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यूपी में किन्नर कल्याण बोर्डः बना तीसरा राज्य, इन दो राज्यों ने पहले किया था गठन
दो साल पहले महाराष्ट्र में किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन किया गया जा चुका है। महाराष्ट्र देश का पहला राज्य था जिसने इस तरह के बोर्ड का गठन किया। इसके बाद पिछले साल बिहार में भी किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन किया जा चुका है।
लखनऊ: महाराष्ट्र की तर्ज पर उत्तर प्रदेष में गठित होने वाले किन्नर कल्याण बोर्ड का प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है। शासन की तरफ से इसकी स्वीकृत मिलने के बाद इसके गठन को मंजूरी दे दी जाएगी। इसमें विभागीय प्रमुख सचिव बोर्ड के प्रमुख होगें जबकि पांच ट्रांसजेंडर इसके सदस्य बनाए जाएंगे।
किन्नरों को मिलेंगे विशेष लाभ
गौरतलब है कि दो साल पहले महाराष्ट्र में किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन किया गया जा चुका है। महाराष्ट्र देश का पहला राज्य था जिसने इस तरह के बोर्ड का गठन किया। इसके बाद पिछले साल बिहार में भी किन्नर कल्याण बोर्ड का गठन किया जा चुका है। उधर पड़ोसी राज्य उत्तराखण्ड में भी इसी तरह के बोर्ड गठन की तैयारी चल रही है। अब यूपी भी किन्नरों के कल्याण के लिए इस तरह का बोर्ड गठित करने जा रहा है। समाज कल्याण बोर्ड के अधीन होने वाले किन्नर कल्याण बोर्ड के गठन के बाद इस वर्ग की शिक्षा रोजगार आवास एवं स्वास्थ्य योजनाओं का विशेष लाभ दिया जा सकेगा।
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लखनऊ पुलिस कमिश्नर को बोर्ड का सदस्य बनाया जाएगा
प्रस्ताव में कहा गया हे कि प्रदेश स्तर पर इसमें समाज कल्याण मंत्री को इस बोर्ड का अध्यक्ष बनाने के साथ ही बोर्ड के अध्यक्ष के तौर अपर मुख्य सचिव स्तर का अधिकारी इसका उपाध्यक्ष बनाया जाएगा। जबकि बोर्ड के सचिव इसके निदेशक को बनाया जाएगा। इनके अलावा अन्य विभागों महिला कल्याण, वित विभाग, गृह विभाग, न्याय विभाग, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के प्रमुख सचिव या अपर मुख्य सचिव और लखनऊ पुलिस कमिश्नर को बोर्ड का सदस्य बनाया जाएगा। प्रस्ताव में कहा गया है कि सबको समान रूप से प्रतिनिधित्व देने के लिए बुंदेलखंड, पश्चिमांचल, पूर्वांचल, अवध और रूहेलखंड के एक-एक किन्नर को भी इस बोर्ड का सदस्य बनाया जाएगा। कल्याण बोर्ड में दो एनजीओ के सदस्यों को भी शामिल किया जाएगा।
यूपी में 1 लाख 35 हजार 600 किन्नर
प्रदेष की तरह ही जिला स्तर भी बोर्ड अपना काम करेगा। इसके लिए जिलास्त्र पर गठित होने वाले बोर्ड में जिलाधिकारी के अध्यक्ष होने के साथ ही सदस्य सचिव जिला समाज कल्याण अधिकारी होंगे। साथ ही पुलिस अधीक्षक, सीएमओ, सीडीओ और सभी कल्याण विभागों के अधिकारी इस इकाई के सदस्य होंगे।
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समाज के इस वर्ग की उपेक्षा होती रही है
यहां यह बताना भी जरूरी है कि वर्ष 2011 की हुई जनगणना में यूपी में 1 लाख 35 हजार 600 किन्नर बताए गए थे। हांलाकि यह संख्या अधिकृत नहीं बताई जाती है पर इतना तो तय है कि समाज के इस वर्ग की उपेक्षा होती रही है। जिसे ध्यान में रखकर प्रदेष की भाजपा सरकार ने इस आषय का फैसला लिया है।