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डब्बा बंद दूध पर पाबंदी: सरकार ने लिया फैसला, बच्चों के पीने पर लगी रोक

कोरोना संक्रमण काल में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये मां का दूध ही सर्वोपरि है। इस दौरान डिब्बा बंद दूध या कृत्रिम आहार न दें।

Ashiki
Published on: 21 May 2020 1:49 PM GMT
डब्बा बंद दूध पर पाबंदी: सरकार ने लिया फैसला, बच्चों के पीने पर लगी रोक
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नोएडा: कोरोना संक्रमण काल में बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिये मां का दूध ही सर्वोपरि है। इस दौरान डिब्बा बंद दूध या कृत्रिम आहार न दें। इधर संज्ञान में आया है कि कुछ स्थानों पर कुछ कंपनियों द्बारा डिब्बा बंद दूध और कृत्रिम आहार का वितरण किया जा रहा है, जो कि बच्चों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर डाल सकता है।

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पत्र लिखकर दिया आदेश

इसी वजह से बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग के निदेशक शत्रुघ्न सिंह ने सूबे के सभी जिला अधिकारियों को पत्र भेजकर दो वर्ष की आयु तक के बच्चों को डिब्बा बंद दूध दिए जाने पर पांबदी लगाने के निर्देश दिए हैं। पत्र में कहा गया है कि इस बात पर विशेष नजर रखे जाने की जरूरत है कि कोई भी कंपनी गर्भवती और धात्री माताओं को दूध और दूध की बोतल का निशुल्क सैंपल न देने पाए। पत्र की प्रतिलिपि मुख्य चिकित्सा अधिकारी और जिला कार्यक्रम अधिकारी को भी भेजी गई है। जिला कार्यक्रम अधिकारी पूनम तिवारी ने बताया ग्रामीण पोषण दिवस के दौरान गर्भवती और धात्री माताओं को स्तनपान के प्रति जागरूक किया जा रहा है।

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जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया पत्र में कहा गया है कि महामारी के दौरान प्राय: देखा गया है कि कृत्रिम दूध बनाने वाली कंपनियां जिला स्तर पर शिशु और परिवारों को डिब्बाबंद दूध, कृत्रिम दूध पाउडर की बिक्री बढ़ाने का प्रयास करती हैं। कमर्शियल शिशु आहार मां के दूध और ऊपरी आहार का स्थान ले लेता है और बच्चों को कुपोषण के चक्र में डाल देता है। इसको देखते हुए गर्भवती और धात्री माताओं एवं उनके परिवारों को मुफ्त सैंपल दूध की बोतल एवं कृत्रिम आहार देने, दो वर्ष तक के बच्चों के लिए डिब्बाबंद दूध पर रोक को प्रभावी तरीके से लागू कराया जाए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) का कहना है कि डिब्बा बंद दूध आदि के सेवन से 6 माह से कम उम्र वाले बच्चों की मृत्यु दर बढ़ने की आशंका बनी रहती है इसलिए कम से कम एक साल तक बच्चे को कृत्रिम आहार देने से बचना चाहिए।

डिब्बाबंद दूध के नुकसान

बाल रोग चिकित्सकों का कहना है कि डिब्बा बंद दूध बहुत भारी होता है। बोतल के माध्यम से डिब्बे वाला दूध पीने से बच्चे को दस्त, सीने और कान में संक्रमण हो सकता है। कई बार यूरीन इं.फेक्शन का खतरा भी रहता है। बच्चे में मोटापे की समस्या हो सकती है। डिब्बे वाले दूध में मां के दूध की तरह रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाने वाले तत्व नहीं होते हैं। मां के दूध में हर वह तत्व मौजूद होते हैं, जो बच्चे के विकास और उसे स्वस्थ रखने के लिए जरूरी होते हैं ।

आईएमएस एक्ट के तहत लगा प्रतिबंध

कोविड 19 संक्रमण के दौरान प्रदेश में इनफेन्ट मिल्क सब्सीट्यूशन फीडिग बॉटल एंड इनफेन्ट फूड्स एक्ट (आईएमएस एक्ट) के प्रावधान एवं विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाव को देखते हुए बच्चों को दिये जाने वाले डिब्बा बंद दूध पर प्रतिबंध लगाया गया है।

रिपोर्ट: दीपांकर जैन

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