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दोस्ती हो तो ऐसी: 22 लोगों का ग्रुप ऐसे करता है लोगों की मदद, कहानी है भावुक

22 दोस्त महीने की 09 तारीख को रुपए जमा करके 11 हजार रुपए देते है। ताकि की शोएब के परिवार को किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।

Shivakant Shukla
Published on: 14 Nov 2019 12:39 PM GMT
दोस्ती हो तो ऐसी: 22 लोगों का ग्रुप ऐसे करता है लोगों की मदद, कहानी है भावुक
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कानपुर: बजरंगदल के नेता रहे प्रखर श्रीवास्तव और कांग्रेस नेता शोएब खान की दोस्ती गंगा जमुना तहजीब की मिसाल बनी हुई है। प्रखर ने शोएब के लिए बजरंगदल से इस्तीफा दे दिया था। शोएब की बेरहमी से गोली मार कर हत्या कर दी गई थी और शोएब ने प्रखर की गोद में दम तोड़ा था। शोएब अपने घर का एकलौता बेटा था। शोएब की मौत के बाद प्रखर घर की देखरेख कर रहा है। शोएब के दोस्तो का ग्रुप हर महीने की 09 तारीख को 11 हजार रुपए की आर्थिक मदद करते। इसके साथ ही शोएब की हत्या की पैरवी प्रखर कर रहा है।

शोएब और प्रखर की दोस्ती ऐसी थी कि

चकेरी थाना क्षेत्र स्थित केडीए कॉलोनी में रहने वाले प्रखर श्रीवास्तव और शोएब खान बचपन के दोस्त थे। वक्त के साथ जब दोनो बड़े हुए तो प्रखर ने बजरंगदल की सदस्यता ग्रहण कर ली। शोएब खान ने कांग्रेस ज्वाईन कर ली थी। दोनो ने अपनी-अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरूआत की थी। शोएब और प्रखर की दोस्ती ऐसी थी कि दोपहर और शाम का खाना एक साथ होता था। आज भी कानपुर के लोग इनकी दोस्ती की मिसाल देते है।

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शोएब ने प्रखर की गोद पर दम तोड़ दिया था

बीते 09 अक्टूबर 2019 को एक दरोगा के बेटे ने शोएब की गोली मार कर हत्या कर दी थी। जब शोएब को जब गोली लगी थी तो प्रखर उसे बाईक पर बैठाकर हास्पिटल ले गया था। लेकिन में रास्ते में ही शोएब ने प्रखर की गोद पर दम तोड़ दिया था।

प्रखर श्रीवास्तव ने बताया कि मेरा परिवार पहले हरबंश मोहाल में रहता था। 2005 में पूरे परिवार के साथ चकेरी के केडीए कॉलोनी में रहने के लिए के लिए गए थे। जब मैं वहां गया तो मेरी सबसे पहली दोस्ती शोएब से हुई थी। बचपन से लेकर बड़े होने तक हम दोनों ने अपने परिवार से ज्यादा एक समय साथ समय बिताया था। जब हम लोग बड़े हुए तो मैने बजरंगदल की सदस्यता ले ली। शोएब ने कांग्रेस पार्टी ज्वाईन कर ली।

शोएब मेरे लिए जय श्रीराम के नारे लगाता था

प्रखर ने बताया कि जब बजरंगदल के कार्यक्रम होते थे तो शोएब मेरे लिए जय श्रीराम के नारे लगाता था। मेरी वजह से वो बजरंगदल के कार्यक्रमों में बढ़चढ कर हिस्सा लेता था। मंदिर के भंडारे हो या फिर धार्मिक जुलूसों में अहम योगदान रहता था। प्रवीण तोगड़िया के कार्यक्रम का अयोजन मैने किया था। लेकिन उस कार्यक्रम की व्यास्था शोएब ने देखी था। इसके बाद मुझे लगा कि शोएब भी तो मुस्लिम है मेरे लिए वो इतना कुछ करता है। मेरे दिल ने गवाही दी कि बजरंगदल छोड़ देना चाहिए। मैने 17 अक्टूबर 2016 को बजरंगदल से इस्तिफा दे दिया।

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शोएब की हत्या के बाद उसका परिवार बर्बाद हो गया है। परिवार में पिता आमिर खान मां नादिरा बड़ी बहन नाहिदा और छोटी बहन नैंशी है। नैंशी 12 क्लास में पढ़ती है बड़ी बहन की शादी हो चुकी है लेकिन पति के साथ नहीं रहती है। बुजुर्ग मां बाप एकलौते बेटे को खो कर पूरी तरह टूट चुके है।

शोएब की हत्या के बाद परिजनों से मिलने आए थे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष

शोएब खान कांग्रेस में नगर इकाई सचिव थे। शोएब के कांग्रेस के प्रदेश आलाकमान से अच्छे संबंध थे। शोएब की हत्या के बाद परिजनों से मिलने के लिए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू आए थे। अजय कुमार लल्लू ने परिवार की पूरी मदद करने के का अश्वासन दिया था। इसके साथ ही पार्टी की तरफ से आर्थिक मदद देने का वादा किया था। जब उनसे आर्थिक मदद के लिए कहा गया तो वहां से जवाब आया कि हमने तो ऐसा काई अश्वासन नहीं दिया था। कांग्रेस के नेताओं से ज्यादा तो बीजेपी के नेताओं ने इस मामले में हमारी मदद की है।

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शोएब का 22 दोस्तो का ग्रुप था

उन्होने बताया कि मेरा और शोएब का 22 दोस्तो का ग्रुप था। शोएब की हत्या के बाद शोएब की आर्थिक स्थिति को देखते हुए हम सभी दोस्तो ने प्रति माह 500 रुपए जमा करने की योजना बनाई। 22 दोस्त महीने की 09 तारीख को रुपए जमा करके 11 हजार रुपए देते है। ताकि की शोएब के परिवार को किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़े।

प्रखर ने बताया कि शोएब की हत्या के केस की विवेचना कन्नौज ट्रांस्फर करा दिया है। दरसल कानपुर एसएसपी अंनतदेव तिवारी 1998 में कानपुर में सीओ रह चुके है। अनंतदेव जब कानपुर के सीओ थे तो उस वक्त हत्यारे रवि यादव के पिता यसवंत यादव उनके ड्राईवर थे। इस हत्या में रवि यादव की पत्नी किरण ने रवि को लाईसेंसी रायफल और मैग्जीन दी थी। महिलाओं को इसमें आरोपी नहीं बनाया गया है। जांच प्रभावित नहीं हो इस लिए मैनें कन्नौज ट्रांस्फर कराया है।

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कैसे हुई थी हत्या

बीते 09 अक्टूबर को केडीए कॉलोनी में दरोगा यसवंत यादव का परिवार रहता है । दरोगा यसवंत जनपद उन्नाव के अचलगंज थाने में तैनात थे। यसवंत यादव का बेटे रवि यादव ने एक प्लाट खरीदा था। उस प्लाट में टीन शेड डलवाले का ठेका शोएब के दोस्त प्रशांत यादव के पिता रणधीर यादव को दिया था। यह 80 हजार रुपए का ठेका था रवि ने 50 हजार रुपए नगद रणधीर यादव को दिए थे।

शोएब पर कर दिया था फायर

बीते 09 अक्टूबर रवि ने प्रशांत के पिता रणधीर यादव को घर बुलाया और टीनशेड को लेकर रवि की रणधीर यादव से बहस होने लगी। रवि ने रणधीर यादव को घर पर हीं बंधक बना लिया। प्रशांत ने शोएब को फोन पर जानकारी दी कि केडीए कालोनी में रहने वाले रवि यादव ने पिता को बंधक बना लिया है। इस सूचना पर शोएब रवि के घर पर पहुंचा तो रवि और शोएब की बहस शुरू हो गई। इसी बीच रवि घर से लाईसेंसी रायफल लेकर आया और शोएब पर फायर कर दिया था। इस घटना में शोएब की मौत हो गई थी।

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