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बाबरी विध्वंस केस: आयोग को अपना काम करने में लग गए 17 साल, ये लोग थे जिम्मेदार

लिबरहान आयोग 16 दिसंबर 1992 को बना था और 30 जून 2009 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 998 पेज की अपनी रिपोर्ट दी थी। एक सदस्यीय आयोग को अपना काम करने में 17 साल लग गए थे।

Newstrack
Published on: 30 Sep 2020 7:17 AM GMT
बाबरी विध्वंस केस: आयोग को अपना काम करने में लग गए 17 साल, ये लोग थे जिम्मेदार
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बाबरी विध्वंस केस: आयोग को अपना काम करने में लग गए 17 साल, ये लोग थे जिम्मेदार (social media)

नीलमणि लाल

लखनऊ: लिबरहान आयोग 16 दिसंबर 1992 को बना था और 30 जून 2009 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 998 पेज की अपनी रिपोर्ट दी थी। एक सदस्यीय आयोग को अपना काम करने में 17 साल लग गए थे।

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-रिपोर्ट में साफ़ तौर पर अटल बिहारी वाजपेयी, कल्याण सिंह, आरएसएस, विश्व हिन्दू परिषद्, बजरंज दल और शिव सेना को दोषी ठहराया गया था।

-रिपोर्ट में लिखा है कि- 'ये एक क्षण के लिए भी नहीं माना जा सकता कि एल।के। आडवाणी, ए।बी।वाजपेयी और मुरली मनोहर जोशी को संघ परिवार के इरादों की जानकारी नहीं थी।'

-रिपोर्ट में लिखा- 'विध्वंस राष्ट्रीय और स्थानीय लीडरशिप के सामने हुआ। आरएसएस, बजरंग दल, विश्व हिन्दू परिषद्, भाजपा और शिवसेना के कैडर अपने नेताओं के साथ उस स्थल पर मौजूद थे। इन लोगों ने सचेष्ट या निश्चेष्ट रूप से विध्वंस का समर्थन किया।'

- हिंसा को प्रोत्साहन देने में अधिकारियों की गहरी मिलीभगत थी जिसने सैकड़ों लोगों की जान ले ली।

-रिपोर्ट के अधिकांश भाग में लाल कृष्णा आडवाणी का जिक्र है। रिपोर्ट के अनुसार, आडवाणी ने अपनी रथ यात्राओं और अनेक भड़काऊ भाषणों के जरिये इस मसले में जान फूंकी थी।

मुरली मनोहर जोशी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के संग अयोध्या आये थे

- रिपोर्ट में लिखा है कि मुरली मनोहर जोशी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के संग जुलाई 1991 में विवादित स्थल की यात्रा की और पूजा की। इस दौरान वहां 'राम लला हम आये हैं, मंदिर यहीं बनायेंगे' जैसे नारे लगाए गए। जोशी और कल्याण सिंह ने वहां उपस्थित अन्य लोगों के साथ उस स्थल पर राम मंदिर के निर्माण की शपथ ली।

BJP-leaders BJP-leaders (social media)

-कल्याण सिंह के बारे में रिपोर्ट में लिखा है कि उनका प्रशासन विध्वंस रोकने में विफल रहा और कल्याण सिंह ने उन अधिकारीयों का ट्रान्सफर किया जो इस कदम के पक्ष में नहीं थे। बाबरी मस्जिद की रक्षा में लगी पुलिस फ़ोर्स में से 90 फीसदी (मंदिर आन्दोलन) के साथ सहानभूति रखते थे। और पुलिस को सख्त निर्देश थे कि वे कार सेवकों के खिलाफ बलप्रयोग नहीं करेंगे।

- रिपोर्ट में लिखा है कि मुख्यमंत्री धुरी थे और विध्वंस तथा मंदिर निर्माण आन्दोलन में उन्होंने मुख्य भूमिका निभाई।

'कल्याण सिंह, उनके मंत्रियों और चुने हुए ब्यूरोक्रेट्स ने ऐसे खराब हालात बना दिए जिसकी परिणीति विवादित ढांचे के विध्वंस अतिरिक्त कुछ और नहीं हो सकती थी। उन्होंने जानबूझ कर अंधाधुंध विध्वंस और उसके बाद की अराजकता की स्थिति को बनने दिया।'

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मंदिर तो बनना ही था

बाबरी मस्जिद विध्वंस में शामिल लोगों की पहचान और जांच करने वाले सेवानिवृत्त न्यायाधीश मनमोहन सिंह लिबरहान ने कहा था कि उन्हें हमेशा से यह लगा कि अयोध्या में राम मंदिर बनेगा। उन्होंने कहा कि ‘व्यक्तिगत रूप से मुझे हमेशा से यह महसूस होता रहा है कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण होगा।न्यायाधीश लिब्रहान ने जवाब दिया, यह एक निजी भावना है। मेरे पास इस बात को बताने के लिए कुछ नहीं है कि मुझे यह एहसास क्यों होता रहा है।’

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