। लेकिन कहा जा रहा है कि तकनीकी कारणों से अगले एक महीने तक भी काम शुरु करना मुमकिन नहीं है। यानी प्रदेश की सड़कें रफ्तार के लिहाज से एक साल पिछड़ जाएंगी। चुनाव की वजह से विकास को ठप पड़ता देख निर्माण क्षेत्र के विशेषज्ञ दुआ मांग रहे हैं कि कम से कम गर्मियों में तो चुनाव न ही हों।

Sushil Kumar
Published on: 26 April 2023 1:36 AM IST
Meerut News: 2024 तक अमेरिका जैसी सड़क! नितिन गडकरी के दावे को मुंह चिढ़ा रहीं वेस्ट यूपी की सड़कें
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(Pic: Newstrack)

Meerut News: पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सड़कों का इस साल भगवान ही मालिक है। जिस मार्च से जून माह तक के वक्त को सड़क निर्माण तथा मरम्मत के लिए सर्वाधिक उपयोगी माना जाता है, वह आचार संहिता की वजह से हाथ से निकल गया है। हालांकि आचार संहिता की अवधि मई तक है। लेकिन कहा जा रहा है कि तकनीकी कारणों से अगले एक महीने तक भी काम शुरु करना मुमकिन नहीं है। यानी प्रदेश की सड़कें रफ्तार के लिहाज से एक साल पिछड़ जाएंगी। चुनाव की वजह से विकास को ठप पड़ता देख निर्माण क्षेत्र के विशेषज्ञ दुआ मांग रहे हैं कि कम से कम गर्मियों में तो चुनाव न ही हों। मालूम हो कि यूपी राज्य चुनाव आयोग ने 9 अप्रैल की शाम को निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी थी। मतदान की तारीखों के ऐलान के साथ ही यूपी में आचार संहिता लागू हो गई थी जोकि मई तक लागू रहेगी।

मौसम की वजह से भी पड़ेगा असर

लोक निर्माण विभाग के एक वरिष्ठ अभियंता के मुताबिक सड़कों के निर्माण के लिए मार्च के बाद से जून तक का वक्त सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस अवधि में मौसम में गर्मी रहने के कारण तारकोल मिश्रित सामग्री आसानी से सड़क पर बिछकर मजबूती से चिपक जाती है। जुलाई से बारिश तथा उसके बाद सर्दियां आ जाने से तारकोल को चिपकने के लिए उपयुक्त तापमान नहीं मिल पाता। लिहाजा नमी वाले दिनों में ज्यादा सड़कें नहीं बनाई जाती।

कई सड़कों का निर्माण कार्य है ठप

मालूम हो कि इस वक्त मेरठ समेत पश्चिमी परिक्षेत्र में ही विभिन्न क्षेत्रों में कई किलोमीटर सड़कें बननी हैं। विधायक तथा विधान परिषद सदस्यों के क्षेत्र में बनने वाली सात-सात किलोमीटर लंबी सड़कों की कतार भी खांसी लंबी है। ग्रामीण क्षेत्रों में दर्जनों की संख्या में नई पुलिया भी बननी हैं। आचार संहिता की वजह से इन सभी कामों पर तो फिलहाल रोक लगी है। लोक निर्माण विभाग की तरह ही तमाम विकास प्राधिकरण के अभियंता संशय में हैं। एक सहायक अभियंता के मुताबिक स्थानीय निकाय चुनाव के दौरान आचार संहिता की वजह से शहर में सड़कों का काम रुक गया है। जब कुछ समय मिला था तो बेमौसमी बरसात ने निगल लिया। आचार संहिता हालांकि मई के मध्य में समाप्त हो जाएगी, लेकिन उसके बाद निर्माण कार्यों के लिए नए सिरे से टेंडर आदि प्रक्रिया में कम से कम एक महीना तो निकल ही जाएगा। उसके बाद मौसम ऐसा नहीं रहेगा जिसमें स्थायित्व का काम हो सके।

पीएडब्ल्यूडी (PWD) के अधीन हैं यूपी में 1.20 लाख किमी की सड़कें

मालूम हो कि वर्तमान में प्रदेश में 1.20 लाख किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी सड़के अकेले लोक निर्माण विभाग के अधीन हैं। इनमें राष्ट्रीय राजमार्ग,राज्य मार्ग,मुख्य जिला मार्ग तथा अन्य जिला मार्ग शामिल हैं। नगर निगम तथा प्राधिकरणों के अधीन सड़कों की संख्या भी कम नहीं हैं। ऐसे में किसी भी जानकार को लगता नहीं है कि यूपी की सड़कें 2024 की समाप्ति से पहले अमेरिका की तरह बना दी जाएंगी। जिसका एलान करीब सात महीने पहले केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी द्वारा किया गया था।



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