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Balrampur News: विकास के दावों से कोसों दूर ये गांव, कलेक्ट्रेट है पास, लेकिन सुविधाएं दूर!
Balrampur News: बलरामपुर कलेक्ट्रेट से लगा गांव धुसवा प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गया है। यहां विभिन्न जनसमस्याओं से लोग परेशान हैं, लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं।
Balrampur News: बलरामपुर कलेक्ट्रेट से लगा गांव धुसवा प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार हो गया है। यहां विभिन्न जनसमस्याओं से लोग परेशान हैं, लेकिन उनकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं। यहां के ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं तक मुहैया नहीं हो पा रही हैं।
पक्की सड़क, नाली तक की व्यवस्था नहीं
ग्राम धुसवा के निवासियों ने बताया कि यहां दो दशक पूर्व गांव की पक्की सड़क बनी है। लेकिन सड़क उखड़े काफी वर्षों हो गए। इस पर न ग्राम प्रधान ध्यान दे रहे हैं, न प्रशासनिक अधिकारी और न ही विधायक कोई सुनवाई कर रहे हैं। नालियां जो बनी थी वह जगह-जगह उखड़ चुकी हैं। थोड़ी बारिश होते ही सड़क जलमग्न हो जाती है। नालियों का गंदा पानी लोगों के घर में घुस जाता है। साथ ही रास्तों पर लोगों का चलना मुश्किल है। प्राइमरी विद्यालय के सामने रोड पर इस तरह पानी भरा हुआ है कि बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो रहा है।
बारिश में जलजमाव, घरों में घुस जाता है पानी
गांव वालों का कहना है कि जल निकासी की व्यवस्था नहीं होने से लोगों के घरों तक में पानी घुस जाता है। ग्रामीण रमेश, सोनपता, राजकिशोर, इसरार, बब्लू, लालजी, सोनी, धनपता, राजेश्वरी का कहना है कि वर्तमान प्रधान से कई बार ग्रामीणों ने समस्या से अवगत कराया है और गांव में तैनात सफाईकर्मी कभी गांव में सफाई करने नहीं आता है। ऐसे कर्मचारियों पर ग्राम प्रधान की मेहरबानी हैं। बलरामपुर पुरानी तहसील से कलेक्ट्रेट जाने वाली सार्वजनिक गली के किनारे बनी नाली सफाई के अभाव में बंद हो गई है। जलनिकासी न होने से गंदा पानी सड़क पर बहता रहता है। गंदगी के कारण संक्रामक बीमारियां फैलने की आशंका बनी रहती है। गांव में स्थित सरकारी विद्यालयों में भी सफाई न होने से बच्चों को गंदगी के बीच पढ़ने को मजबूर होना पड़ता है। धुसवा मजरे में सड़क पर जगह-जगह कूड़े का ढेर लगा हुआ है।
मिश्रित आबादी का है क्षेत्र
विकास खंड बलरामपुर सदर अंतर्गत गांव धुसवा में लगभग तीन हजार की आबादी है। यहां मिश्रित आबादी है। यहां के लोगों का आरोप है कि न ग्राम प्रधान उनकी समस्याओं की सुनवाई करते हैं न जिला प्रशासन सुनता है। इस बारे में जिला पंचायत राज अधिकारी नीलेश प्रताप सिंह से बात करने की कोशिश की गई पर वह न अपने कार्यालय ही मिले और न ही मोबाइल पर ही बात की।