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वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने वाली बलिया की बेटी की ये इच्छा, हासिल करना चाहती है बड़ा मुकाम
मोक्ष का पेड़ नामक चित्र बनाकर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने वाली नेहा सिंह के पूर्व यह रिकॉर्ड भारत के ही आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा की रहनेवाली श्रेया तातिनेनी के नाम था।
बलिया: खनिज रंगों से 'भगवगीता' पर आधारित मोक्ष का पेड़ नामक चित्र बनाकर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने वाली नेहा सिंह को इस रिकार्ड को अपने नाम करने के लिए पिछले सात सालो से खुद से बनाई गयी सभी पेंटिंग बेचनी पड़ी है। नेहा इस सफलता को प्राप्त करने के पूर्व आठ बार असफल हो चुकी हैं।
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पिछले साल से तैयारी शुरू कर दी थी
मोक्ष का पेड़ नामक चित्र बनाकर गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने वाली नेहा सिंह के पूर्व यह रिकॉर्ड भारत के ही आंध्रप्रदेश के विजयवाड़ा की रहनेवाली श्रेया तातिनेनी के नाम था। सूचना विभाग द्वारा जारी विज्ञप्ति के अनुसार श्रेया ने 29 सितंबर, 2019 को 54.67 स्कॉयर मीटर यानी 588.56 स्कॉयर फ़ीट में खनिज रंगों से पेंटिंग बनाई थी। गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराने के लिए नेहा सिंह ने पिछले साल से तैयारी शुरू कर दी थी ।
उन्होंने लॉक डाउन में अप्रैल महीने में घर पर खनिज रंगों से 62.72 स्क्वायर मीटर यानि 675.36 स्क्वायर फ़ीट का बड़ा पेंटिंग बनाया । खनिज रंगों से 'भगवगीता' पर आधारित मोक्ष का पेड़ नामक चित्र में भगवद्गीता के अठ्ठारह अध्यायों को, पेड़ के अठ्ठारह शाखाओं में और एक एक शाखाओं में 1 से 18 पत्तों का चित्रण करके ऊपर कमल एवं ॐ से मोक्ष प्राप्ति का सुंदर चित्रण प्रस्तुत किया गया है। नेहा ने इसके बाद पेंटिंग पिछले जुलाई महीने में गिनीज़ के नियमों के अनुसार तैयार करके ऑनलाइन सारा डाक्यूमेंट्स जमा किया। कोविड के चलते गिनीज़ से जवाब आने में चार महीने का समय लग गया।
ballia-matter (PC: Social media)
गिनीज से अनुमति मिलने में उन्हें नौवीं बार में सफलता मिली
नेहा सिंह ने आज न्यूजट्रेक से विशेष बातचीत में बताया कि गिनीज से अनुमति मिलने में उन्हें नौवीं बार में सफलता मिली । उनके आठ प्रयास को गिनीज ने अमान्य कर दिया था । गिनीज से अनुमोदन मिलने के बाद उन्होंने प्रयास शुरू किया । पेंटिंग बनाने के लिए उन्हें अपने पूर्व में बनाये गये सभी पेंटिंग को मुंबई के एक चित्रकला व्यापारी को बेचना पड़ा । नेहा ने बताया कि पेंटिंग बनाने में उपयुक्त होने वाला रोल व रंग बहुत मंहगा है । इस कारण उसे ऐसा करना पड़ा , क्योंकि वह अपने सपने को साकार करने के लिए परिवार से सहयोग नही लेना चाहती थी ।
नेहा ने प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही एक स्कूल से प्राप्त की
जिले के रसड़ा तहसील के डेहरी गांव की रहने वाली नेहा के पिता बुटन सिंह बी एस एफ में उप निरीक्षक हैं तथा वर्तमान समय में त्रिपुरा में कार्यरत हैं । नेहा दो भाई व एक बहन में सबसे छोटी है । नेहा ने प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही एक स्कूल से प्राप्त की। कक्षा 6 से इंटर तक की शिक्षा उसने रसड़ा के एक इंटर कॉलेज से प्राप्त की। इसके बाद उसने काशी विद्यापीठ से बी एफ ए व एम एफ ए किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में वैदिक विज्ञान का पाठ्यक्रम शुरू कराया तो उसने काशी हिंदू विश्वविद्यालय में दाखिला ले लिया । नेहा ने बताया कि वह वैदिक विज्ञान के पहले सत्र की पहली छात्रा है । कई बार गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम कर चुके डॉ जगदीश पिल्लई को नेहा अपना गुरु व आदर्श मानती है ।
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नेहा के परिवार के अधिकांश लोग सेना में हैं
नेहा के परिवार के अधिकांश लोग सेना में हैं। यह पूछे जाने पर कि उसे इस रिकॉर्ड के मिलने पर कैसी अनुभूति हो रही है, नेहा ने कहा कि वह मद भगवदगीता से प्रेरित है। वह सामान्य परन्तु अच्छा महसूस कर रही है। वह राष्ट्रीय स्तर पर अब कुछ अलग बेहतर करना चाहती है। नेहा इसके पूर्व भी कई रिकॉर्ड बना चुकी है। नेहा का पहला रिकार्ड 16 लाख मोतियों से 10×11 फुट का भारत का नक्शा "वर्ल्ड रिकॉर्ड ऑफ इंडिया" में दर्ज है। दूसरा रिकार्ड 449 फीट कपड़े पर 38417 डॉट डॉट कर उंगलियों के निशान से हनुमान चालीसा लिख कर "EURASIA WORLD RECORD" में दर्ज है। तीसरा रिकार्ड दुनिया का पहला दशोपनिषद् एवं महावाक्य का डिजिटल प्रिंटेड एल्बम बनाकर "इंडियन बुक ऑफ रिकार्ड्स" में दर्ज है।
रिपोर्ट- अनूप कुमार हेमकर
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