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औरैया: दर्जनों टीबी मरीजों के भगवान हैं नीलेश, कहानी जानकर करेंगे तारीफ

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. ए के राय ने बताया फ़िलहाल जनपद में 927 एक्टिव मरीज़ हैं। जिनमे 70 एमडीआर के मरीज़ हैं।

Chitra Singh
Published on: 3 March 2021 7:28 PM IST
औरैया: दर्जनों टीबी मरीजों के भगवान हैं नीलेश, कहानी जानकर करेंगे तारीफ
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औरैया: घर-घर दस्तक देंगी आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, ढूंढे जाएंगे टीबी के मरीज

औरैया। नीलेश गृहणी होने के साथ ही आशा बहू भी हैं। घरेलू कामकाज में व्यस्त रहती हैं इसके बाद भी टीबी जैसी बीमारी से लोगों को मुक्ति दिलाने और जागरूकता फैलाने के लिए न सिर्फ प्रतिबद्ध हैं बल्कि इसके लिए घर-घर घूमती भी हैं। टीबी जैसे रोग के मरीजों से लोग दूर भागते हैं लेकिन जब उनके ही मोहल्ले में दो सगे भाइयों को टीबी जैसी बीमारी लगी तो उनका नजरिया और ज़िन्दगी दोनों बदल गई। तभी नीलेश ने गहराई से इस बीमारी की जानकारी ली और फिर लोगों को भी टीबी से मुक्ति दिलाने की ठान ली। नीलेश अब तक दर्जनों लोगों को टीबी से मुक्ति दिलाने में मदद कर चुकी हैं।

नीलेश ऐसे बनीं डॉट्स प्रोवाइडर

औरैया के ब्लॉक अजीतमल के गाँव चिटकापुर की रहने वालीं नीलेश वर्ष 2006 से आशा बहू के रूप में और वर्ष 2012 से डॉट्स प्रोवाइडर के रूप में काम कर रही हैं। वह बताती हैं कि उनके ही घर के पास दो सगे भाइयों को जब टीबी हुई तब पूरा गाँव उन दोनों के साथ भेदभाव करने लगा और इस बीमारी को लाइलाज बताने लगे। एक साल के इलाज के बाद उन दोनों भाइयों ने टीबी को मात दी और पूरी तरह स्वस्थ हुए। वह कहती हैं कि उन्होंने टीबी जैसे मर्ज़ को बहुत करीब से देखा है। इसलिए जब उन्हें डॉट्स प्रोवाइडर के रूप में कार्य करने का मौका मिला तो हाँ कहने में देर नहीं की।

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टीबी से पीड़ित है मजदूर

वह बताती हैं कि यहाँ ज्यादातर टीबी के मरीज़ मजदूर वर्ग के हैं। सुबह जल्दी काम के लिए निकल जाते हैं। इस वजह से वह सुबह छह बजे उठ कर लोगों के पास जा कर दवाई देती हैं। जिन मरीजों से फ़ोन पर संपर्क होता है उनसे एक हफ्ता पहले ही संपर्क कर लेती हैं और दवाई खत्म होने से पहले ही दवा उपलब्ध कराती हैं।

नीलेश बताती हैं कि कई मरीज़ किशोरियां भी रहीं हैं जिनकी वह नियमित देख-रेख करती थीं। अक्सर उनके परिवार वालों को अपनी पहचान बताने में आपत्ति रहती थी। उन्हें डर रहता था कि यदि उनकी बेटियों के टीबी मरीज़ होने की बात लोगों में पहुंची तो ऐसा न हो शादी या आने वाले वैवाहिक जीवन में असर डाले। इसके लिए नीलेश ने परिवार वालों का भरोसा जीता और बिना पहचान बताये किशोरियों का इलाज पूरा करवाया और आज उन्हें टीबी से मुक्ति मिल गई है। अब तक नीलेश ने करीब 45 मरीजों को टीबी से मुक्ति दिलाने में मदद की है।

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जनपद में हैं 927 एक्टिव टीबी मरीज़

जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ. ए के राय ने बताया फ़िलहाल जनपद में 927 एक्टिव मरीज़ हैं। जिनमे 70 एमडीआर के मरीज़ हैं। उन्होंने बताया कि जिले में सभी डॉट्स प्रोवाइडर अच्छा कार्य कर रहे हैं। अलग-अलग श्रेणी के टीबी मरीजों को दवा खिलाने के एवज में डॉट्स प्रोवाइडर को शासन की तरफ से प्रोत्साहन राशि मिलती है। छह माह का कोर्स कराने पर एक हज़ार रुपये और एमडीआर टीबी के मरीजों, जिनका इलाज 24 माह चलता है, उन्हें दवा खिलाने पर डॉट्स प्रोवाइडर को पांच हजार रुपये मिलते हैं।

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रिपोर्ट- प्रवेश चतुर्वेदी

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