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Books Rate Increased: निजी प्रकाशकों ने कॉपी-किताबों के दाम 30 प्रतिशत तक बढ़ाए

लखनऊ के निजी प्रकाशकों द्वारा सभी कॉपी किताबों के दाम बढ़ा दिए गए। यही वजह है कि सीबीएसई की कक्षा पांचवी की किताबें 6300 रुपए और आईसीएसई की किताबों के दाम 7000 रुपए से अधिक हैं।

Vertika Sonakia
Published on: 4 April 2023 1:32 PM GMT (Updated on: 4 April 2023 1:37 PM GMT)
Books Rate Increased: निजी प्रकाशकों ने कॉपी-किताबों के दाम 30 प्रतिशत तक बढ़ाए
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Books Rate Increased (photo: social media )

Books Rate Increased: नए सत्र में निजी प्रकाशकों ने कॉपी-किताबों के दाम 30 प्रतिशत तक बढ़ा दिए हैं। प्रति किताब के दाम में 30 रुपए से 100 रुपए तक बढ़ोतरी हुई है। कापी और रजिस्टर में 5 से 12 रुपए तक दाम बढ़ा दिए गए हैं।

गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष किताबों के दामों में 30 प्रतिशत तक बढ़ोतरी देखने को मिली है, जिससे सभी अभिभावकों की जेब ढीली हो गई है। अभिभावकों को बढ़ती महंगाई की चिंता सताने लगी है।

किताब-कॉपी के बढ़े दाम

लखनऊ के निजी प्रकाशकों द्वारा सभी कॉपी किताबों के दाम बढ़ा दिए गए। यही वजह है कि सीबीएसई की कक्षा पांचवी की किताबें 6300 रुपए और आईसीएसई की किताबों के दाम 7000 रुपए से अधिक हैं।

अभिभावकों की हुई जेब ढीली

काँपी-किताबों के बढ़ते दामों के कारण इस सत्र में सभी अभिभावकों की जेब ढीली हो गयी है। कॉपी-किताब के साथ ही सभी स्टेशनरी के दामों में भी इजाफा हुआ है। अभिभावकों की जेब पर प्रति बच्चा लगभग 600 रुपए से लेकर 3000 रुपए तक का खर्चा बढ़ा है।

मुनाफे के लिए प्रत्येक वर्ष किताबांे में होता है संशोधन

लखनऊ में सभी बोर्डों के लगभग 1000 से अधिक विद्यालय संचालित हैं। निजी प्रकाशकों की किताबें हर स्कूल में पढ़ाई जाती हैं। प्रत्येक वर्ष किताबों पर मुनाफा कमाने के लिए उनमें संशोधन किया जाता है।

इन किताबों के बढ़े दाम

हिंदी विषय की किताबें जो गत वर्ष 300 रुपए से 400 रुपए तक मिलती थीं उनके दाम अब 350 से 550 रुपए हो गए हैं। कंप्यूटर की किताबें जो गत वर्ष 300 से 450 रुपए तक मिलती थी उनके दाम बढ़कर अब लगभग 600 रुपए हो गए हैं। इसी तरह गणित की किताबें जो 300 से 450 रुपए तक मिलती थीं उनके दाम बढ़ाकर 500 से 650 रुपए कर दिए गए हैं। इसी तरह और भी अनेक विषयों की किताबों के दाम गत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष बढ़ा दिए गए हैं।

न्यूजट्रैक द्वारा स्कूली छात्रों के अभिभावकों से बात करने पर पता चला कि लगभग सभी किताबों में संशोधन के कारण नई किताबें अधिक दामों में लेनी होंगी। आशियाना निवासी अंजू मिश्रा कहती हैं “एक मध्यमवर्गीय परिवार से होने के कारण प्राइवेट स्कूल की महंगी फीस और हर साल किताबों के बढ़ते दाम जेब ढीली कर देते हैं। बच्चे को अच्छी शिक्षा देने के लिए अच्छे प्राइवेट स्कूल में पढाना और अधिक से अधिक पैसा मजबूरन प्रत्येक वर्ष किताबों पर खर्च करना पड़ता है। कॉपी किताबों के साथ ही हर महीने लगने वाली स्टेशनरी के भी दाम बढ़ा दिए गए हैं। बढ़ती महँगाई अभिभावकों के लिए समस्या का विषय है।

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