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बनारस के बुनकरों का एलान, चाइनीज सिल्क न इस्तेमाल करने की खाई कसम

भारत और चीन के सैनिकों के बीच में हुए खूनी संघर्ष में शहीद हुए सैनिकों को लेकर पूरा देश गम और गुस्से में है। चीन की हरकतों को लेकर समाज के हर वर्ग में नाराजगी है।

Ashiki
Published on: 18 Jun 2020 9:21 PM IST
बनारस के बुनकरों का एलान, चाइनीज सिल्क न इस्तेमाल करने की खाई कसम
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वाराणसी: भारत और चीन के सैनिकों के बीच में हुए खूनी संघर्ष में शहीद हुए सैनिकों को लेकर पूरा देश गम और गुस्से में है। चीन की हरकतों को लेकर समाज के हर वर्ग में नाराजगी है। साड़ी व्यापारियों ने भी चाइनीज आइटम के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बुनकरों ने चाइनीज रेशम का बहिष्कार करते हुए, इस्तेमाल ना करने का फैसला किया है। बुनकरों ने चाइनीज रेशम को जलाकर अपना विरोध जताया।

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बनारसी साड़ी में होता है चाइऩीज सिल्क का इस्तेमाल

बनारसी साड़ी की ख्याती पूरी दुनिया में होती है। इसकी खूबसूरती में सिल्क का बड़ा रोल होता है। बनारसी साड़ी का सिल्क बैंगलोर के अलावा चीन से बड़ी मात्रा में आयात होता है। हाल के दिनों में बुनकर चीन पर ज्यादा आश्रित हो गए थे। बैंगलोर के मुकाबले चाइनीज सिल्क सस्ती होती है। लेकिन बदले हालात में बुनकरों ने चाइनीज सिल्क के बहिष्कार का निर्णय लिया है। जैतपुरा इलाके के बुनकर संदीप केसरी कहते हैं कि देश से बढ़कर कुछ भी नहीं है। चाइनीज सिल्क का बहिष्कार करके ही हम गलवान घाटी में शहीद हुए सैनिकों का बदला ले सकते हैं।

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चाइनीज सिल्क ना इस्तेमाल करने की खाई कसम

इस दौरान व्यापारियों से लेकर बुनकरों ने भी साफ कर दिया कि वह अब किसी भी सूरत में चाइना सिल्क का इस्तेमाल ना तो करेंगे ना ही चाइना सिल्क से बनी साड़ियों को बेचेंगे। भले ही इसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़े। चीन को सबक सिखाने के लिए वे चाइनीस सिल्क पूरी तरह से बायकॉट करने का मन बना चुके हैं। चीन की गद्दारी के खिलाफ गुस्सा सिर्फ बुनकरों में ही नहीं है बल्कि दालमंडी के व्यापारियों में भी देखने को मिल रहा है। दालमंडी पूर्वांचल की सबसे बड़ी होजरी मंडी है। यहां के अधिकतर प्रोडक्ट चाइनीज होते हैं। यहां के भी व्यापारियों ने चाइनीज आइटम के बहिष्कार का निर्णय लिया है।

रिपोर्ट: आशुतोष सिंह

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