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गांवों में फिर से बढ़ा दाई का क्रेज, महिला अस्पतालों में सन्नाटा

वैश्विक महामारी नोवेल कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन चल रहा है। लोग घरों से निकल नहीं रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में पूरी सुविधाएं नही मिल रही हैं, कारण कोविड-19 में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ लगा है।

Vidushi Mishra
Published on: 26 April 2020 12:15 PM GMT
गांवों में फिर से बढ़ा दाई का क्रेज, महिला अस्पतालों में सन्नाटा
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गांवों में फिर से बढ़ा दाई का क्रेज, महिला अस्पतालों में सन्नाटा

कन्नौज। वैश्विक महामारी नोवेल कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी लॉकडाउन चल रहा है। लोग घरों से निकल नहीं रहे हैं। सरकारी अस्पतालों में पूरी सुविधाएं नही मिल रही हैं, कारण कोविड-19 में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ लगा है। निजी नर्सिंगहोम भी पूरे नहीं चल रहे हैं। जिसकी वजह से सरकारी अस्पतालों में प्रसव की संख्या में 40- 50 फीसदी गिरावट दर्ज की गई है। ग्रामीण इलाकों में अब लोग पहले की परम्परा से घरों पर ही प्रसव करा रहे हैं। जिससे दाई का क्रेज बढ़ गया।

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अब तक 1600 से 1650 प्रसव हुए

उत्तर प्रदेश के जिला कन्नौज में पहली अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक स्वास्थ्य विभाग के आंकडे़ देखे जाएं तो प्रतिदिन औसत 95 प्रसव सरकारी अस्पतालों में हुए हैं।

पिछले महीने मार्च में जनपद में कुल 3127 प्रसव हुए। तकरीबन 104 औसत प्रसव हुए। बात अगर इस महीने की हो तो रिपोर्ट 28 अप्रैल को आएगी, लेकिन स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अब तक 1600 से 1650 प्रसव हुए होंगे।

यानि पिछले महीने की अपेक्षा करीब 50 फीसदी आंकड़ा संस्थागत प्रसव का घट गया। प्रतिदिन 53 प्रसव ही औसत रोज हुए होंगे। ऐसा नहीं है कि लॉकडाउन में प्रसव की संख्या कम हो गई, हां सरकारी अस्पतालों व निजी नर्सिंगहोम के आंकड़े जरूर कम हो गए।

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गांव में होने वाले प्रसव के दौरान लोग दाई का सहारा लेने लगे। आशा बहुओं को भी बुलाने लगे। एंबुलेंस देर से या न आने की वजह से कभी-कभी घर पर भी प्रसव हो गए।

सरकारी अस्पतालों के ज्यादातर डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टॉफ कोविड-19 की ड्यूटी में लगे हैं, इसलिए सरकारी अस्पतालों में प्रसव की संख्या गिरी है। दूसरी ओर निजी नर्सिंगहोम भी सभी नहीं चल रहे हैं।

कन्नौज में प्रसव के कुछ जरूरी तथ्य

-पहली अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2020 तक कुल प्रसव 34494 हुए।

-24357 प्रसव सरकारी अस्पतालों व 10137 प्रसव गैर सरकारी अस्पतालों में हुए।

-सरकारी अस्पतालों में सिजेरियन केस 156 अन्य केस नार्मल बताए गए हैं।

-निजी नर्सिंग होम की ओर से प्रसव संख्या तो दी जाती है, लेकिन उसमें सीजर का उल्लेख नहीं होता।

-मार्च 2020 में सरकारी अस्पतालों में 2158 व गैर सरकारी अस्पतालों में 969 प्रसव हुए।

-अप्रैल 2020 में स्वास्थ्य विभाग का अनुमान है कि 1600-1650 प्रसव हुए होंगे, अभी रिपोर्ट आई नहीं है।

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आशा बहू की जुबानी, प्रसव की कहानी

कन्नौज जिला मुख्यालय से करीब 19 किमी दूर ब्लॉक उमर्दा क्षेत्र के एक गांव की निवासी आशा बहू राजकुमारी ने बताया कि जब गर्भवती को दिक्कत आती है तो कोरोना वायरस का खौफ छोड़कर जान बचाना व मदद करना पहली प्राथमिकता होती है।

लॉकडाउन में दिक्कतें तो हुई हैं, लेकिन जब भी सूचना मिली वह गर्भवती की मदद के लिए दौड़ पड़ीं। अबकी संस्थागत प्रसव कम हुए हैं। मार्च व अप्रैल में उनके क्षेत्र में एक-एक प्रसव घर पर ही हो गया।

खुद उन्होंने जच्चा-बच्चा को सुरक्षित रखने की प्रक्रिया अपनाई और बताई। नारा काटने के लिए दाई का सहारा लिया। अब जच्चा-बच्चा दोनों ही स्वस्थ्य हैं।

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क्या कहती हैं महिला डॉक्टर

विनोद दीक्षित अस्पताल यानि सीएचसी कन्नौज की डॉ. अमिता पटेरिया ने बताया उनकी ड्यूटी ऑनकॉल लगी है। जिस महिला को दिक्कत हो वह उनके मोबाइल नंबर 7753937151 पर संपर्क कर सकती हैं।

उनके पास कई फोन आते भी हैं। आशा बहुएं गांव में मदद कर रही हैं। जरूरत पड़ने पर एंबुलेंस भी बुला रही हैं। जो जांच कराने आता है, कराई जाती है। ज्यादातर घर पर ही रहने को कहा जा रहा है।

जिसका नौ महीने पूरा हो गया है, उसका प्रसव तो कराया ही जाएगा, चाहे अस्पताल में हो या घर में। गांव में लोग एक्सपर्ट दाई व आशा की मदद ले रहे हैं। आंकडे़ भले ही कम हों, लेकिन सरकारी अस्पतालों में प्रसव हो रहे हैं।

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रिपोर्ट- अजय मिश्रा

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