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'बे बबुनी' गाना मचा रहा सोशल मीडिया पर धूम, हो रही चर्चा

बलिया जिले के ककड़ी ग्राम के डॉ सागर ने धूम मचा दिया है । गंगा किनारे प्यार पुकारे' भोजपुरी फिल्म से फिल्म इंडस्ट्री में आगाज करने वाले डॉ सागर का पिछले दिनों 'बम्बई में का बा' गाना ने धमाल मचा दिया था ।

Newstrack
Published on: 3 Nov 2020 12:48 PM GMT
बे बबुनी गाना मचा रहा सोशल मीडिया पर धूम, हो रही चर्चा
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'बे बबुनी' गाना मचा रहा सोशल मीडिया पर धूम, हो रही चर्चा (Photo by social media)

बलिया: 'बम्बई में का बा' की सफलता के बाद डॉ सागर का एक नया गाना आया है 'बे बबुनी' । इस गाना ने सोशल मीडिया पर धूम मचा दिया है । सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर इस गाने को लेकर जबरदस्त उत्साह का माहौल है ।

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बलिया जिले के ककड़ी ग्राम के डॉ सागर ने धूम मचा दिया है

बलिया जिले के ककड़ी ग्राम के डॉ सागर ने धूम मचा दिया है । गंगा किनारे प्यार पुकारे' भोजपुरी फिल्म से फिल्म इंडस्ट्री में आगाज करने वाले डॉ सागर का पिछले दिनों 'बम्बई में का बा' गाना ने धमाल मचा दिया था । भोजपुरी रैप सॉन्ग बम्बई में का बा को डॉ सागर ने लिखा था तथा इसे अपनी आवाज दी डॉ मनोज बाजपेयी ने। डॉ सागर का पूरा नाम जय प्रकाश सागर है, लेकिन उन्हें डॉ सागर जेएनयू के नाम से जाना जाता है । उनका आज एक नया गाना आया है । इस गाने का बोल है , 'बे बबुनी' । उन्होंने गाने की शुरुआत' हमरा लिये तनी कष्ट कर तु, दिलवा में कहीं एडजस्ट कर तु' से की है । उन्होंने अपने नये गाने को लेकर आज ट्वीट किया है-

'बंबई में का बा' के एतना नेह-छोह रउवाँ सब दे दिहनी कि अगरइला के झोंका में एगो रोमैंटिक गाना हमरा से लिखा गइल - 'बे बबुनी' । अनुभव सर के संगे काम करेके ई दुसरका मौक़ा मिलल बा। हमके सोरहो आना भरोसा बाटे कि रवाँ सब 'बे बबुनी' के भी ओतने पसन करब ।

ballia-DR.Sagar ballia-DR.Sagar (Photo by social media)

कजरा के सियाही से तू नेवता पेठाइके

तोहरा चउकठ प जरत बा ऊ दियवा बुताइके

कहाँ जालू जिनिगिया धुंवा-धुंवा बा

दिल में डिलीट वाला ओप्शन कहाँ बा

डॉ सागर का जीवन संघर्षों की अंतहीन दास्तान है

बचपन से ही तोड़ देने वाले संघर्षों का सामना क़दम दर क़दम करने वाले डॉ सागर का जीवन संघर्षों की अंतहीन दास्तान है । अशिक्षित व बेहद पिछड़े हुए परिवार से जुड़े डॉ सागर के पिता हरियाणा में मज़दूर थे । दादा-दादी के साथ इनका बचपन ग़रीबी, जहालत और मुश्किलों में गुज़रा । गांव में प्रारंभिक शिक्षा के समय से ही डॉ सागर में भोजपुरी गीत लिखने का जुनून था । खेतों में काम करते, धान की रोपाई करते , दादा के साथ बर्तन बनाते व दादी के काम में हाथ बँटाते डॉ सागर भोजपुरी के गीत लिखने में जुटे रहते थे । आठवीं कक्षा के बाद पैसे की तंगी की वजह ने डॉ सागर को एक क्लीनिक में कंपाउंडर बना दिया ।

उनके भोजपुरी गीतों में आनेवाले 90 फ़ीसदी शब्द उनकी दादी के सुनाए गीतों के हैं

उन्होंने पिछले दिनों एक इंटरव्यू में बताया था कि उनके भोजपुरी गीतों में आनेवाले 90 फ़ीसदी शब्द उनकी दादी के सुनाए गीतों के हैं । उन्होंने बताया था कि उनकी दादी उन्हें कजरी, सोहर, झूमर, चैता, जंतसार विधा वाले गीत सुनाया करती थीं । डॉ सागर अंग्रेज़ी के अध्यापक सत्यदेव पांडे को अपना पहला गुरु मानते हैं । अध्यापक सत्यदेव पांडेय ने जब पहली बार सागर की कविता सुनी थी , तो उनसे प्रभावित होकर कहा था कि तुम एक दिन बहुत बड़े आदमी बनोगे । सागर ने एक नाच पार्टी भी बनाई थी । वह सट्टे पर नाचपार्टी लेकर वह जाया करते थे ।

दसवीं कक्षा में पढ़ाई करते समय एक उपन्यास टूट गई पायल

उन्होंने दसवीं कक्षा में पढ़ाई करते समय एक उपन्यास टूट गई पायल, बिखर गए घूंघरू लिखा था । डॉ सागर के शिक्षा ग्रहण करने के लिए काशी हिंदू विश्वविद्यालय जाने की कहानी भी बेहद दिलचस्प है । गांव में सागर घास पर बैठकर पढ़ाई कर रहे थे । गांव में बनारस निवासी एक रिश्तेदार आये हुए थे । उन्होंने उनकी पढ़ाई में तल्लीनता को देख उनको काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ने की सलाह दी । इसके बाद डॉ सागर बनारस पहुंचे । काशी हिंदू विश्वविद्यालय में पढ़ाई करते समय डिप्टी रजिस्ट्रार अजय कुमार सागर उनकी कविताओं से इस कदर प्रभावित प्रभावित हुए कि उन्होंने उनको जेएनयू में जाकर पढ़ने की सलाह दे दी ।

ballia-DR.Sagar ballia-DR.Sagar (Photo by social media)

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डिप्टी रजिस्ट्रार अजय कुमार सागर ने ही जेएनयू का एंट्रेंस फ़ॉर्म भरा व साइकिल पर बिठाकर परीक्षा दिलवाने ले गए । उन्होंने जेएनयू से एम. ए , एम. फिल. और पीएच. डी. की पढ़ाई पूरी की । इन्होंने त्रिलोचन शास्त्री के काव्य संग्रह ताप के ताए हुए दिन पर एम.फिल एवं पीएच.डी डिग्री समकालीन हिंदी कविता में प्रतिरोध : स्त्री काव्य लेखन के विशेष संदर्भ में , टॉपिक पर प्राप्त की । इन्होंने अपनी पीएच.डी साहिर लुधियानवी को समर्पित की है । 2011 में इन्होंने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में बतौर गीतकार के रूप में काम करने के लिए मुंबई की तरफ रुख किया।

अनूप कुमार हेमकर

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