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मायावती को बड़ा झटका: अब इस पूर्व सांसद ने तोड़ा बसपा से नाता
बसपा सुप्रीमों मायावती को अपना इस्तीफा भेजने के बाद पूर्व सांसद लालमणि ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस और भाजपा एक सिक्के के दो पहलू हैं। इनकी राजनीति देश और समाज को तोड़ने वाली है। लोहिया के आदर्शों पर चलने वाली समाजवादी पार्टी की रीति और नीति उनको अच्छी लगती है।
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमों मायावती की रीतियों और नीतियों से नाराज होकर बस्ती के पूर्व सांसद लालमणि प्रसाद ने गुरुवार को बसपा से नाता तोड़ लिया। बसपा के लिए यह करारा झटका है। लालमणि वर्तमान में सिद्धार्थनगर के जिला कोआर्डिनेटर थे।
सपा में शामिल होने का कयास
बसपा सुप्रीमों मायावती को अपना इस्तीफा भेजने के बाद पूर्व सांसद लालमणि ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कांग्रेस और भाजपा एक सिक्के के दो पहलू हैं। इनकी राजनीति देश और समाज को तोड़ने वाली है। लोहिया के आदर्शों पर चलने वाली समाजवादी पार्टी की रीति और नीति उनको अच्छी लगती है। हालांकि इसे उनके फैसले से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। अभी उन्होंने कुछ भी तय नहीं किया है।
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समर्थकों से रायशुमारी के बाद ही आगे कोई फैसला लेंगे।
पूर्व सांसद लालमणि प्रसाद बचपन में ही आंबेडकर की नीतियों से प्रभावित होने के बाद समाज सेवा से जुड़ गए। कांशीराम के साथ मिलकर वह बसपा के लिए काम करते रहे। दो बार विधायक, एक बार मंत्री और एक बार सांसद रहे लालमणि पिछले चुनाव में बिहार के प्रदेश प्रभारी भी रह चुके हैं। लगातार पूरी निष्ठा के साथ बसपा के मिशन से जुड़े रहने वाले इस 65 वर्षीय वरिष्ठ नेता के पार्टी छोड़ने के फैसला मायावती के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
लालमणि पहली बार 1993 में सपा-बसपा गठबंधन में हैंसर बाजार विधान सभा सीट से चुनाव लड़े और विजयी घोषित हुए। वर्ष 1996 के मध्यावधि चुनाव में जनता ने दोबारा क्षेत्र का विधायक चुना। वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने बस्ती से प्रत्याशी बनाया और एक बार फिर निर्वाचित हुए।
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वर्ष 2009 के चुनाव में पार्टी ने पूर्व मंत्री राम प्रसाद चैधरी के भतीजे अरविंद चैधरी को टिकट दे दिया। अरविंद जीतने में कामयाब रहे। जबकि लालमणि वर्ष 2009 से ही पार्टी के संगठनात्मक कार्यों को अंजाम देते रहे।