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विवादित ढांचा ध्वंसः 6 दिसंबर 1992 जब रच दिया गया इतिहास, हीरो थे कल्याण
मुख्यमंत्री कल्याण सिंह लिखित संदेश भेजते हैं कि गोली नहीं चलेगी। उसके बिना विवादित परिसर खाली कराएं। इस बीच खबर आती है कि सेना रवाना हो गई है। लेकिन कारसेवक जगह जगह टायर आदि डालकर जला देते हैं जिससे सारे रास्ते बंद हो जाते हैं।
रामकृष्ण वाजपेयी
बात दिसंबर 1992 की शुरुआत की है। मै दैनिक जागरण में था। उन दिनों हम लोगों की ड्यूटी राउंड ओ क्लाक चल रही थी मतलब रात दो बजे अखबार छोड़ने के बाद सुबह फिर आफिस पहुंच जाते थे क्योंकि जागरण के बुलेटिन निकला करते थे। अयोध्या में लाखों कारसेवक पहुंच चुके थे और उनके जयघोष की हुंकार किसी उफनायी हुई नदी की तरह हिलोरें ले रही थी। हर तरफ आशंका उन्माद था।
छह दिसंबर की सुबह 10 बजे
छह दिसंबर की सुबह 10 बजे के लगभग जब मैं आफिस पहुंचा। खबरें आ रही थीं सुबह 7.00 बजे के लगभग विश्व हिन्दू परिषद के नेता विनय कटियार की तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिम्हा से फोन पर बात हो चुकी थी। कटियार ने कहा है कि कारसेवा प्रतीकात्मक होगी। लेकिन कारसेवकों के तेवर देखकर हम सभी लोग आशंकित थे।
भाजपा के नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, अशोक सिंहल कारसेवकों की तेजी से बढ़ती संख्या को देखकर आशंकित थे कि इन्हें नियंत्रित कैसे किया जाए। इनकी चिंता वाजिब भी थी। मुख्यमंत्री कल्याण सिंह खुद तीनों नेताओं से फोन पर बात कर हालात का जायजा ले रहे थे और स्थिति संभालने का आग्रह कर रहे थे। अनहोनी की आशंका उनको भी थी। अधिकारियों की बैठकें भी जारी थीं।
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बातचीत का जरिया सिर्फ लैंडलाइन फोन
उस समय मोबाइल नहीं था बातचीत का जरिया सिर्फ लैंडलाइन फोन था। तभी खबर आई कि केंद्रीय गृह सचिव माधव गोडबोले ने आईटीबीपी यानी भारत-तिब्बत सीमा पुलिस के महानिदेशक से केंद्रीय बलों के साथ तैयार रहने को कहा है।
मै अभी ठीक से बैठ भी नहीं पाया था तभी खबर आई कि कारसेवा शुरू हो गई है। कारसेवक बहुत उग्र हैं। दरअसल जिस विवादित चबूतरे पर प्रतीकात्मक कारसेवा यज्ञ और हवन के रूप में होनी थी, वहां आडवाणी, जोशी को देख कारसेवक भड़क गए थे। नारेबाजी होने लगी थी। उग्र कारसेवकों ने पहली बार बाड़ तोड़ दी थी। और सैकड़ों कारसेवकों का एक सैलाब आगे बढ़ गया था। हालात बेकाबू हो गए थे।
कारसेवक विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे में जबरन घुस गए
कारसेवक विवादित बाबरी मस्जिद ढांचे में जबरन घुस गए उन्होंने तोड़-फोड़ शुरू कर दी। इस बीच तरह तरह की खबरें आने लगीं जिसमें केंद्रीय बलों और सेना के इस्तेमाल की भी बात थी। मुख्यमंत्री कल्याण सिंह गोली चलाने को राजी नहीं थे। उन्होंने इसके बगैर हालात संहालने को कहा। इस बीच कुछ कारसेवक गुंबद के ऊपर चढ़ गए थे।
सुप्रीम कोर्ट के आब्जर्वर जो स्थाई निर्माण रोकने आए थे उनकी विकट स्थिति थी यहां स्थाई निर्माण नहीं विध्वंस हो रहा था। इस बीच खबर आती है कि पहला गुंबद ढह गया। केंद्रीय गृहमंत्री एसबी चह्वाण राज्यपाल बी सत्यनारायण रेड्डी से ढांचे को बचाने के लिए दखल देने को कहते हैं।
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गोली नहीं चलेगी-कल्याण सिंह
मुख्यमंत्री कल्याण सिंह लिखित संदेश भेजते हैं कि गोली नहीं चलेगी। उसके बिना विवादित परिसर खाली कराएं। इस बीच खबर आती है कि सेना रवाना हो गई है। लेकिन कारसेवक जगह जगह टायर आदि डालकर जला देते हैं जिससे सारे रास्ते बंद हो जाते हैं।
दोपहर तीन बजे तक विवादित ढांचे को काफी नुकसान पहुंच चुका होता। उधर दिल्ली से खबर आती है रेसकोर्स रोड पर प्रधानमंत्री निवास में प्रधानमंत्री के निजी डॉक्टर के श्रीनाथ राव की तबीयत देखने दोबारा आए हैं। डाक्टर रेड्डी बताते हैं राव का ब्लड प्रेशर बढ़ा है। वह खामोश हैं।
छह दिसंबर की शाम 5 बजे
शाम पांच बजते बजते विवादित इमारत का मुख्य गुंबद भी गिर जाता है। सारे स्थानीय अफसर भाग खड़े होते हैं। कारसेवकों की वानर सेना लौटने लगती है। आश्चर्य जहां कार सेवा हुई थी वहां मैदान हो गया था। बहुत थोड़ा सा मलबा था। सारा मलबा कारसेवक उठा ले गए थे। कारसेवक विजय उन्माद में लौट रहे थे।
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कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया
कुछ जगह दंगों की खबरें भी आईं। शाम को कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया। शाम को बाबरी ढांचे के समतल चबूतरे पर एक तंबू में रामलला की मूर्तियां रख दी गईं. अस्थाई ढांचे का निर्माण हो गया।
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