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कोरोना से सावधान: परदेशियों और ग्राम प्रधानों की लापरवाही से बढ़ सकती हैं मुश्किलें

यहां हम बात कर रहे है इन दो सप्ताह में दुसरे प्रदेश या जिले से आने वालों की जिनकी जानकारी ग्राम प्रधान को नहीं हो पाती। इन परदेशियों के बारे में कोई पडोसी या गांव का व्यक्ति इस लिए शिकायत नही कर रहा है कि वह जिसकी शिकायत करेगा वह उससे नाराज हो सकता है।

SK Gautam
Published on: 26 March 2020 8:02 PM IST
कोरोना से सावधान: परदेशियों और ग्राम प्रधानों की लापरवाही से बढ़ सकती हैं मुश्किलें
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भदोही: सरकार ने कोरोना वायरस से बचाव के लिए पूरे देश को लाक डाऊन कर दिया है। जिससे लोगों के आवागमन में पूर्णतः प्रतिबन्ध लगा रहे। लेकिन लोग सरकार के दिशा निर्देश को मानने को तैयार नही है और खुद के साथ साथ दूसरों को भी समस्या में झोंकने को तैयार है।

इस तरह की लापरवाही करते बहुत लोग देखे जा रहे हैं लेकिन बाहर राज्यों से आने वाले 'परदेशी' और ग्राम पंचायत के मुखिया की लापरवाही सरकार की मंशा पर पानी फेरने में सहायक हो सकता है। जिले के पिपरीस, मोढ, सुरियावां, पिपरी, इत्यादी गांव मे मुम्बई, दिल्ली समेत अन्य जगहों से आकर टहल घूम रहे है।

सरकार लगातार लोगों को सोशल डिस्टेंटिंग अपनाने के लिए कह रही है लेकिन यह बात बहुत लोगों के गले नही उतर रही है। यहां हम बात कर रहे है इन दो सप्ताह में दुसरे प्रदेश या जिले से आने वालों की जिनकी जानकारी ग्राम प्रधान को नहीं हो पाती। इन परदेशियों के बारे में कोई पडोसी या गांव का व्यक्ति इस लिए शिकायत नही कर रहा है कि वह जिसकी शिकायत करेगा वह उससे नाराज हो सकता है।

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बाहर से आने वाले लोग परिवार व गांव को भी संक्रमण की पूरी संभावना में सहयोग कर रहे है। इस मामले में ग्राम प्रधान भी लापरवाही कर रहे है। ग्राम प्रधान को यह पता ही नही की कौन कौन दो हफ्ते के भीतर गांव में प्रवेश किये है?

सरकार भले ही ग्राम पंचायत में साफ सफाई जागरूता की जिम्मेदारी ग्राम प्रधानों को दी है। इसमें कुछेक ग्राम प्रधानों को छोड दिया जाये तो ज्यादातर ग्राम प्रधान केवल कागजी घोडा दौडाकर और फोटो खिचवाकर अपना खानापुर्ति करने में ही भलाई समझ रहे है।

एक ग्राम प्रधान ने तो यहां तक कह दिया कि इसके लिए फंड ही नही आता और जबकि सरकार प्रधानों को अपने ग्राम सभा में साफ सफाई, जागरूकता के लिए प्रेरित कर रही है। सरकार द्वारा निर्देशित किया गया है कि सभी सार्वजनिक स्थलों पर साबून पानी की व्यवस्था करें, जिससे लोग हाथ धो सके।

कूडा दान की व्यवस्था करायें, नाली व रूके हुए पानी की निकासी को सही करें लेकिन ग्राम प्रधान है कि केवल अपने मनमाने ढंग से ही कार्य करेंगे। इस समय देखा जा सकता है कि किसी भी गांव में सार्वजनिक स्थलों पर हाथ धोने की व्यवस्था नही है। कुछ जगह यदि हो तो वह केवल अपवाद मात्र होगा। सरकार कोरोना को लेकर जहां इतनी सख्ती से पेश आ रही है वही ग्राम प्रधानों के सिर पर जूं तक नही रेंग रही है।

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यदि ग्राम प्रधान चाहे तो अपने कोष से ग्राम सभा में मास्क, सेनिटाइजर इत्यादि बांट सकते है लेकिन ऐसा करना उचित नही समझते है। आज भी बहुत गांवों में गंदी सडकें, बजबजाती नालियां, रास्ते में बहता पानी देखा सकता है लेकिन स्वच्छता मिशन की धज्जियां उडाने वालों को यह सब नही दिख रहा है।

ग्राम प्रधान चाहे तो उसके गांव का एक व्यक्ति भी मनमानी न कर सके पूरा गांव वही करें जो सरकार का दिशा निर्देश जारी है। लेकिन राजनीति के चक्कर में प्रधान सख्ती दिखाने के मूढ में नही है। मानते है कि सख्ती न दिखाये लेकिन लोगों को जाखरूक करके तो कोरोना वायरस से जुडी जानकारी व सावधानियां बताकर उन्हे अवगत करा सकते है।

परदेशी और ग्राम प्रधान अपने जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए सरकार के निर्देशों का पालन करें और अपने साथ साथ अपने गांव और क्षेत्र के लोगों को संक्रमण से बचाने में सहयोग करें। यदि बहुत जरूरी न हो तो घर से बाहर न निकले और अपने लोगों को भी न निकलने दें।



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