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हिंदू सभ्यता में क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी, जानें इसका इतिहास

इस ऋतु में खेतों में फसले लहलहा उठती है और फूल खिलने लगते है एवं हर जगह खुशहाली नजर आती है तथा धरती पर सोना उगता है अर्थात धरती पर फसल लहलहाती है।

Roshni Khan
Published on: 16 Feb 2021 7:36 AM GMT
हिंदू सभ्यता में क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी, जानें इसका इतिहास
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हिंदू सभ्यता में क्यों मनाई जाती है बसंत पंचमी, जानें इसका इतिहास (PC: social media)

कानपुर देहात: बसंत पंचमी हिन्दुओ का प्रमुख त्यौहार है और बसंत पचमी को श्री पंचमी और ज्ञान पंचमी भी कहा जाता है । यह त्यौहार माघ के महीने में शुक्ल पंचमी के दिन मनाया जाता है | पुरे वर्ष को 6 ऋतूओ में बाँटा जाता है , जिसमे वसंत ऋतू , ग्रीष्म ऋतू ,वर्षा ऋतू , शरद ऋतू , हेमंत ऋतू और शिशिर ऋतू शामिल है | इस सभी ऋतूओ में से वसंत को सभी ऋतूओ का राजा माना जाता है , इसी कारण इस दिन को बसंत पंचमी कहा जाता है तथा इसी दिन से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है |

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इस ऋतु में खेतों में फसले लहलहा उठती है

इस ऋतु में खेतों में फसले लहलहा उठती है और फूल खिलने लगते है एवं हर जगह खुशहाली नजर आती है तथा धरती पर सोना उगता है अर्थात धरती पर फसल लहलहाती है। मान्यता है कि इस दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था इसलिए बसंत पचमी के दिन सरस्वती माता की विशेष पूजा का आयोजन किया जाता है । माँ सरस्वती को विद्या एवं बुद्धि की देवी माना जाता है | बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती से विद्या, बुद्धि, कला एवं ज्ञान का वरदान मांगा जाता है । इस दिन लोगों को पीले रंग के कपड़े पहन कर पीले फूलो से देवी सरस्वती की पूजा करते हैं एवं लोग पतंग उड़ाते और खाद्य सामग्री में मीठे पीले रंग के चावाल का सेवन करते है | पीले रंग को बसंत का प्रतीक माना जाता है |

बसंत पंचमी का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है

बसंत पंचमी का त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है | इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करने के पीछे एक पौराणिक कथा है | सर्वप्रथम श्री कृष्ण और ब्रह्मा जी ने देवी सरस्वती की पूजा की थी | देवी सरस्वती ने जब श्री कृष्ण को देखा तो वो उनके रूप को देखकर मोहित हो गयी और पति के रूप में पाने के लिए इच्छा करने लगी |

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विद्या की इच्छा रखने वाले को माघ महीने की शुल्क पंचमी को तुम्हारा पूजन करेंगे

इस बात का भगवान श्री कृष्ण को पता लगने पर उन्होंने देवी सरस्वती से कहा कि वे तो राधा के प्रति समर्पित है परन्तु सरस्वती को प्रसन्न करने के लिए भगवान श्री कृष्ण देवी सरस्वती को वरदान देते है कि प्रत्येक विद्या की इच्छा रखने वाले को माघ महीने की शुल्क पंचमी को तुम्हारा पूजन करेंगे | यह वरदान देने के बाद सर्वप्रथम ही भगवान श्री कृष्ण ने देवी की पूजा की ।

रिपोर्ट- मनोज सिंह

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