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बलिया: आधार कार्ड पर अवैध वसूली का वीडियो, तत्काल जांच के आदेश
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जन-आधार “एक नंबर, एक कार्ड, एक पहचान” योजना डाक विभाग के कर्मचारियों के लिए कामधेनु गाय बन गई है ।
बलिया : निवासियों एवं परिवारों की जन-सांख्यिकीय एवं सामाजिक-आर्थिक सूचनाओं का डेटाबेस तैयार करने के लिए शुरू की गई जन-आधार “एक नंबर, एक कार्ड, एक पहचान” योजना को भी भ्रष्टाचारियों की नजर लग गई है ।
बलिया शहर में स्थित प्रधान डाकघर में आधार कार्ड बनवाने व संशोधन के नाम पर उपभोक्ताओं से अवैध वसूली की जा रही है। कुछ लोगों ने कर्मचारियों द्वारा पैसा लेने का वीडियो तैयार कर इसे सोशल मीडिया पर वॉयरल किया गया है। इसके साथ ही अधिकारियों से शिकायत कर मामले की जांच व कार्रवाई की मांग की गयी है। जिला प्रशासन ने इस मामले की जांच का आदेश दिया है ।
केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी जन-आधार “एक नंबर, एक कार्ड, एक पहचान” योजना डाक विभाग के कर्मचारियों के लिए कामधेनु गाय बन गई है । सोशल मीडिया पर आज बलिया के प्रधान डाक घर का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है , जिसमें बलिया के प्रधान डाक घर के कर्मचारी सरेआम नया आधार कार्ड बनाने व संशोधन के नाम पर अवैध वसूली कर रहे हैं।
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संशोधन के नाम पर वसूली
जिला मुख्यालय पर बेदुआ मुहल्ले के नागरिकों ने समाजसेवी रवि सोनी की अगुवाई में जिलाधिकारी से प्रधान डाक घर में आधार कार्ड बनाने व संशोधन के नाम पर हो रही वसूली की शिकायत की है। उन्होंने जिलाधिकारी समेत अन्य अधिकारियों को वीडियों उपलब्ध कराया है , जिसमें मुख्य डाक घर के दो कर्मचारी नया आधार कार्ड बनवाने व संशोधन कराने आये लोगों से सरेआम पैसा लेते नजर आ रहे हैं।
नया आधार कार्ड बनवाना नि:शुल्क
विभागीय दिशा निर्देश के अनुसार नया आधार कार्ड बनवाना नि:शुल्क है, जबकि संशोधन के लिये 50 रुपये शुल्क निर्धारित किया गया है। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि मुख्य डाकघर के कर्मचारी संशोधन के लिये दो से पांच सौ रुपये तक की वसूली कर रहे हैं। जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच सिटी मजिस्ट्रेट को करने का निर्देश दिया है। शिकायत करने वालों में शमशेर अली, रामसागर, राकेश सिंह, राजा अली, अशोक, रवि सोनी, सपना वर्मा, विश्वनाथ, हसीना, गोविंद प्रसाद आदि शामिल हैं।
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“एक नंबर, एक कार्ड, एक पहचान''
उल्लेखनीय है कि जन-आधार “एक नंबर, एक कार्ड, एक पहचान” योजना है । इसका मुख्य उद्देश्य निवासियों एवं परिवारों की जन-सांख्यिकीय एवं सामाजिक-आर्थिक सूचनाओं का डेटाबेस तैयार किया जाना है एवं जन-आधार कार्ड के माध्यम से परिवार एवं उसके सदस्यों की पहचान तथा पता दस्तावेज के रूप में मान्यता प्रदान करना है।