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अयोध्या की रामलीला: घर-घर तक पहुंचाने में सफल, दे गई सत्य और धर्म की सीख
वर्चुअल रामलीला को अयोध्या समेत दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लाइव देखा गया और लोगों ने इसे खूब सराहा। इस रामलीला में जहां एक तरफ कोविड-19 को लेकर जारी दिशा निर्देशों का पालन किया गया तो वहीं दूसरी ओर प्रदूषण न फैले इसका भी भरपूर ध्यान रखा गया।
अयोध्या: दशहरा के दिन सिने कलाकारों से सजी अयोध्या की ऐतिहासिक रामलीला का भी रावण वध के साथ समापन हो गया लेकिन युगों-युगों से पूरी दुनिया को भगवान श्रीराम के चरित्र से मिल रही सीख को यह रामलीला घर-घर तक पहुंचाने में सफल रही। रामलीला के दौरान भगवान श्रीराम ने अहंकारी रावण का वध कर पूरे विश्व के मनुष्यों को सीख दी कि वह भी अपने अंदर के रावण रूपी अहंकार, लोभ और वासना को त्याग कर दया, प्रेम व मानवता को अपनाने का प्रण लें।
वर्चुअल रामलीला को लोगों ने खूब सराहा
अयोध्या के लक्ष्मण किला प्रांगण में पिछले 17 अक्टूबर से आयोजित हो रही अयोध्या की वर्चुअल रामलीला 25 अक्टूबर यानी दशहरा तक चली, जिसमें मायानगरी के जाने-माने कलाकारों ने अपने अभिनय से रामलीला के पात्रों को जीवंत कर दिया। वर्चुअल रामलीला को अयोध्या समेत दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लाइव देखा गया और लोगों ने इसे खूब सराहा। इस रामलीला में जहां एक तरफ कोविड-19 को लेकर जारी दिशा निर्देशों का पालन किया गया तो वहीं दूसरी ओर प्रदूषण न फैले इसका भी भरपूर ध्यान रखा गया।
रावण दहन में पहली बार ग्रीन पटाखों का प्रयोग
अयोध्या में पहली बार ऐसा देखने को मिला कि रावण के पुतले में आतिशबाजी के तौर पर ग्रीन पटाखों का प्रयोग किया गया जिनसे रोशनी तो खूब हुई लेकिन धुंआ नहीं निकला। इसके लिए आयोजकों ने 55 फिट ऊंचे रावण के पुतले को दिल्ली से तैयार करके मंगवाया रावण के पुतले को लक्ष्मण किला स्थित रामलीला मंच के सामने मैदान में लगाया गया था, दशहरे के दिन जैसे ही रावण का वध हुआ, उसी के बाद इस रावण का दहन कर दिया गया।
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मनोरंजन का साधन नहीं बल्कि सीख देती है रामलीला: रज़ा मुराद
रामलीला में अहिरावण की भूमिका निभाने अयोध्या पहुंचे अभिनेता रजा मुराद ने कहा की रामलीला केवल मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह सीख देती है कि रावण राजा था, बलशाली था और बहुत बड़ा ज्ञानी भी था। लेकिन उससे गलती यह हुई की उसने एक विवाहित स्त्री पर हाथ डाला और यही उसके पतन का कारण बना। पूरी दुनिया को रामलीला के प्रसंगों से सीख लेने की जरूरत है कि किस तरह मानव मूल्यों को श्रेष्ठता प्रदान कर जीवन को जिया जाए। इससे हमें यह सीख भी मिलती है कि बुराई पर हमेशा अच्छाई की ही जीत होती है।
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रिपोर्ट- अखिलेश तिवारी
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