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सिर्फ दो सालों के अवार्ड बांटने से नाराज़ हुए कलाकार, किया प्रदर्शन
1970 में अकादमी अवार्ड्स की शुरुआत हुई थी और तबसे पुरूस्कार राशि 10001₹ ही है, जिस पर शासन को कई बार प्रस्ताव भेजा गया लेकिन उस पर कोई निर्णय न हो सका। अवर्डियो के चयन की प्रक्रिया भी 50 साल पुरानी है।
लखनऊ: गुरुवार को थिएटर एवं फ़िल्म वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव दबीर सिद्धिकी की अगुवाई में हजरतगंज स्थित पटेल प्रतिमा काकोरी स्तम्भ पर विभिन्न कला समूहों द्वारा संयुक्त धरना प्रदर्शन किया गया। जहां पर प्रदेश भर के सारे कलाकार इकट्ठा हुए और अपनी निम्न मांगों को सरकार के सामने रखा-
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1. वर्ष 2009 से वर्ष 2016 के लम्बित पुरस्कारों की घोषणा अविलम्ब की जाय तथा वर्ष 2017 से 2019 तक के पुरस्कारों का चयन अविलम्ब कर पुरस्कार योजना को नियमित किया जाय।
2. अकादमी पुरस्कार की राशि 10001/- से बढ़ाकर पांच लाख रुपये की जाय।
3. अकादमी द्वारा कलाकारों व संस्थाओं को विभिन्न मदों में दी जाने वाली राशि को सम्मानजनक रुप से बढ़ाया जाय।
4. अकादमी के आयोजनों की श्रृंखला नियमित की जाय।
5. पूर्वाभ्यास कक्ष के आरक्षण राशि में की गयी दोगुनी वृद्धि को तत्काल समाप्त की जाय।
6. प्रेक्षागृह आरक्षण को जी.एस.टी. से मुक्त किया जाय।
7. प्रेक्षागृह में ध्वनि व प्रकाश व्यवस्था का र्प्याप्त प्रबन्ध किया जाय।
8. प्रेक्षागृह की किराया राशि को नाट्य मंचन व सांस्कृतिक कार्यक्रम हेतु कम किया जाय।
9. वित्तीय वर्ष 2018-2019 में अकादमी में किये गये निर्माण कार्यों व अनियमितताओं की उच्चस्तरीय जांच करायी जाय।
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विज्ञापन न जारी कर चोरी छुपे अवार्ड देने का भी इल्जाम
यहां पर उपस्थित कलाकारों का यह भी कहना है कि अवार्ड समारोह को गुपचुप तरीके से कराने की योजना बनाई गई है, और किसी भी तरह का विज्ञापन प्रदर्शित नही किया गया है।
नियम क्या कहता है?
1970 में अकादमी अवार्ड्स की शुरुआत हुई थी और तबसे पुरूस्कार राशि 10001₹ ही है, जिस पर शासन को कई बार प्रस्ताव भेजा गया लेकिन उस पर कोई निर्णय न हो सका। अवर्डियो के चयन की प्रक्रिया भी 50 साल पुरानी है।
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