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सदी के महानायक का वादा रहा अधूरा, ग्रामीणों ने खुद बनवाया महाविद्यालय
बहरहाल अपने खास दोस्त अमर सिंह के जन्मदिन के दिन जब अमिताभ बच्चन के दौलतपुर में ऐश्वर्या राय बच्चन कन्या महाविद्यालय बनाने का ऐलान किया था तो लोगों को लगा कि अब उनके बच्चों को पढ़ाई के लिए कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन आज 12 साल बीत जाने के बाद भी यहां न तो कोई कॉलेज बना है और न बनने के आसार नजर आ रहे हैं।
बाराबंकी: उत्तर प्रदेश का बाराबंकी जिला इन दिनों फिर चर्चा में है और एस बार फिर इसकी वजह बने हैं सदी के महानायक अमिताभ बच्चन। आज से करीब 12 साल पहले इस गांव में सदी के महानायक पहुंचे और गांव वालों से एक वादा किया था। पाँच - पाँच हेलीकाप्टरों की गड़गड़ाहट के साथ गाँव में पहली बार अमिताभ बच्चन और उनके साथ अतिविशिष्ट लोगों के आगमन के समय तो मानो जैसे ग्रामीणों के सपनों में पंख लग गए और वे ऊंची उड़ान भरने लगे।
लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनका सपना रियल लाइफ में न तब्दील होकर रील लाइफ की तरह ही रह जाएगा। अमिताभ बच्चन के अधूरे वादों को याद दिलाती पेश है हमारी यह रिपोर्ट
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बहू श्रीमती ऐश्वर्या राय बच्चन कन्या महाविद्यालय
दरअसल बाराबंकी जिले के दौलतपुर गांव में आज से करीब बारह साल पहले 27 जनवरी 2008 में बिग बी अमिताभ बच्चन अपनी पत्नी जया, बेटे अभिषेक और बहू ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ पहुंचे थे। अमिताभ बच्चन के साथ तत्कालीन सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, तत्कालीन सपा महासचिव अमर सिंह, बेटे अभिषेक बच्चन, बहू ऐश्वर्या राय बच्चन, पत्नी जया बच्चन और तमाम नामचीन नेताओं के साथ पाँच हेलीकाप्टर से पहुंचे थे | अमिताभ ने दौलतपुर गांव में करीब दस बीघे जमीन लेकर एक डिग्री कॉलेज का नींव रखी थी और इसका नाम रखा बहू श्रीमती ऐश्वर्या राय बच्चन कन्या महाविद्यालय।
लेकिन जो जमीन अमिताभ बच्चन ने ली थी बारह साल बीत जाने के बाद भी आज वह वैसी ही पड़ी है। ऐसे में गांव के लोगों ने खुद अपना एक डिग्री कॉलेज बनाने का फैसला लिया और उसके लिए फंड जामा करके काम शुरू करा दिया। इस कॉलेज के निर्माण का काम लगभग पूरा हो चुका है। गांव के लोगों की मेहनत रंग भी लाई और जुलाई 2018 से इस कॉलेज में पढ़ाई भी शुरू हो गयी। ख़ास बात यह है कि गांव वालों ने इस कॉलेज को अमिताभ बच्चन के प्लॉट से बेहद करीब बनाया है।
दरअसल ये कॉलेज गांव के ही सत्यवान शुक्ला नाम के एक शिक्षक ने बनाया है। उन्होंने इसके लिए लोगों का सहयोग लेकर जमीन की व्यवस्था की और चंदा लेकर पैसों की व्यवस्था की। सत्यवान शुक्ला ने इस कॉलेज का नाम दौलतपुर डिग्री कॉलेज रखा है और डॉ. राम मनोहर लोहिया अवध यूनिवर्सिटी फैजाबाद से इसकी मान्यता ली है। जुलाई 2018 से यहां बीए और बीएससी की पढ़ाई भूी शुरू हो चुकी है।
अभी तक पढ़ने के लिए काफी दूर जाना पड़ता था
गांव के लोगों से बात की तो उन्होंने बताया कि बारह साल पहले जब अमिताभ बच्चन अपने परिवार के साथ यहां आए तो हमें लगा कि अब उनका गांव वीवीआईपी बनने वाला है। गांव में हर तरफ लोगों में खुशी थी। उनको लगा लगा कि अब उनके बच्चे ऐश्वर्या राय बच्चन के नाम पर बने कॉलेज में पढ़ेंगे। लेकिन उन्हें क्या पता था कि उनके सपने हकीकत में नहीं बदलेंगे। वहीं जब हमने गांव में रहने वाले उन बच्चों से बात की जो पढ़ाई करके अपना भविष्य संवारना चाहते हैं तो उनका कहना था कि उन्हें अभी तक पढ़ने के लिए काफी दूर जाना पड़ता था । अब वह बहुत खुश है कि उन्हें पढ़ने के लिए बाहर कहीं जाना नहीं पड़ेगा।
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अमिताभ ने निष्ठा फाउंडेशन को कॉलेज बनाने के लिए दिया था
वहीं गांव के प्रधान और अमिताभ बच्चन सेवा संस्थान के सचिव अमित सिंह का कहना है कि अमिताभ बच्चन ने निष्ठा फाउंडेशन को कॉलेज बनाने के लिए दिया था। जिसकी अध्यक्ष जया बच्चन हैं। जब निष्ठा फाउंडेशन ने कॉलेज को नहीं बनाया तो जया बच्चन ने इसको बनाने की जिम्मेदारी अमिताभ बच्चन सेवा संस्थान को दिलवाई। अमित सिंह ने बताया कि बिग बी को शायद ये लगा कि गांव के लोग उनका सपोर्ट नहीं कर रहे। शुरुआत में गांव के लोग अमिताभ बच्चन के खिलाफ थे और मुकदमेबाजी में फंसा दिया। हालांकि अमित को अभी भी ये विश्वास है कि अमिताभ यहां कॉलेज बनवाएंगे और जो वादा उन्होंने दौलतपुर की जनता से किया था उसे पूरा करेंगे।
हमें रील राइफ के सपने क्यों दिखाए
बहरहाल अपने खास दोस्त अमर सिंह के जन्मदिन के दिन जब अमिताभ बच्चन के दौलतपुर में ऐश्वर्या राय बच्चन कन्या महाविद्यालय बनाने का ऐलान किया था तो लोगों को लगा कि अब उनके बच्चों को पढ़ाई के लिए कहीं दूर नहीं जाना पड़ेगा। लेकिन आज 12 साल बीत जाने के बाद भी यहां न तो कोई कॉलेज बना है और न बनने के आसार नजर आ रहे हैं। गांव वाले दबी जुबान में बच्चन परिवार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं। वो सवाल कर रहे हैं कि अगर अमिताभ बच्चन को यहां कॉलेज नहीं बनाना था, तो फिर उन्होंने हमें रील राइफ के सपने क्यों दिखाए।
रिपोर्टर- सरफ़राज़ वारसी, बाराबंकी
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