TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

भारी पड़ सकता है बिना बायप्सी कराये स्पाइन टीबी का इलाज, यहां जानें क्यों?

अगर आपकों या आपके किसी करीबी को चिकित्सक ने रीढ़ की हड्डी की टीबी डायग्नोज किया है और आप इस बीमारी का इलाज शुरू करने जा रहे है तो इलाज शुरू करने से पहले रीढ़ की हड्डी की बायप्सी जरूर करा ले और स्पाइन टीबी होने की पुष्टि कर ले।

Aditya Mishra
Published on: 21 Oct 2019 9:16 PM IST
भारी पड़ सकता है बिना बायप्सी कराये स्पाइन टीबी का इलाज, यहां जानें क्यों?
X

मनीष श्रीवास्तव

लखनऊ: अगर आपकों या आपके किसी करीबी को चिकित्सक ने रीढ़ की हड्डी की टीबी डायग्नोज किया है और आप इस बीमारी का इलाज शुरू करने जा रहे है तो इलाज शुरू करने से पहले रीढ़ की हड्डी की बायप्सी जरूर करा ले और स्पाइन टीबी होने की पुष्टि कर ले।

स्पाइन सर्जरी के विशेषज्ञों का मानना है कि 15 फीसदी मामलों में स्पाइन टीबी का गलत इलाज शुरू हो जाता है जबकि मरीज को स्पाइन टीबी न होकर दूसरी बीमारी होती है।

किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के ऑर्थोपैडिक विभाग द्वारा आयोजित स्पाइन आउटरीच प्रोग्राम-2019 के आयोजन के मौके पर मुंबई से आये प्रख्यात स्पाइन सर्जन डा. गौतम जावेरी ने बताया कि दरअसल पायोजेनिक संक्रमण के लक्षण भी टीबी से मिलते-जुलते हैं, इसलिए चिकित्सक टीबी की दवा शुरू कर देते हैं, लेकिन अगर बायप्सी करा ली जायेगी तो सटीक पता चल जायेगा कि टीबी है या फिर दूसरी बीमारी।

ये भी पढ़ें...शंखपुष्पी में महिलाओं की इस बीमारी का है इलाज, मनुष्य के लिए ये पौधा है संजीवनी समान

डा. जावेरी ने बताया कि दुर्घटना में घायल करीब 30 से 35 फीसदी लोगों की रीढ़ की हड्डी की चोट प्राथमिक स्तर पर डाक्टर समझ नहीं पाते हैं, और उसका इलाज उस समय नहीं होता है, नतीजा यह है कि कुछ दिन बाद जब रीढ़ की हड्डी टेढ़ी होने लगती है तब उसका पता चलता है।

इसलिए आवश्यक यह है कि हड्डी के डाक्टरों को इसकी जानकारी दी जाये कि दुर्घटना में रीढ़ की हड्डी में चोट को शुरुआत में ही कैसे पहचाना जाये। उन्होंने बताया कि 90 प्रतिशत कमर के दर्द को उचित सलाह व कसरत के माध्यम से ठीक किया जा सकता है। केवल 10 फीसदी मामलों में सर्जरी की आवश्यकता होती है।

केजीएमयू में स्पाइन इंजरी का इलाज

उन्होंने कहा कि यहां केजीएमयू में भी स्पाइन इंजरी का इलाज अच्छे तरीके से योग्य चिकित्सकों द्वारा किया जा रहा है, लेकिन इसे उत्तर प्रदेश के अन्य अस्पतालों में भी किया जाना चाहिए और इसीलिए चिकित्सकों को जानकारी देने के लिए इस वर्कशॉप का आयोजन किया गया है।

उन्होंने बताया कि इस वर्कशाप में यूपी के सौ से ज्यादा स्पाइन सर्जन ने हिस्सा लिया और स्पाइन से संबंधित जटिल समस्याओं व बीमारियों के उपचार के बारे में नए सर्जन्स को प्रशिक्षण दिया। कार्यक्रम में दिल्ली, मुम्बई, कोलकाता व चेन्नई से आये हुए एक्सपर्ट स्पाइन सर्जन ने अपने-अपने अनुभव व विचार साझा किए।

ये भी पढ़ें...सावधान! हैंगओवर होना भी है एक खतरनाक बीमारी, जाने कैसे…



\
Aditya Mishra

Aditya Mishra

Next Story