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मोदी सरकार पर बरसे सपा के राम गोविंद चौधरी, नये कृषि कानून पर नीयत साफ नहीं

जिले के बाँसडीह विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बेरुआर बारी में आज आयोजित किसान घेरा चौपाल को सम्बोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसानों ने अपने प्रस्ताव में साफ साफ कहा है

Newstrack
Published on: 29 Dec 2020 10:39 AM GMT
मोदी सरकार पर बरसे सपा के राम गोविंद चौधरी, नये कृषि कानून पर नीयत साफ नहीं
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मोदी सरकार पर बरसे सपा के राम गोविंद चौधरी, नये कृषि कानून पर नीयत साफ नहीं (PC: social media)

बलिया: उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार अम्बानी अडानी समूह और इनके जैसे ही कुछ अन्य कारपोरेट समूहों के पेरोल पर है। उन्होंने कहा है कि सरकार की नीयत साफ नही है व पेरोल पर होने के कारण सरकार के पास बातचीत का विषय लिखने की भी हिम्मत नही है ।

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किसानों ने अपने प्रस्ताव में साफ साफ कहा है

जिले के बाँसडीह विधानसभा क्षेत्र के ग्राम बेरुआर बारी में आज आयोजित किसान घेरा चौपाल को सम्बोधित करते हुए नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि किसानों ने अपने प्रस्ताव में साफ साफ कहा है कि बातचीत का मुद्दा होगा, तीनों कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा। पेरोल पर होने के कारण सरकार ने यह भी लिखने की हिम्मत नहीं जुटायी कि 30 दिसम्बर बुधवार को बातचीत का मुद्दा तीनों कृषि कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा देना होगा।

ballia-matter ballia-matter (PC: social media)

भाजपा सरकार की मिलीभगत से कारपोरेट समूहों ने बैंकों की बड़ी पूंजी को दबा रखा है

चौधरी ने कहा है कि भाजपा सरकार की मिलीभगत से कारपोरेट समूहों ने बैंकों की बड़ी पूंजी को दबा रखा है। सरकार की कृपा से कुछ बैंकों को लूटकर विदेश में जश्न मना रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी को चन्दा दिए जाने के इनके चेक की फोटोकॉपी सोशल मीडिया में नाच रही है। इनकी वजह से भारत की बैंकिग व्यवस्था लड़खड़ा गई है और सरकार इन देश लुटेरों को जेल में डालने की जगह खेती, बारी और किसानी को बचाने के आंदोलन में शामिल लोगों की सूची बना रही है।

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ये तीनों कृषि कानून इसी नीयत से लाए गए हैं

उन्होंने कहा है कि सरकार अब बैंकों की पूँजी की तरह देश की खेती, बारी और किसानी को भी कारपोरेट समूहों के हाथ में सौंप देने पर आमादा है। ये तीनों कृषि कानून इसी नीयत से लाए गए हैं। इसे लेकर किसी को अब कोई भ्रम नहीं है। इसलिए इन कानूनों की वापसी और न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी दर्जा के रूप में हासिल करने तक किसान संघर्ष जारी रहेगा। उन्होंने कहा है कि समाजवादी पार्टी का हर सदस्य अपनी आखिरी सांस तक इस संघर्ष में किसानों के साथ संघर्ष करेगा।

रिपोर्ट- अनूप कुमार हेमकर

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