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Atiq Ahmed: पीएम मोदी के खिलाफ भी ताल ठोक चुका है अतीक, 2019 के चुनाव में मिले थे मात्र 833 वोट
Atiq Ahmed: चुनाव के दौरान उसने जेल में रहते हुए ही नामांकन पत्र दाखिल कराया था मगर उसे सिर्फ 833 मत ही हासिल हुए थे।
Atiq Ahmed: प्रयागराज के उमेश पाल अपहरण केस में उम्रकैद की सजा पाने वाला माफिया अतीक अहमद सियासी मैदान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी ताल ठोक चुका है। अतीक अहमद 2019 में वाराणसी संसदीय सीट पर हुए चुनाव में किस्मत आजमाई थी। चुनाव के दौरान उसने जेल में रहते हुए ही नामांकन पत्र दाखिल कराया था मगर उसे सिर्फ 833 मत ही हासिल हुए थे।
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राजू पाल हत्याकांड के गवाह रहे उमेश पाल के अपहरण के मामले में प्रयागराज की एमपी-एमएलए कोर्ट ने अतीक अहमद और उसके दो साथियों को मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। इसके साथ ही अदालत ने तीनों आरोपियों पर एक-एक लाख का जुर्माना भी लगाया है। यह क्षतिपूर्ति पीड़ित परिवार को दी जाएगी। अदालत ने सबूतों के अभाव में खालिद अजीम उर्फ अशरफ समेत सात आरोपियों को बरी कर दिया। सजा सुनाए जाने के बाद अब अतीक अहमद भविष्य में कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकेगा।
किसी राजनीतिक दल का नहीं मिला समर्थन
माफिया अतीक अहमद पांच बार विधायक और एक बार सांसद रह चुका है। 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अतीक ने घोषणा की थी कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ वाराणसी संसदीय सीट से चुनाव लड़ेगा। दरअसल उस समय अतीक प्रयागराज की नैनी सेंट्रल जेल में बंद था। अतीक के जेल में बंद होने के कारण उसके प्रतिनिधि ने वाराणसी आकर उसका नामांकन पत्र दाखिल किया था। वाराणसी से चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद अतीक को उम्मीद थी कि उसे किसी प्रमुख राजनीतिक दल का समर्थन या सिंबल हासिल हो जाएगा।
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हालांकि अतीक किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन पाने में नाकाम रहा। चुनाव लड़ने के लिए उसे अदालत से पैरोल भी नहीं मिल सकी थी। इस कारण अतीक ने चुनाव मैदान से हटने का फैसला किया था और पत्र जारी करके चुनाव मैदान में चुनाव मैदान से हटने की घोषणा भी की थी। अतीक की इस घोषणा से पहले नामांकन वापसी की तारीख बीत चुकी थी। इस कारण उसका नामांकन पत्र वापस नहीं हो सका। चुनाव मैदान से हटने की घोषणा के बावजूद इस चुनाव में अतीक अहमद को 833 मत हासिल हुए थे।
विधानसभा चुनाव में पांच बार मिली कामयाबी
वैसे यदि अतीक के सियासी सफर को देखा जाए तो वह पांच बार विधानसभा का चुनाव जीतने में कामयाब रहा। अतीक अहमद ने 1989, 1991, 1993, 1996 और 2002 में प्रयागराज की शहर पश्चिमी सीट से लगातार विधानसभा का चुनाव जीता। वर्ष 2004 में वह फूलपुर संसदीय सीट से चुनाव जीतने में भी कामयाब रहा था।
माफिया अतीक अहमद कई बार जेल की सलाखों के पीछे पहुंचा और जमानत पाकर बाहर निकलने में भी कामयाब रहा। इस कारण उसका दबदबा हमेशा बरकरार रहा। इस दबदबे के कारण ही उसने अकूत दौलत भी बटोरी।
सजा के बाद सियासी भविष्य पर लगा ग्रहण
2019 के लोकसभा चुनाव से पहले हुई गिरफ्तारी के बाद अतीक के बुरे दिनों की शुरुआत हुई। प्रदेश के कई जिलों में रखने के बाद आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उसे गुजरात की साबरमती जेल भेज दिया गया। जुर्म की कश्ती पर संसद तक का सफर तय करने वाले अतीक अहमद के सियासी भविष्य पर अब ग्रहण लग गया है।
उमेश पाल अपहरण मामले में आजीवन कारावास की सजा मिलने के बाद अब अतीक भविष्य में कोई चुनाव नहीं लड़ सकेगा। अपने राजनीतिक सफर के लिए अतीक ने जिस अपराध को हथियार बनाया, अब वही उसके लिए घातक हो गया है।
अब सजा मिलने का दौर शुरू
अतीक अहमद के खिलाफ 17 साल की उम्र में 1979 में हत्या का पहला मुकदमा दर्ज किया गया था। अभी तक उसके खिलाफ सौ से ज्यादा मुकदमा दर्ज हो चुके हैं मगर उमेश अपहरण केस से पहले उसे किसी मामले में सजा नहीं हुई थी। वह 44 साल तक कानून को चकमा देता रहा मगर अब अतीक के सजा मिलने का दौर शुरू हो गया है। अतीक के खिलाफ अब तक हत्या के 15 मुकदमे दर्ज हुए हैं और इनमें से छह में वह दोषमुक्त भी हो चुका है।
करीब 44 साल पहले तमंचे से इलाहाबाद के खुल्दाबाद इलाके में मोहम्मद गुलाम की हत्या करने वाले अतीक का दुस्साहस इतना बढ़ गया था कि उसने गत 24 फरवरी को राजू पाल हत्याकांड के गवाह उमेश पाल और दो पुलिसकर्मियों की हत्या करा दी थी। अब अतीक के खिलाफ दर्ज मुकदमों की अदालत में पैरवी तेज की जा चुकी है। जानकारों का मानना है कि आने वाले दिनों में है अतीक को अन्य मामलों में भी सजा सुनाई जा सकती है।