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शराब पर घमासान: दंग रह जाएंगे काशी नगरी का ये माहौल देख, बढ़ी प्रशासन की टेंशन

बनारस में दुकानें खुली तो हर किसी में शराब लेने की आपाधापी दिखी। लोगों में मनचाहा ब्रांड पाने की जल्दी थी। कुछ को कामयाबी मिली तो कुछ दूसरे ब्रांड के लिए मजबूर हुए।

Vidushi Mishra
Published on: 4 May 2020 4:57 PM IST
शराब पर घमासान: दंग रह जाएंगे काशी नगरी का ये माहौल देख, बढ़ी प्रशासन की टेंशन
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शराब पर घमासान: दंग रह जाएंगे काशी नगरी का ये माहौल देख, बढ़ी प्रशासन की टेंशन

वाराणसी। पूरे चालीस दिनों के बाद शराब के शौकीनों के चेहरे पर मुस्कान छाई। बनारस में दुकानें खुली तो हर किसी में शराब लेने की आपाधापी दिखी। लोगों में मनचाहा ब्रांड पाने की जल्दी थी। कुछ को कामयाबी मिली तो कुछ दूसरे ब्रांड के लिए मजबूर हुए। खैर , चंद घंटों के अंदर ही शहर की अधिकांश दुकानें आउट ऑफ स्टॉक हो गईं। दोपहर होते-होते दुकानदारों को शटर गिराना पड़ा।

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दुकानों पर डट गए शराबी

सरकार ने शराब की दुकानों को सुबह 10 बजे से शाम 7 बजे तक खोलने का निर्देश जारी किया है। रविवार की देर रात तक ये स्पष्ट नहीं हो पाया कि रेड जोन में शराब की दुकानें खुलेंगी या नहीं।

इस बीच जैसे ही सुबह दुकानों के खुलने की तस्वीर साफ हुई तो शराबियों के चेहरे खिल उठे। लोग सुबह 10 बजे के पहले ही दुकानों के बाहर डट गए। लंबी लाइनें लग गई।

हालांकि कुछ जगहों पर लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते दिखे तो कुछ जगहों पर भीड़ ज्यादा दिखी। शहर के रथयात्रा, ककरमत्ता, भोजूबीर, शिवपुर, लंका, भेलूपुर में दुकानों के बाहर लोगों की भीड़ देखने को मिली।

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गिराने पड़े दुकानों के शटर

शराब को लेकर क्रेज का आलम ये था कि दुकान खोलने के ढाई से तीन घंटे में ही ब्रांडेड मॉल की शॉर्टेज हो गई। अधिकांश लोग अपनी मनचाही ब्रांड के लिए इधर उधर भटकते दिखाई पड़े।

कुछ जगहों पर तो दुकान का पूरा माल ही बिक गया। नतीजा ये हुआ कि दुकानदारों को शटर गिराना पड़ा। दुकानदारों के मुताबिक आमतौर पर होली और न्यू ईयर पर ही इतनी बिक्री देखने को मिलती है। इसके लिए पहले से तैयारी रहती है। लेकिन लॉकडाउन के बीच इतनी बिक्री हैरान करने वाली है।

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उत्तर प्रदेश में क्या है शराब का अर्थतंत्र ?

-राजस्व का बड़ा स्रोत माना जाता शराब बिक्री ।

- यूपी में राजस्व का 20 फीसदी हिस्सा शराब बिक्री से आता है।

- शराब बिक्री से यूपी सरकार को हर साल लगभग 20000 करोड़ रुपये का मुनाफ़ा होता है।

-सरकारी आंकड़े देखें तो 2018-19 के अप्रैल और मई महीने में सरकार को 4, 558 करोड़ रुपये का राजस्व मिला।

-पिछले साल-अप्रैल में 2,372 करोड़ रुपये की शराब बिकी थी। मई में यह घटकर 2,187 करोड़ हो गई।

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Vidushi Mishra

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